हरिदासी सम्प्रदाय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
*व्यासराय के दो प्रमुख शिष्य थे- पुरन्दरदास और कनकदास। इन दोनो ने ही उच्च कोटि के 'भक्ति साहित्य' का सृजन किया था।
*व्यासराय के दो प्रमुख शिष्य थे- पुरन्दरदास और कनकदास। इन दोनो ने ही उच्च कोटि के 'भक्ति साहित्य' का सृजन किया था।
*हरिदासी सम्प्रदाय में [[हृदय]] की पवित्रता तथा निश्छलता को महत्त्व दिया जाता है।
*हरिदासी सम्प्रदाय में [[हृदय]] की पवित्रता तथा निश्छलता को महत्त्व दिया जाता है।
*इस सम्प्रदाय के लोग 'विट्ठल' (श्रीकृष्ण) को अपना उपास्य [[देवता]] मानते है।
*इस सम्प्रदाय के लोग 'विट्ठल' (श्रीकृष्ण) को अपना उपास्य [[देवता]] मानते है।<ref>{{cite web |url=http://shaiwal.com/html/kndewedi3.htm |title=हरिदासी सम्प्रदाय |accessmonthday=10 अक्टूबर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 13:09, 10 October 2012

हरिदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक 'नरहरितीर्थ' तथा 'यादराम' थे। इनका आविर्भाव 15वीं शताब्दी में हुआ था। 'व्यासराय' भी इस सम्प्रदाय से सम्बद्ध थे, जिनका समय 16वीं शताब्दी माना जाता है और जो सर्वश्रेष्ठ भक्त कवि भी थे।

  • व्यासराय के दो प्रमुख शिष्य थे- पुरन्दरदास और कनकदास। इन दोनो ने ही उच्च कोटि के 'भक्ति साहित्य' का सृजन किया था।
  • हरिदासी सम्प्रदाय में हृदय की पवित्रता तथा निश्छलता को महत्त्व दिया जाता है।
  • इस सम्प्रदाय के लोग 'विट्ठल' (श्रीकृष्ण) को अपना उपास्य देवता मानते है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हरिदासी सम्प्रदाय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 अक्टूबर, 2012।

संबंधित लेख