बिमल राय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा कलाकार |चित्र=Bimal-roy.jpg |चित्र का नाम=बिमल रा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
Line 82: Line 82:
*[http://www.menright.com/pages/bollywood-roy.html The Films of Bimal Roy]
*[http://www.menright.com/pages/bollywood-roy.html The Films of Bimal Roy]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:फ़िल्म निर्देशक]][[Category:सिनेमा]][[Category:सिनेमा कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]]
{{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}}
[[Category:फ़िल्म निर्माता]][[Category:फ़िल्म निर्देशक]][[Category:सिनेमा]][[Category:सिनेमा कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]]


__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 11:21, 25 December 2011

बिमल राय
पूरा नाम बिमल राय
जन्म 12 जुलाई, 1909
जन्म भूमि पूर्वी बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश)
मृत्यु 7 जनवरी, 1966
मृत्यु स्थान मुंबई, महाराष्ट्र
पति/पत्नी मनोबिना
संतान जॉय और रिंकी भट्टाचार्य
कर्म भूमि मुंबई, कोलकाता
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म निर्देशक
मुख्य फ़िल्में 'परख', 'दो बीघा ज़मीन', 'बंदिनी', 'सुजाता', 'मधुमती' आदि
विषय सामाजिक
पुरस्कार-उपाधि फ़िल्मफेयर पुरस्कार निर्देशक (सात बार)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बिमल राय को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए सात बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला, जो अब तक सबसे अधिक हैं।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

बिमल राय / बिमल रॉय (अंग्रेज़ी:Bimal Roy, बांग्ला: বিমল রায়, जन्म- 12 जुलाई, 1909 - मृत्यु- 7 जनवरी, 1966) हिन्दी फ़िल्मों के एक महान फ़िल्म निर्देशक थे। हिंदी सिनेमा में प्रचलित यथार्थवादी और व्यावसायिक धाराओं के बीच की दूरी को पाटते हुए लोकप्रिय फिल्में बनाने वाले बिमल राय बेहद संवेदनशील और मौलिक फ़िल्मकार थे। बिमल राय का नाम आते ही हमारे जहन में सामाजिक फिल्मों का ताना-बाना आँखों के सामने घूमने लगता हैं। उनकी फिल्में मध्य वर्ग और ग़रीबी में जीवन जी रहे समाज का आईना थी। चाहे वह 'उसने कहा था' हो, 'परख', 'काबुलीवाला', 'दो बीघा जमीन', 'बंदिनी', 'सुजाता' या फिर 'मधुमती' ही क्यों ना हो। एक से बढ़कर एक फिल्में उन्होंने फ़िल्म इण्डस्ट्री को दी है।

जीवन परिचय

बिमल राय का जन्म 12 जुलाई 1909 को पूर्व बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) के एक जमींदार परिवार में हुआ था। बिमल ने अपना करियर न्यू थियेटर स्टूडियों, कोलकाता में कैमरामैन के रूप में शुरू किया। वे सन 1935 में आई के. एल. सहगल की फ़िल्म देवदास के सहायक निर्देशक थे। बिमल राय के मानवीय अनुभूतियों के गहरे पारखी और सामाजिक मनोवैज्ञानिक होने के कारण उनकी फ़िल्मों में सादगी बनी रही और उसमें कहीं से भी जबरदस्ती थोपी हुई या बड़बोलेपन की झलक नहीं मिलती। इसके अलावा सिनेमा तकनीक पर भी उनकी मजबूत पकड़ थी जिससे उनकी फ़िल्में दर्शकों को प्रभावित करती हैं और दर्शकों को अंत तक बांध कर रखने में सफल होती हैं। शायद यही वजह रही कि जब उनकी फ़िल्में आई तो प्रतिस्पर्धा में दूसरा निर्देशक नहीं ठहर सका।[1]

निर्देशन क्षमता

बिमल राय ने अपनी फिल्मों में सामाजिक समस्याओं को तो उठाया ही, उनके समाधान का भी प्रयास किया और पर्याप्त संकेत दिए कि उन स्थितियों से कैसे निबटा जाए। 'बंदिनी' और 'सुजाता' फिल्मों का उदाहरण सामने है जिनके माध्यम से वह समाज को संदेश देते हैं। देशभक्ति और सामाजिक फिल्मों से अपना सफर शुरू करने वाले बिमल राय की कृतियों के विषय का फलक काफी व्यापक रहा और वह किसी एक इमेज में बंधने से बच गए। एक ओर वह सामाजिक बुराई का संवेदना के साथ चित्रण कर रहे थे तो दूसरी ओर उनका ध्यान स्त्रियों के सम्मान और उनकी पीड़ा की तरफ भी था। हिंदी फिल्मों में नायक केंद्रित कथानकों का ही जोर रहा है, लेकिन बिमल दा ने उसे भी खारिज कर दिया और नायिकाओं को केंद्रित कर बेहद कामयाब फिल्में बनाई। ऐसी फिल्मों में मधुमती, बंदिनी, सुजाता, परिणीता बेनजीर, बिराज बहू आदि शामिल हैं।[1]

प्रतिभा के अद्भुत पारखी

बिमल राय स्वयं एक प्रतिभाशाली फ़िल्मकार होने के अलावा वे निस्संदेह प्रतिभा के अद्भुत पारखी भी थे जो कि इस बात से प्रमाणित होता है कि मूल रूप से संगीतकार के रूप में ख्यातिप्राप्त सलिल चौधरी के लेखन की ताकत को उन्होंने पहचाना जिसके फलस्वरूप आज भारत के पास "दो बीघा ज़मीन" जैसा अमूल्य रत्न है। जैसे साहित्य के क्षेत्र में उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द के 'गोदान' का नायक 'होरी' अभावग्रस्त और चिर संघर्षरत भारतीय किसान का प्रतीक बन चुका है तो वैसे ही ग्रामीण सामंती व्यवस्था और नगरों के नृशंस पूँजीवाद के बीच पिसते श्रमिक वर्ग के प्रतिनिधि का दर्ज़ा 'दो बीघा ज़मीन' के 'शम्भू' को प्राप्त है। जिन लोगों को यह भ्रम है कि हाल ही के दिनों में एक अंग्रेज़ द्वारा बनाई गयी एक अति साधारण फ़िल्म के ऑस्कर जीतने के बाद ही वैश्विक पटल पर हिंदी सिनेमा को प्रतिष्ठा मिलने का दौर शुरू हुआ है, उनको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि 'दो बीघा ज़मीन' वर्षों पहले ही अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में अपना डंका बजा चुकी थी। यदि प्रगतिशील साहित्य की तरह "प्रगतिशील सिनेमा" की बात की जाए तो बिमल राय निस्संदेह इसके पुरोधा माने जायेंगे।[2]

प्रसिद्ध फ़िल्में

बिमल राय की कुछ प्रसिद्ध फ़िल्में निम्न हैं-

  • परख
  • दो बीघा ज़मीन
  • बंदिनी
  • सुजाता
  • मधुमती
  • परिणीता
  • बिराज बहू
  • काबुलीवाला
  • उसने कहा था

सम्मान और पुरस्कार

[[चित्र:Bimal-Roy-stamp.jpg|thumb|बिमल राय के सम्मान में जारी डाक टिकट]] बिमल राय को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए सात बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिले। इनमें दो बार तो उन्होंने हैट्रिक बनाई। उन्हें 1954 में दो बीघा जमीन के लिए पहली बार यह पुरस्कार मिला। इसके बाद 1955 में परिणीता, 1956 में बिराज बहू के लिए यह सम्मान मिला। तीन साल के अंतराल के बाद 1959 में मधुमती, 1960 में सुजाता और 1961 में परख के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला। इसके अलावा 1964 में बंदिनी के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का फ़िल्मफेयर का पुरस्कार मिला।[1]

फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (सात बार)
  • 1954 में दो बीघा ज़मीन के लिए
  • 1955 में परिणीता के लिए
  • 1956 में बिराज बहू के लिए
  • 1959 में मधुमती के लिए
  • 1960 में सुजाता के लिए
  • 1961 में परख के लिए
  • 1964 में बंदिनी के लिए
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
  • 1954 में योग्यता प्रमाणपत्र (Certificate of Merit) 'दो बीघा ज़मीन'
  • 1955 में अखिल भारतीय योग्यता प्रमाणपत्र (All-India Certificate of Merit) 'बिराज बहू'
  • 1959 में सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म (Best Feature Film in Hindi) 'मधुमती'
  • 1960 में अखिल भारतीय योग्यता प्रमाणपत्र (All-India Certificate of Merit) 'सुजाता'
  • 1963 में सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म (Best Feature Film in Hindi) 'बंदिनी'

निधन

बिमल राय 'चैताली' फ़िल्म पर काम कर ही रहे थे, लेकिन 1966 में 7 जनवरी को मुंबई, महाराष्ट्र में कैंसर के कारण इनका निधन हो गया। बिमल राय भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने फिल्मों की जो भव्य विरासत छोड़ी है वह सिनेमा जगत के लिए हमेशा अनमोल रहेगी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 बेहद संवेदनशील फ़िल्मकार थे बिमल राय (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इण्डिया। अभिगमन तिथि: 25 दिसम्बर, 2011।
  2. बिमल रॉय: एक विनम्र श्रद्धांजलि (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) कालचिंतन (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 25 दिसम्बर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख