म्यांमार: Difference between revisions
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*म्यांमार का प्रारम्भिक इतिहास यहाँ की मूल जातियों (बर्मी व मोन) के संघर्ष का इतिहास है। [[भारत]] के बौद्ध प्रचारकों के प्रयासों से यहाँ [[बौद्ध धर्म]] की स्थापना हुई थी। 1044 में | *म्यांमार का प्रारम्भिक इतिहास यहाँ की मूल जातियों (बर्मी व मोन) के संघर्ष का इतिहास है। [[भारत]] के बौद्ध प्रचारकों के प्रयासों से यहाँ [[बौद्ध धर्म]] की स्थापना हुई थी। 1044 में इरावदी डेल्टा एवं थाटोन पर राजा अणाव्रत का शासन था, जिसे 1287 ई. में कुबलाई ख़ान ने समाप्त किया था। | ||
*16वीं शताब्दी में [[तोउगू वंश]] का शासन था। 1758 ई. में [[रंगून]] को देश की राजधानी बनाया गया। 1824, 1826 और 1852 में आंग्ल—बर्मी युद्ध हुए, जिसके फलस्वरूव म्यांमार [[भारत]] में मिला लिया गया और 1885 ई. में यह [[भारत]] का एक प्रान्त बना। | *16वीं शताब्दी में [[तोउगू वंश]] का शासन था। 1758 ई. में [[रंगून]] को देश की राजधानी बनाया गया। 1824, 1826 और 1852 में आंग्ल—बर्मी युद्ध हुए, जिसके फलस्वरूव म्यांमार [[भारत]] में मिला लिया गया और 1885 ई. में यह [[भारत]] का एक प्रान्त बना। | ||
*1937 ई. में ब्रिटिश [[भारत]] से म्यांमार पृथक हुआ और द्वितीय विश्वयुद्ध में [[जापान]] ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। | *1937 ई. में ब्रिटिश [[भारत]] से म्यांमार पृथक हुआ और द्वितीय विश्वयुद्ध में [[जापान]] ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। | ||
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Revision as of 12:44, 18 February 2012
- भारत के पूर्व में स्थित एक विशाल देश है। जिसे पटकोई पर्वत श्रृंखला, घने जंगलों तथा बंगाल की खाड़ी ने भारत से अलग कर रखा है।
- म्यांमार अथवा 'ब्रह्मा' को 'पैगोडा का देश' कहते हैं।
- यह एक स्वतंत्र देश है जो 1937 ई. से पूर्व भारत का ही एक अंग था।
- म्यांमार का प्रारम्भिक इतिहास यहाँ की मूल जातियों (बर्मी व मोन) के संघर्ष का इतिहास है। भारत के बौद्ध प्रचारकों के प्रयासों से यहाँ बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। 1044 में इरावदी डेल्टा एवं थाटोन पर राजा अणाव्रत का शासन था, जिसे 1287 ई. में कुबलाई ख़ान ने समाप्त किया था।
- 16वीं शताब्दी में तोउगू वंश का शासन था। 1758 ई. में रंगून को देश की राजधानी बनाया गया। 1824, 1826 और 1852 में आंग्ल—बर्मी युद्ध हुए, जिसके फलस्वरूव म्यांमार भारत में मिला लिया गया और 1885 ई. में यह भारत का एक प्रान्त बना।
- 1937 ई. में ब्रिटिश भारत से म्यांमार पृथक हुआ और द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया।
- 1945 ई. में मित्र राष्ट्रों की सहायता से म्यांमार से जापान का अधिग्रहण समाप्त किया गया।
- 4 जनवरी, 1948 को म्यांमार स्वतंत्र हुआ और 1974 में म्यांमार संघ का सोशलिस्ट गणराज्य बना।
सम्बन्ध
आरम्भिक काल में भारत और बर्मा के बीच कोई राजनीतिक सम्बन्ध नहीं था। यद्यपि बर्मा उस काल में भी हिन्दू संस्कृति से इतना प्रभावित हो चुका था कि इसके नगरों के नाम जैसे अयथिया अथवा अयोध्या संस्कृत नामों पर रखे जाने लगे थे। बाद में अशोक के काल में बौद्ध धर्म और संस्कृति का बर्मा में इतना अधिक प्रसार हुआ कि आज भी वहाँ के बहुसंख्यक बौद्ध मताबलम्बी हैं। मुसलमानों के शासनकाल में बर्मा से भारत का सभी प्रकार का सम्पर्क भंग हो गया। स्वयं भी वह अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया, जिससे उसकी शक्ति छिन्न-भिन्न हो गई। 1757 ई. में राजा अलोम्प्रा ने नया बर्मा राजवंश चलाया। इस वंश के शासकों ने न केवल उत्तरी और दक्षिणी बर्मा को राज्य में मिलाया, वरन् उसकी सीमाएँ स्याम, तनासरिम, अराकान तथा मणिपुर तक बढ़ा लीं। विजयों से, विशेषकर 1816 में आसाम की विजय से, बर्मी राज्य की सीमा भारत में बढ़ते हुए ब्रिटिश साम्राज्य की सीमाओं के सन्निकट आ गईं, जिससे दोनों के बीच शक्ति परीक्षण अनिवार्य हो गया।
बर्मी युद्ध
तीन क्रमिक बर्मी युद्ध हुए और 1886 ई. में पूरा देश ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के अंतर्गत आ गया। किन्तु 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया। 1947 ई. से भारत और बर्मा दो स्वाधीन पड़ोसी मित्र हैं।
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