जीजाबाई: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 32: Line 32:
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=जीजाबाई ने [[इतिहास]] में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो [[मराठा साम्राज्य]] के विस्तार के लिये सहायक साबित हुए। जीजाबाई एक चतुर और बुद्धिमान महिला थी।
|अन्य जानकारी=जीजाबाई ने [[इतिहास]] में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो [[मराठा साम्राज्य]] के विस्तार के लिये सहायक साबित हुए। जीजाबाई एक चतुर और बुद्धिमान महिला थी।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=[https://www.hindujagruti.org/hindi/h/92.html/ राजमाता जिजाऊ भोसले], [http://hindi.ibtl.in/news/rashtra-vandana/1906/article.ibtl/ वीर मराठा छत्रपति शिवाजी]
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}

Revision as of 07:57, 29 April 2016

जीजाबाई
पूरा नाम जीजाबाई भोंसले
अन्य नाम जीजाई
जन्म 12 जनवरी, 1598 ई.
जन्म भूमि बुलढ़ाणा ज़िला, महाराष्ट्र
मृत्यु तिथि 17 जून, 1674 ई.
पिता/माता लखोजीराव जाधव
पति/पत्नी शाहजी भोंसले
संतान 6 पुत्री व 2 पुत्र
संबंधित लेख शिवाजी, शाहजी भोंसले, शम्भाजी, शाहू, ताराबाई, बालाजी बाजीराव, बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम, बाजीराव द्वितीय महाराष्ट्र, तुकाराम
विशेष जीजाबाई अपने पति शाहजी भोंसले के द्वारा उपेक्षित कर दिये जाने पर भी वह अपने पुत्र शिवाजी की संरक्षिका बनी रहीं और उनके चरित्र, महत्त्वाकांक्षाओं तथा आदर्शों के निर्माण में सबसे अधिक योगदान दिया।
अन्य जानकारी जीजाबाई ने इतिहास में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो मराठा साम्राज्य के विस्तार के लिये सहायक साबित हुए। जीजाबाई एक चतुर और बुद्धिमान महिला थी।
बाहरी कड़ियाँ राजमाता जिजाऊ भोसले, वीर मराठा छत्रपति शिवाजी

जीजाबाई (अंग्रेज़ी:Jijabai, जन्म:12 जनवरी, 1598 ई., मृत्यु:17 जून, 1674 ई.) शाहजी भोंसले की पत्नी तथा छत्रपति शिवाजी की माता थीं। इन्हें ‘राजमाता जीजाबाई’ और साधारणतः ‘जीजाई’ के नाम से जाना जाता था। अपने पति शाहजी भोंसले के द्वारा उपेक्षित कर दिये जाने पर भी वह अपने पुत्र शिवाजी की संरक्षिका बनी रहीं और उनके चरित्र, महत्त्वाकांक्षाओं तथा आदर्शों के निर्माण में सबसे अधिक योगदान दिया। शिवाजी के जीवन की दिशा निर्धारित करने में उनकी माता जीजाबाई का सबसे अधिक प्रभाव था।[1]

परिचय

जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी, 1598 ई. को हुआ था। वे महाराष्ट्र राज्य के बुलढ़ाणा ज़िले के सिंदखेड राजा के लखोजीराव जाधव की पुत्री थीं। उस समय की परम्पराओं के अनुसार अल्पायु में ही उनका शाहजी राजे भोंसले से विवाह हो गया, जो बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में सैन्य दल के सेनापति थे। यह शाहजी राजे की पहली पत्नी थीं। जीजाबाई ने आठ संतानों को जन्म दिया, जिनमें से छ: पुत्रियाँ और दो पुत्र थे। इन्हीं संतानों में से एक शिवाजी महाराज भी थे।

मराठा साम्राज्य के विस्तार

जीजाबाई ने इतिहास में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो मराठा साम्राज्य के विस्तार के लिये सहायक साबित हुए। जीजाबाई एक चतुर और बुद्धिमान महिला थी। जीजाबाई शिवाजी को प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाकर प्रेरित करती थी। उनसे प्रेरित होकर ही शिवाजी ने स्वराज्य हासिल करने का निर्णय लिया। उस समय उनकी आयु केवल 17 वर्ष की ही थी। शिवाजी से महान शासक का निर्माण करने में जीजाबाई का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की

जीजाबाई एक तेजस्वी महिला थीं, जीवन भर पग-पग पर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए उन्होंने धैर्य नहीं खोया। उन्होंने शिवाजी को महान वीर योद्धा और स्वतन्त्र हिन्दू राष्ट्र का छत्रपति बनाने के लिए अपनी सारी शक्ति, योग्यता और बुद्धिमत्ता लगा दी। शिवाजी को बचपन से बहादुरों और शूर-वीरों की कहानियाँ सुनाया करती थीं। गीता और रामायण आदि की कथायें सुनाकर उन्होंने शिवाजी के बाल-हृदय पर स्वाधीनता की लौ प्रज्वलित कर दी थी, उनके दिए हुए इन संस्कारों के कारण आगे चलकर वह बालक समाज का संरक्षक एवं गौरव बना. दक्षिण। भारत में हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की और स्वतन्त्र शासक की तरह अपने नाम का सिक्का चलवाया तथा ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के नाम से ख्याति प्राप्त की।[1]

मृत्यु

मराठा साम्राज्य को स्थापित करने में तथा उसकी नींव को मजबूती प्रदान करने में विशेष योगदान देने वाली जीजाबाई का निधन 17 जून, 1674 ई. को हुआ। उनके बाद वीर शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की पताका को विस्तार दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

  1. 1.0 1.1 राजमाता जीजाबाई का इतिहास (हिन्दी) gyanipandit.com। अभिगमन तिथि: 29 अप्रैल, 2016।