कुमारदेवी: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:30, 25 October 2017
कुमारदेवी सुविख्यात लिच्छवी वंश की राजकुमारी थी। वह गुप्त साम्राज्य के सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी और समुद्रगुप्त की माता थी। कुमारदेवी संसार की ऐसी प्रथम महारानी थी, जिसके नाम से सिक्के प्रचलित किए गए थे। सारनाथ में 'धर्मचक्रजिनविहार' का निर्माण कुमारदेवी ने करवाया था।[1]
- कुमारदेवी कान्यकुब्ज और वाराणसी के गहड़वाल सम्राट गोविंदचंद्र (1114-1154) की रानी थी।
- उसके पिता देवरक्षित पीठि (गया) के चिक्कोर वंशी शासक और बंगाल के पाल सम्राटों के सामंत थे।
- शंकरदेवी कुमारदेवी की माता थी, जो एक अन्य पाल सामंत मथनदेव की पुत्री थी।
- मथनदेव राष्ट्रकूट वंशी अंग के शासक थे। उनकी बहन पालराज रामपाल की माता थी।
- गोविंदचंद्र और कुमारदेवी के विवाह से गहड़वाल और पाल वंश में कूटनीतिक मित्रता स्थापित हुई और यह गबड़वाल शक्ति के लिए अन्य दिशाओं में विस्तार में सहायक सिद्ध हुई।
- महत्वपुर्ण बात यह भी थी कि गोविंदचंद्र स्वयं पौराणिक धर्मोपासक हिन्दू था, जबकि कुमारदेवी बौद्ध थी।
- कुमारदेवी को अपने धर्म पालन में न केवल पूरी स्वतंत्रता प्राप्त थी, अपीतु उसकी रक्षा और प्रचारादि के लिए दानादि देने की सुविधा भी उपलब्ध थीं। उसने मूल धर्मचक्र का एक नए विहार में पुन: स्थापन कराया था।
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