कम लोग हैं -अना क़ासमी

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कम लोग हैं -अना क़ासमी
जन्म 28 फरवरी, 1966
जन्म स्थान छतरपुर, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ हवाओं के साज़ पर (ग़ज़ल संग्रह), मीठी सी चुभन (ग़ज़ल संग्रह),
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अना क़ासमी की रचनाएँ


कम लोग हैं जो सच्ची इबादत में लगे हैं
ऐसे तो बहुत हैं कि जो आदत में लगे हैं

वो लोग जो मज़हब की सियासत में लगे हैं
जाहिल हैं फ़क़त अपनी जहालत में लगे हैं

कुछ दिन से परीशान है जन्नत का दरोग़ा
कुछ मौलवी हूरों की तिजारत में लगे हैं

इंसां को ज़रा अक्ल मिली क्या कि है बाग़ी
बाक़ी तो सभी उसकी इताअत में लगे हैं

लगता है कि इक खेल खिलौना है ये दुनिया
बच्चों की तरह लोग शरारत में लगे हैं

मौजूदा हुकूमत से परेशान बहुत थे
अब दूसरे ज़ालिम की हिमायत में लगे हैं

अब फै़सला सुनते हैं कि महशर में मिलेगा
मुद्दत से कई केस अदालत में लगे हैं

हमको भी तो आता है हुनर तेग़ज़नी [1] का
ये ज़ख़्म तो बस यूं ही शराफ़त में लगे हैं

ये लोग मिरे देश के बनते हैं मुहाफ़िज़ [2]
सौ लोग तो ख़ुद इनकी हिफ़ाज़त में लगे हैं

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तलवार चलाना
  2. हिफाज़त करने वाले

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