जो जैसे थे वो वैसे ही सरे महशर निकल आये वली समझे थे जिसको उनमें जादूगर निकल आये सहारे के लिए फिर से कोई ताज़ा ख़ुदा ढूंढ़ें ख़ुदा समझे थे जिनको वो तो सब पत्थर निकल आये मैं समझा था कि इक मैं ही तिरा बीमारे-उल्फ़त हूं तुम्हारे तो शहर में और भी चक्कर निकल आये इन्हीं की दम पे दुनिया को फ़तह करने चला था मैं इधर तो आस्तीनों में कई ख़जर निकल आये मिरी इज़्ज़त को तू ही ढांके रखना ऐ मिरे मौला ये मेरे पांव तो चादर से अब बाहर निकल आये हमेशा सीधे रस्ते पर चला मुझको मिरे आका ग़लत रस्ते पे जब निकलूं कोई ठोकर निकल आये खुदाया किस से अब तौहीद की तालीम सीखें हम बराहीमी घरानों में भी अब आज़र निकल आये अभी कल तक यही दांतों तले उंगली दबाते थे ज़रा सा बोलना आया तो इनके पर निकल आये मियां लादेन तेरे हौसले की दाद देता हूं तिरे तन्हा मुकाबिल में कई लशकर निकल आये