ये अपना मिलन जैसे -अना क़ासमी

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ये अपना मिलन जैसे -अना क़ासमी
जन्म 28 फरवरी, 1966
जन्म स्थान छतरपुर, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ हवाओं के साज़ पर (ग़ज़ल संग्रह), मीठी सी चुभन (ग़ज़ल संग्रह),
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अना क़ासमी की रचनाएँ

ये अपना मिलन जैसे इक शाम का मंज़र है,
मैं डूबता सूरज हूँ तू बहता समन्दर है

सोने का सनम था वो, सबने उसे पूजा है,
उसने जिसे चाहा है वो रेत का पैकर है

जो दूर से चमके हैं वो रेत के ज़र्रे हैं,
जो अस्ल में मोती है वो सीप के अन्दर है

दिल और भी लेता चल पहलू में जो मुमकिन हो,
उस शोख़ के रस्ते में एक और सितमगर है

दो दोस्त मयस्सर हैं इस प्यार के रस्ते में,
इक मील का पत्थर है, इक राह का पत्थर है

सब भूल गया आख़िर पैराक हुनर अपने,
अब झील-सी आँखों में मरना ही मुक़द्दर है

अब कौन उठाएगा इस बोझ को किश्ती पर,
किश्ती के मुसाफ़िर की आँखों में समन्दर है

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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