कणाद सूत्र निबन्धवृत्ति: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:32, 14 June 2011
वादीन्द्रभट्ट (शंकरकिंकर) विरचित कणाद सूत्र निबन्धवृत्ति
- न्यायसार के व्याख्याकार राघव भट्ट के गुरु, श्रीसिंहराज सभा के धर्माध्यक्ष, महाविद्याविडम्बन के रचयिता, योगेश्वर के शिष्य, तथा वादीन्द्रभट्ट उपनाम से विख्यात शंकरकिंकर नामक आचार्य ने वैशेषिक सूत्र पर व्याख्या लिखी थी[1] जिसका नाम कणादसूत्र-निबन्धवृत्ति था। इनका समय 13वीं शती के आसपास माना जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ क. कणादसूत्रनिबन्धवृत्ति की अपूर्ण प्रतियाँ मद्रास तथा बड़ौदा पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं।
ख. J.O.I. Baroda, VoleX, No-1, PP. 22-31,