प्रणामी सम्प्रदाय: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''परिणामी सम्प्रदाय''' [[वैष्णव|वैष्णवों]] का एक उप सम्प्रदाय | '''प्रणामी सम्प्रदाय''' अथवा '''परिणामी सम्प्रदाय''' [[वैष्णव|वैष्णवों]] का एक उप सम्प्रदाय है। इस सम्पद्राय के प्रवर्तक महात्मा प्राणनाथजी परिणामवादी वेदान्ती थे। [[भारत]] में इन्होंने कई प्रांतों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया। आज भी इनके अनुयायी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। | ||
*महात्मा प्राणनाथजी [[पन्ना]] [[बुंदेलखण्ड]] के रहने वाले थे। | *महात्मा प्राणनाथजी [[पन्ना]] [[बुंदेलखण्ड]] के रहने वाले थे। | ||
*बुंदेलखण्ड के महाराज [[छत्रसाल]] इन्हें अपना गुरु मानते थे। | *बुंदेलखण्ड के महाराज [[छत्रसाल]] इन्हें अपना गुरु मानते थे। | ||
Line 13: | Line 12: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दू धर्मकोश|लेखक=डॉ. राजबली पाण्डेय|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=390|url=}} | {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दू धर्मकोश|लेखक=डॉ. राजबली पाण्डेय|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=390|url=}} | ||
Line 21: | Line 19: | ||
[[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:हिन्दू धर्म]] | [[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:हिन्दू धर्म]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 08:29, 3 April 2014
प्रणामी सम्प्रदाय अथवा परिणामी सम्प्रदाय वैष्णवों का एक उप सम्प्रदाय है। इस सम्पद्राय के प्रवर्तक महात्मा प्राणनाथजी परिणामवादी वेदान्ती थे। भारत में इन्होंने कई प्रांतों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया। आज भी इनके अनुयायी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं।
- महात्मा प्राणनाथजी पन्ना बुंदेलखण्ड के रहने वाले थे।
- बुंदेलखण्ड के महाराज छत्रसाल इन्हें अपना गुरु मानते थे।
- महात्मा प्राणनाथजी मुसलमानों का मेहदी, ईसाइयों का मसीहा और हिन्दुओं का कल्कि अवतार कहते थे।
- इन्होंने मुसलमानों से कई शास्त्रार्थ तथा वाद-विवाद भी किये थे।
- 'सर्वधर्मसमन्वय' की भावना को जागृत करना ही इनका प्रमुख लक्ष्य था।
- इनके द्वारा प्रतिपादित मत प्राय: निम्बार्कियों के जैसा था।
- प्राणनाथजी गोलोकवासी श्री कृष्ण के साथ सख्य भाव रखने की शिक्षा देते थे।
- इन्होंने अपने जीवन में अनेक रचनाएँ भी की हैं।
- भारत में इनकी शिष्य परम्परा का भी एक अच्छा साहित्य है।
- इनके अनुयायी वैष्णव हैं और गुजरात, राजस्थान, बुंदेलखण्ड में अधिक पाये जाते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 390 |
संबंधित लेख