वरुणा नदी: Difference between revisions
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'''वरुणा नदी''' [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] में बहने वाली एक छोटी नदी है। शहर में यह नदी उत्तर दिशा से [[गंगा]] में मिलती है। ऐसा माना जाता है कि वरुणा और असी नदियों के बीच में बसे होने के कारण ही वाराणसी का यह नाम हुआ था। | |||
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|आधार= | *'[[ब्रह्मपुराण]]' में [[शिव]] [[पार्वती]] से कहते हैं- "हे सुखवल्लभे! वरुणा और असी इन दोनों नदियों के बीच में ही [[वाराणसी]] क्षेत्र है और उससे बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।"<ref>मोतीचंद्र, काशी का इतिहास, पृष्ठ 5</ref> | ||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | *[[अग्निपुराण]] में 'वरुणा' और 'असी' नदियों के बीच स्थित वाराणसी का विस्तार पूर्व से पश्चिम दो [[योजन]] और दूसरी जगह आधा योजन दिया है- | ||
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|पूर्णता= | <blockquote><poem>द्वियोजन तु पर्व स्याद्योजनार्द्ध तदन्यथा। | ||
|शोध= | वरुणा च नदी चासी मध्ये वाराणसी तयो॥<ref>[[अग्निपुराण]], अध्याय 11, पृष्ठ 6</ref></poem></blockquote> | ||
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*[[वाराणसी]] को वरुणा नदी पर स्थित बतलाया गया है।<ref>महावस्तु, भाग 3, पृष्ठ 402</ref> | |||
*वरुणा नाम की एक नदी को [[मध्य प्रदेश]] में [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] की सहायक नदी कहा गया है, जो सोहागपुर स्टेशन<ref>इटारसी-[[इलाहबाद]] रेलपथ</ref> से कुछ मील दूर नर्मदा में मिलती है। इनके [[संगम]] पर 'वारुणेश्वर मंदिर' स्थित है और पास ही 'सिगलवाड़ा' नामक [[ग्राम]] है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=834|url=}}</ref> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
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Latest revision as of 13:09, 18 October 2014
[[चित्र:Varuna-River.jpg|thumb|250px|वरुणा नदी, वाराणसी]] वरुणा नदी वाराणसी, उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक छोटी नदी है। शहर में यह नदी उत्तर दिशा से गंगा में मिलती है। ऐसा माना जाता है कि वरुणा और असी नदियों के बीच में बसे होने के कारण ही वाराणसी का यह नाम हुआ था।
- वाराणसी का विस्तार गंगा नदी के दो संगमों वरुणा और असी नदी से संगम के बीच बताया जाता है।
- 'अथर्ववेद'[1] में वरणावती नदी का उल्लेख है। संभवत: यह आधुनिक वरुणा का ही समानार्थक है।
- 'ब्रह्मपुराण' में शिव पार्वती से कहते हैं- "हे सुखवल्लभे! वरुणा और असी इन दोनों नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है और उससे बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।"[2]
- अग्निपुराण में 'वरुणा' और 'असी' नदियों के बीच स्थित वाराणसी का विस्तार पूर्व से पश्चिम दो योजन और दूसरी जगह आधा योजन दिया है-
द्वियोजन तु पर्व स्याद्योजनार्द्ध तदन्यथा।
वरुणा च नदी चासी मध्ये वाराणसी तयो॥[3]
- वरुणा नाम की एक नदी को मध्य प्रदेश में नर्मदा की सहायक नदी कहा गया है, जो सोहागपुर स्टेशन[5] से कुछ मील दूर नर्मदा में मिलती है। इनके संगम पर 'वारुणेश्वर मंदिर' स्थित है और पास ही 'सिगलवाड़ा' नामक ग्राम है।[6]
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