सोमदेव के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए। | * अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए। | ||
* दो व्यक्तियों के एक चित्त होने पर कोई कार्य असाध्य नहीं होता। | * दो व्यक्तियों के एक चित्त होने पर कोई कार्य असाध्य नहीं होता। | ||
* बल तथा कोश से संपन्न | * बल तथा कोश से संपन्न महान् व्यक्तियों का महत्व ही क्या यदि उन्होंने दूसरों के कष्ट का उसी क्षण विनाश नहीं किया। | ||
* धन तो असमय के मेघ के समान अकस्मात आता है और चला जाता है। | * धन तो असमय के मेघ के समान अकस्मात आता है और चला जाता है। | ||
* परिश्रमी धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है। | * परिश्रमी धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है। |