माघ के अनमोल वचन

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माघ के अनमोल वचन
  • दुर्बल चरित्र वाला उस सरकंडे के समान है जो हवा के हर झोंकें से झुक जाता है।
  • दुराग्रह से ग्रस्त चित्त वालों के लिए सुभाषित व्यर्थ है।
  • उन्होंने (श्रीकृष्ण ने) पहले नवपल्लवयुक्त पलाशवन वाली विकसित, पराग से परिपूर्ण कमलों वाली तथा पुष्पसुगंधों मतवाली हुई वसंत ऋतु को देखा।
  • योग्य व्यक्ति से किसका काम पूरा नहीं होता।
  • बिना राजा के देश में किसी की कोई वस्तु अपनी नहीं रहती। मछलियों की भांति सब लोग एक-दूसरे को अपना ग्रास बनाते, लूटते-खसोटते रहते हैं।
  • अतिशय सम्पन्नता को पाकर भी गर्वरहित सज्जन किसी को थोड़ा भी नहीं भूलता।
  • ऊंचाई पर पहुंचे हुए जल बरसाने वाले बादल का ऊसर को छोड़ना क्या उचित है ?
  • भ्रम में पड़े हुए व्यक्ति को विवेक कहां?
  • उदात्त चित्त वाले लोगों में दूसरों के प्रकट हुए दोषों को भी चिरकाल तक छिपाने की निपुणता होती है और अपने गुण को प्रकट करने में उन्हें अतिशय अकौशल होता है।
  • अपार संपन्नता पाकर भी अहंकार से मुक्त सज्जन किसी को तनिक भी नहीं भूलता।
  • जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता।
  • सत्यप्रतिज्ञ श्रेष्ठ व्यक्ति को कटु वचन कह कर भी कौन क्षुब्ध कर सकता है? (कोई नहीं)।
  • परिचित गुणों का स्मरण रखने वाले उत्तम लोग सारे दोषों को स्मरण रखने में कुशल नहीं होते।
  • छोटे शत्रु को छोटे उपाय करके ही काबू मे लाना चाहिए। जैसे चूहे को सिंह नहीं बिल्ली ही मारती है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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