क़ुतुब मीनार: Difference between revisions

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*[[मीनार]] में देवनागरी भाषा के [[शिलालेख]] के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] ने ठीक करवाया था।  
*[[मीनार]] में देवनागरी भाषा के [[शिलालेख]] के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] ने ठीक करवाया था।  
*इसके बाद में 1368 में [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] ने इसकी ऊपरी मंज़िल को हटाकर इसमें दो मंज़िलें और जुड़वा दीं। इसके पास [[इल्तुतमिश|सुल्तान इल्तुतमिश]], [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]], [[बलबन]] व [[अकबर]] की धाय माँ के पुत्र अधम ख़ाँ के मक़बरे स्थित हैं।  
*इसके बाद में 1368 में [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] ने इसकी ऊपरी मंज़िल को हटाकर इसमें दो मंज़िलें और जुड़वा दीं। इसके पास [[इल्तुतमिश|सुल्तान इल्तुतमिश]], [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]], [[बलबन]] व [[अकबर]] की धाय माँ के पुत्र अधम ख़ाँ के मक़बरे स्थित हैं।  
*मीनार का पहला खंड 32 गज कुछ इंच, दूसरा खंड 17 गज कुछ इंच, तीसरा खंड 13 गज, चौथा खंड सवा आठ गज और पाँचवा खंड भी उस थोड़ी सी ऊँ चाई सहित जो कटहरे के भीतर है, सवा आठ गज है। इस प्रकार इसके वर्तमान पाँचों खंडों की, ऊँ चाई लगभग 80 गज होती है। पत्थर की बुर्जी की ऊँचाई, जो [[अंग्रेज़ी शासन |अंग्रेजी शासन]] काल में चढ़ाई गई थी और अब उतारकर नीचे रख दी गई है, 6 गज है। यह मीनार भीतर से खोखली है और इसमें चक्करदार सीढ़ियाँ बनी हुई हैं जिनसे ऊपर तक पहुँचा जा सकता है।
*कुतुब मीनार को जिस भी पहलू तथा स्थान से देखा जाए, [[हृदय]] पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है और अनुभव होता है कि यह एक प्रभावोत्पादक विचार का साकार रूप है। इसके लाल पत्थरों का स्वच्छ रंग, मंजिलों की [[अलंकरण]] की दृष्टि से एक दूसरे से भिन्नता, स्थापत्य के सादा काम के बाद सुंदर शिल्पकारी, छज्जों के नीचे जगमगाती छाया, इन सबका सामूहिक रूप से एक गहरा तथा मनोरंजक प्रभाव पड़ता है। इस मीनार को एक ओर से कम करते हुए इस उद्देश्य से वर्तुलाकार बनाया गया था कि देखनेवालों को ऐसा प्रतीत हो कि वह ऊपर आकाश में घुसती चली गई है और उसकी ऊँचाई बढ़ती जाती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=59 |url=}}</ref>
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Latest revision as of 11:20, 25 July 2018

क़ुतुब मीनार
विवरण इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया।
केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
ज़िला नई दिल्ली
निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक
निर्माण काल 1193-1368
स्थापना 1193
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 28.534355; पूर्व- 77.185248
मार्ग स्थिति क़ुतुब मीनार, लाला लाजपत राय पथ से 19.5 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, हज़रत निज़ामुद्दीन
बस अड्डा आई. एस. बी. टी, सराय काले ख़ाँ, आनंद विहार
यातायात रिक्शा, टैक्सी, लोकल रेल, मेट्रो रेल, बस
क्या देखें लाल क़िला, इण्डिया गेट, जामा मस्जिद, राष्ट्रपति भवन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 011
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र
संबंधित लेख ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी।


अद्यतन‎

क़ुतुब मीनार लालकोट स्मारक के ऊपर स्थित बहुत ऊँची मीनार है, यह दिल्ली के सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया।

  • इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया।
  • ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी।
  • लाल और हल्के पीले पत्थर से बनी इस इमारत पर क़ुरान की आयतें लिखी हैं।
  • मूल रूप से क़ुतुबमीनार सात मंज़िल का था लेकिन अब यह पाँच मंज़िल का ही रह गया है।
  • क़ुतुब मीनार की कुल ऊँचाई 72.5 मीटर है और इसमें 379 सीढ़ियाँ हैं। समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई है।
  • इसकी दीवारों पर जिन बादशाहों ने इसकी मरम्मत कराई उनका उल्लेख मिलता है।
  • क़ुतुब मीनार परिसर में और भी कई इमारते हैं। भारत की पहली कुव्वत-उल-इस्लाम-मस्जिद, अलई दरवाज़ा और इल्तुतमिश का मक़बरा भी यहाँ बना हुआ है।
  • मस्जिद के पास ही चौथी शताब्दी में बना लौहस्तंभ भी है जो पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।
  • पाँच मंज़िला इस इमारत की तीन मंज़िलें लाल पत्थरों से एवं दो मंज़िलें संगमरमर एवं लाल पत्थर से निर्मित हैं। प्रत्येक मंज़िल के आगे बालकॉनी होने से भली-भाँति दिखाई देती है।
  • मीनार में देवनागरी भाषा के शिलालेख के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने ठीक करवाया था।
  • इसके बाद में 1368 में फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने इसकी ऊपरी मंज़िल को हटाकर इसमें दो मंज़िलें और जुड़वा दीं। इसके पास सुल्तान इल्तुतमिश, अलाउद्दीन ख़िलज़ी, बलबनअकबर की धाय माँ के पुत्र अधम ख़ाँ के मक़बरे स्थित हैं।
  • मीनार का पहला खंड 32 गज कुछ इंच, दूसरा खंड 17 गज कुछ इंच, तीसरा खंड 13 गज, चौथा खंड सवा आठ गज और पाँचवा खंड भी उस थोड़ी सी ऊँ चाई सहित जो कटहरे के भीतर है, सवा आठ गज है। इस प्रकार इसके वर्तमान पाँचों खंडों की, ऊँ चाई लगभग 80 गज होती है। पत्थर की बुर्जी की ऊँचाई, जो अंग्रेजी शासन काल में चढ़ाई गई थी और अब उतारकर नीचे रख दी गई है, 6 गज है। यह मीनार भीतर से खोखली है और इसमें चक्करदार सीढ़ियाँ बनी हुई हैं जिनसे ऊपर तक पहुँचा जा सकता है।
  • कुतुब मीनार को जिस भी पहलू तथा स्थान से देखा जाए, हृदय पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है और अनुभव होता है कि यह एक प्रभावोत्पादक विचार का साकार रूप है। इसके लाल पत्थरों का स्वच्छ रंग, मंजिलों की अलंकरण की दृष्टि से एक दूसरे से भिन्नता, स्थापत्य के सादा काम के बाद सुंदर शिल्पकारी, छज्जों के नीचे जगमगाती छाया, इन सबका सामूहिक रूप से एक गहरा तथा मनोरंजक प्रभाव पड़ता है। इस मीनार को एक ओर से कम करते हुए इस उद्देश्य से वर्तुलाकार बनाया गया था कि देखनेवालों को ऐसा प्रतीत हो कि वह ऊपर आकाश में घुसती चली गई है और उसकी ऊँचाई बढ़ती जाती है।[1]

[[चित्र:Qutub-Minar.jpg|thumb|250px|left|क़ुतुब मीनार, दिल्ली]] [[चित्र:Qutub-Minar-Delhi-9.jpg|250px|left|क़ुतुब मीनार, दिल्ली|thumb]]

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[[चित्र:Qutub-Minar-1.jpg|thumb|thumb|550px|center|क़ुतुब मीनार, दिल्ली]]

वीथिका

संबंधित लेख

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 59 |