दुर्लभक: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "सिक़्क़े" to "सिक्के") |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 13: | Line 13: | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
|आधार= | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
|प्रारम्भिक= | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
Line 26: | Line 21: | ||
{{भारत के राजवंश}} | {{भारत के राजवंश}} | ||
[[Category:इतिहास_कोश]] | [[Category:इतिहास_कोश]] | ||
[[Category:कर्कोटक वंश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 11:04, 3 March 2013
(632 से 682ई.)
- दुर्लभक दुर्लभ वर्धन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
- इसके अनेक सिक्के प्राप्त हुए हैं।
- इन पर इसे 'श्रीप्रताप' कहा गया है।
- उसने प्रतापुर नगर बसाया था।
- उसने 'प्रतापादित्य' की उपाधि धारण की सिंहासन ग्रहण किया।
- 'प्रतापपुर नगर' की स्थापना दुर्लभक द्वारा की गयी।
- उसके तीन पुत्रों का क्रम इस प्रकार था -
- चन्द्रपीड, तारापीड एवं मुक्तापीड अथवा ब्रजादित्य,
- उदयादित्य, एवं
- ललितादित्य।
- इन तीनों तारापीड को कल्हण ने क्रूर शासक बताया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित कडियाँ