पुष्कलावती: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''पुष्कलावती''' उत्तर-पश्चिम [[भारत]] के सरहदी नगरों में आता था। यहाँ से एक व्यापारिक मार्ग [[तक्षशिला]], [[मथुरा]], [[कान्यकुब्ज]], [[कौशाम्बी]], [[पाटलिपुत्र]] होते हुये [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के समुद्रतट पर स्थित [[ताम्रलिप्ति]] की ओर निकल जाता था। इसी रास्ते को [[पाणिनि]] ने 'उत्तर-पथ' कहा है, जो आधुनिक "ग्रैड ट्रंक रोड" का स्मरण दिलाता है। | |||
*पुष्कलावती से पश्चिम की ओर यही मार्ग हिन्दुकुश के दर्रों से होकर बाहरी देशों को निकल जाता था। इसी रास्ते के हिन्दुकुश-पहाड़ वाले भाग को भारतवर्ष के लोग 'हैमवत-पथ' (अर्थात् वह रास्ता जो कि पर्वती क्षेत्र से होकर जाता था) कहते थे। | *पुष्कलावती से पश्चिम की ओर यही मार्ग हिन्दुकुश के दर्रों से होकर बाहरी देशों को निकल जाता था। इसी रास्ते के हिन्दुकुश-पहाड़ वाले भाग को भारतवर्ष के लोग 'हैमवत-पथ' (अर्थात् वह रास्ता जो कि पर्वती क्षेत्र से होकर जाता था) कहते थे। | ||
*भारतीय परंपरा के अनुसार इस नगर का नाम [[भरत]] के पुत्र पुष्क के नाम के आधार पर पड़ा था। | *भारतीय परंपरा के अनुसार इस नगर का नाम [[भरत]] के पुत्र पुष्क के नाम के आधार पर पड़ा था। [[टॉलमी]] तथा एरियन आदि विदेशी लेखकों के अनुसार इस नगर का क्षेत्रफल विशाल था तथा इसकी आबादी बहुत ही घनी थी। | ||
*[[हुएन-सांग|हुयेनसांग]] के अनुसार पुष्कलावती का घेरा तीन मील के लगभग था। नागरिक सुखी एवं संपन्न थे। वहाँ [[अशोक]] ने एक स्तूप बनवा रखा था, जिस पर लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते थे। | *[[हुएन-सांग|हुयेनसांग]] के अनुसार पुष्कलावती का घेरा तीन मील के लगभग था। नागरिक सुखी एवं संपन्न थे। वहाँ [[अशोक]] ने एक स्तूप बनवा रखा था, जिस पर लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते थे। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{ | ==संबंधित लेख== | ||
{{पौराणिक स्थान}} | |||
[[Category:पौराणिक स्थान]] | |||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
[[Category:पर्यटन कोश]] [[Category:ऐतिहासिक स्थल]] | [[Category:पर्यटन कोश]] [[Category:ऐतिहासिक स्थल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 11:05, 25 March 2015
पुष्कलावती उत्तर-पश्चिम भारत के सरहदी नगरों में आता था। यहाँ से एक व्यापारिक मार्ग तक्षशिला, मथुरा, कान्यकुब्ज, कौशाम्बी, पाटलिपुत्र होते हुये बंगाल के समुद्रतट पर स्थित ताम्रलिप्ति की ओर निकल जाता था। इसी रास्ते को पाणिनि ने 'उत्तर-पथ' कहा है, जो आधुनिक "ग्रैड ट्रंक रोड" का स्मरण दिलाता है।
- पुष्कलावती से पश्चिम की ओर यही मार्ग हिन्दुकुश के दर्रों से होकर बाहरी देशों को निकल जाता था। इसी रास्ते के हिन्दुकुश-पहाड़ वाले भाग को भारतवर्ष के लोग 'हैमवत-पथ' (अर्थात् वह रास्ता जो कि पर्वती क्षेत्र से होकर जाता था) कहते थे।
- भारतीय परंपरा के अनुसार इस नगर का नाम भरत के पुत्र पुष्क के नाम के आधार पर पड़ा था। टॉलमी तथा एरियन आदि विदेशी लेखकों के अनुसार इस नगर का क्षेत्रफल विशाल था तथा इसकी आबादी बहुत ही घनी थी।
- हुयेनसांग के अनुसार पुष्कलावती का घेरा तीन मील के लगभग था। नागरिक सुखी एवं संपन्न थे। वहाँ अशोक ने एक स्तूप बनवा रखा था, जिस पर लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते थे।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख