रणकपुर जैन मंदिर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} राजस्थान में स्थित रणकपुर [[जैन धर...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
कविता बघेल (talk | contribs) No edit summary |
||
(8 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{पुनरीक्षण}} | {{पुनरीक्षण}} | ||
{{ | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
[[राजस्थान]] में स्थित | |चित्र=Ranakpur-Jain-Temple-4.jpg | ||
|चित्र का नाम=रणकपुर जैन मंदिर | |||
|विवरण='रणकपुर जैन मंदिर' [[राजस्थान]] में स्थित [[जैन धर्म]] के पाँच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह स्थान ख़ूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। | |||
|शीर्षक 1=राज्य | |||
|पाठ 1=[[राजस्थान]] | |||
|शीर्षक 2=ज़िला | |||
|पाठ 2=[[उदयपुर]] | |||
|शीर्षक 3=निर्देशांक | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5=निर्माण काल | |||
|पाठ 5=600 [[वर्ष]] पूर्व 1446 [[विक्रम संवत]] | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[राजस्थान]], [[उदयपुर]], [[मेवाड़]], [[मेवाड़ का इतिहास]], [[मेवाड़ (आज़ादी से पूर्व)]] | |||
|अन्य जानकारी= मंदिर के उत्तर में रायन पेड़ स्थित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान [[ऋषभदेव]] के पदचिह्न भी हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|16:40, 6 नवम्बर 2016 (IST)}} | |||
}} | |||
'''रणकपुर जैन मंदिर''' [[राजस्थान]] में स्थित [[जैन धर्म]] के पाँच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह स्थान ख़ूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। रणकपुर मंदिर [[उदयपुर]] से 96 किलोमीटर की दूरी पर है। [[भारत]] के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है। | |||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
इन मंदिरों का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। यहाँ के जैन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि उसके आस पास की जगहों में भी अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जैन धर्म के आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प के दिलचस्पी रखने वालों को भी यह जगह बहुत भाती है।<ref>{{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/PhotoGallary.aspx?gallery=240 |title=रणकपुर |accessmonthday= [[27 सितंबर]]|accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref> | इन मंदिरों का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। यहाँ के जैन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि उसके आस पास की जगहों में भी अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जैन धर्म के आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प के दिलचस्पी रखने वालों को भी यह जगह बहुत भाती है।<ref>{{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/PhotoGallary.aspx?gallery=240 |title=रणकपुर |accessmonthday= [[27 सितंबर]]|accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==निर्माण काल== | ==निर्माण काल== | ||
यह इमारत लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है। संभवतः 600 [[वर्ष]] पूर्व 1446 [[विक्रम संवत]] में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला। इसके निर्माण में | यह इमारत लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है। संभवतः 600 [[वर्ष]] पूर्व 1446 [[विक्रम संवत]] में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला। इसके निर्माण में क़रीब 99 लाख रुपए का खर्च किए गए थे। उदयपुर से रणकपुर जैन मन्दिर के लिए प्राइवेट बसें तथा टैक्सियाँ उपलब्ध रहती हैं। | ||
[[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple.jpg|thumb|250px|left|रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर]] | |||
==प्रवेश द्वार== | ==प्रवेश द्वार== | ||
मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। संभवतः 72 इंच ऊँची ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है। | मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। संभवतः 72 इंच ऊँची ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है। | ||
==स्थापत्य कला== | ==स्थापत्य कला== | ||
मंदिर की प्रमुख विशेषता इसके सैकड़ों खम्भे हैं। इनकी संख्या संभवतः 1444 है। जिस तरफ भी दृष्टि जाती है छोटे-बड़े आकारों के खम्भे दिखाई देते हैं, परंतु ये खम्भे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के 'दर्शन' में बाधा नहीं पहुँचती है। इन खम्भों पर सुंदर | मंदिर की प्रमुख विशेषता इसके सैकड़ों खम्भे हैं। इनकी संख्या संभवतः 1444 है। जिस तरफ भी दृष्टि जाती है छोटे-बड़े आकारों के खम्भे दिखाई देते हैं, परंतु ये खम्भे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के 'दर्शन' में बाधा नहीं पहुँचती है। इन खम्भों पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। | ||
इसके अलावा मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्रार्थना कक्ष तथा चार बड़े पूजन स्थल हैं। ये मनुष्य को जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। | इसके अलावा मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्रार्थना कक्ष तथा चार बड़े पूजन स्थल हैं। ये मनुष्य को जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। | ||
Line 17: | Line 47: | ||
मंदिर के निर्माताओं ने जहाँ कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है, वहीं भविष्य में किसी संकट का अनुमान लगाते हुए कई तहखाने भी बनाए हैं। इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ये तहखाने मंदिर के निर्माताओं की निर्माण संबंधी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/रणकपुर-जैन-मंदिर/रणकपुर-का-जैन-मंदिर-1081020084_1.htm |title=रणकपुर का जैन मंदिर |accessmonthday=[[27 सितंबर]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच. टी. एम |publisher=वेब दूनिया हिन्दी|language=हिन्दी }}</ref> | मंदिर के निर्माताओं ने जहाँ कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है, वहीं भविष्य में किसी संकट का अनुमान लगाते हुए कई तहखाने भी बनाए हैं। इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ये तहखाने मंदिर के निर्माताओं की निर्माण संबंधी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/रणकपुर-जैन-मंदिर/रणकपुर-का-जैन-मंदिर-1081020084_1.htm |title=रणकपुर का जैन मंदिर |accessmonthday=[[27 सितंबर]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच. टी. एम |publisher=वेब दूनिया हिन्दी|language=हिन्दी }}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==वीथिका== | |||
[[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur.jpg|thumb|450px|center|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]]]] | |||
<gallery> | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-1.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-2.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-3.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-6.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-7.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-8.jpg|रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]] | |||
</gallery> | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | ==संबंधित लेख== | ||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}{{जैन धर्म2}} | |||
[[Category:राजस्थान]] | [[Category:राजस्थान]] | ||
[[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]] | [[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]] | ||
Line 32: | Line 69: | ||
[[Category:जैन मन्दिर]] | [[Category:जैन मन्दिर]] | ||
[[Category:राजस्थान के धार्मिक स्थल]] | [[Category:राजस्थान के धार्मिक स्थल]] | ||
[[Category:जैन धार्मिक स्थल]] | |||
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | [[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 11:19, 19 July 2017
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
रणकपुर जैन मंदिर
| |
विवरण | 'रणकपुर जैन मंदिर' राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह स्थान ख़ूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर |
निर्माण काल | 600 वर्ष पूर्व 1446 विक्रम संवत |
संबंधित लेख | राजस्थान, उदयपुर, मेवाड़, मेवाड़ का इतिहास, मेवाड़ (आज़ादी से पूर्व) |
अन्य जानकारी | मंदिर के उत्तर में रायन पेड़ स्थित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिह्न भी हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं। |
अद्यतन | 16:40, 6 नवम्बर 2016 (IST)
|
रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह स्थान ख़ूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। रणकपुर मंदिर उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है।
इतिहास
इन मंदिरों का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। यहाँ के जैन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि उसके आस पास की जगहों में भी अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जैन धर्म के आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प के दिलचस्पी रखने वालों को भी यह जगह बहुत भाती है।[1]
निर्माण काल
यह इमारत लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है। संभवतः 600 वर्ष पूर्व 1446 विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला। इसके निर्माण में क़रीब 99 लाख रुपए का खर्च किए गए थे। उदयपुर से रणकपुर जैन मन्दिर के लिए प्राइवेट बसें तथा टैक्सियाँ उपलब्ध रहती हैं। thumb|250px|left|रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
प्रवेश द्वार
मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। संभवतः 72 इंच ऊँची ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है।
स्थापत्य कला
मंदिर की प्रमुख विशेषता इसके सैकड़ों खम्भे हैं। इनकी संख्या संभवतः 1444 है। जिस तरफ भी दृष्टि जाती है छोटे-बड़े आकारों के खम्भे दिखाई देते हैं, परंतु ये खम्भे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के 'दर्शन' में बाधा नहीं पहुँचती है। इन खम्भों पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है।
इसके अलावा मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्रार्थना कक्ष तथा चार बड़े पूजन स्थल हैं। ये मनुष्य को जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।
मंदिर के उत्तर में रायन पेड़ स्थित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिह्न भी हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं।
मंदिर के निर्माताओं ने जहाँ कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है, वहीं भविष्य में किसी संकट का अनुमान लगाते हुए कई तहखाने भी बनाए हैं। इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ये तहखाने मंदिर के निर्माताओं की निर्माण संबंधी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं।[2]
|
|
|
|
|
वीथिका
[[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur.jpg|thumb|450px|center|रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर]]
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
-
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख