रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | * मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | ||
* हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | * हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | ||
* हम | * हम महान् व्यक्तियों के निकट पहुंच जाते हैं, जब हम नम्रता में महान् होते हैं। | ||
* भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | * भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | ||
* मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। | * मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। |