लक्ष्मणराज: Difference between revisions
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*अपने विजय अभियान के अन्तर्गत ही लक्ष्मणराज ने सोमनाथ पत्तन को जीता। | *अपने विजय अभियान के अन्तर्गत ही लक्ष्मणराज ने सोमनाथ पत्तन को जीता। | ||
*वह [[शैव मत|शैव]] मतावलम्बी था। लक्ष्मणराज के दो पुत्र शंकरगण एवं युवराज द्वितीय निर्बल शासक थे। युवराज द्वितीय के पुत्र कोकल्ल द्वितीय ने कलचुरी वंश के सिंहासन पर बैठ के सिंहासन पर बैठ कर कलचुरियों की खोई प्रतिष्ठा को पुनः | *वह [[शैव मत|शैव]] मतावलम्बी था। लक्ष्मणराज के दो पुत्र शंकरगण एवं युवराज द्वितीय निर्बल शासक थे। युवराज द्वितीय के पुत्र कोकल्ल द्वितीय ने कलचुरी वंश के सिंहासन पर बैठ के सिंहासन पर बैठ कर कलचुरियों की खोई प्रतिष्ठा को पुनः क़ायम किया। उसने चामुण्डाराज नामक चालुक्य राजा को पराजित किया था। चालुक्यों के अतिरिक्त गौड़ एवं कुन्तल के अभियानों में भी सफलता प्राप्त हुई। उसने 1019 ई. तक शासन किया। | ||
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Revision as of 14:17, 29 January 2013
(888 से 1019 ई.)
- युवराज प्रथम का पुत्र .एवं उत्तराधिकारी लक्ष्मणराज विस्तावादी प्रवृति का शासक था।
- पूर्व में उसने उड़ीसा, बंगाल एवं कोशल को जीता।
- उड़ीसा अभियान में लक्ष्मणराज ने वहां के शासक से सोने एवं मणियों से निर्मित कलिया नाग को छीन लिया था।
- अपने विजय अभियान के अन्तर्गत ही लक्ष्मणराज ने सोमनाथ पत्तन को जीता।
- वह शैव मतावलम्बी था। लक्ष्मणराज के दो पुत्र शंकरगण एवं युवराज द्वितीय निर्बल शासक थे। युवराज द्वितीय के पुत्र कोकल्ल द्वितीय ने कलचुरी वंश के सिंहासन पर बैठ के सिंहासन पर बैठ कर कलचुरियों की खोई प्रतिष्ठा को पुनः क़ायम किया। उसने चामुण्डाराज नामक चालुक्य राजा को पराजित किया था। चालुक्यों के अतिरिक्त गौड़ एवं कुन्तल के अभियानों में भी सफलता प्राप्त हुई। उसने 1019 ई. तक शासन किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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