मालविकाग्निमित्रम्: Difference between revisions
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*यह कालिदास की '''प्रथम नाट्य कृति''' है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता तो [[विक्रमोर्वशीय]] अथवा [[अभिज्ञानशाकुन्तलम]] में है। | *यह कालिदास की '''प्रथम नाट्य कृति''' है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता तो [[विक्रमोर्वशीय]] अथवा [[अभिज्ञानशाकुन्तलम]] में है। | ||
*[[विदिशा]] का राजा अग्निमित्र इस नाटक का नायक है तथा [[विदर्भ]] राज की भगिनी मालविका इसकी नायिका है। | *[[विदिशा]] का राजा अग्निमित्र इस नाटक का नायक है तथा [[विदर्भ]] राज की भगिनी मालविका इसकी नायिका है। |
Revision as of 13:19, 25 June 2013
मालविकाग्निमित्रम्
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कवि | महाकवि कालिदास |
मूल शीर्षक | मालविकाग्निमित्रम् |
मुख्य पात्र | अग्निमित्र और मालविका |
देश | भारत |
भाषा | संस्कृत |
विधा | नाटक |
विशेष | यह शृंगार रस प्रधान 5 अंकों का नाटक है। |
मालविकाग्निमित्रम् चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पांचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में कालिदास द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रंथ है जिससे पुष्यमित्र शुंग एवं उसके पुत्र अग्निमित्र के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा शुंग एवं यवन संघर्ष का उल्लेख मिलता है।
- यह शृंगार रस प्रधान 5 अंकों का नाटक है।
- यह कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता तो विक्रमोर्वशीय अथवा अभिज्ञानशाकुन्तलम में है।
- विदिशा का राजा अग्निमित्र इस नाटक का नायक है तथा विदर्भ राज की भगिनी मालविका इसकी नायिका है।
- इस नाटक में इन दोनों की प्रणय कथा है।
- “वस्तुत: यह नाटक राजमहलों में चलने वाले प्रणय षड़्यन्त्रों का उन्मूलक है तथा इसमें नाट्यक्रिया का समग्र सूत्र विदूषक के हाथों में समर्पित है।”
- कालिदास ने प्रारम्भ में ही सूत्रधार से कहलवाया है -
पुराणमित्येव न साधु सर्वं न चापि काव्यं नवमित्यवद्यम़्।
सन्त: परीक्ष्यान्यतरद्भजन्ते मूढ: परप्रत्ययनेयबुद्धि:॥[1]
- वस्तुत: यह नाटक नाट्य-साहित्य के वैभवशाली अध्याय का प्रथम पृष्ठ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अर्थात पुरानी होने से ही न तो सभी वस्तुएँ अच्छी होती हैं और न नयी होने से बुरी तथा हेय। विवेकशील व्यक्ति अपनी बुद्धि से परीक्षा करके श्रेष्ठकर वस्तु को अंगीकार कर लेते हैं और मूर्ख लोग दूसरों को बताने पर ग्राह्य अथवा अग्राह्य का निर्णय करते हैं।