शेख सादी के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* महासागर पत्थर फेंकने से चंचल नहीं होता। जो साधक खिन्न हो जाए वह अभी थोड़े पानी में है। | * महासागर पत्थर फेंकने से चंचल नहीं होता। जो साधक खिन्न हो जाए वह अभी थोड़े पानी में है। | ||
* | * महान् लोग खेल में भी ऐसा शब्द नहीं कहते, जिससे चैतन्यशील उपदेश न लें। | ||
* अमीर जो ग़रीबों के समान नम्र हैं और ग़रीब जो कि अमीरों के समान उदार हैं, वही ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। | * अमीर जो ग़रीबों के समान नम्र हैं और ग़रीब जो कि अमीरों के समान उदार हैं, वही ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। | ||
* जिसने विद्या पढ़ी और आचरण नहीं किया- वह उसके समान है, जिसने बैल जोता है और बीज नहीं बिखेरा है। | * जिसने विद्या पढ़ी और आचरण नहीं किया- वह उसके समान है, जिसने बैल जोता है और बीज नहीं बिखेरा है। |