विक्रमादित्य द्वितीय: Difference between revisions

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*विनयादित्य के बाद उसका पुत्र [[विजयादित्य]] और फिर विक्रमादित्य द्वितीय (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए।  
*विनयादित्य के बाद उसका पुत्र [[विजयादित्य]] और फिर विक्रमादित्य द्वितीय (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए।  
*पल्लवों को अपनी अधीनता में रखने के लिए विक्रमादित्य ने अनेक युद्ध किए, और फिर [[कांची]] पर क़ब्ज़ा किया।  
*पल्लवों को अपनी अधीनता में रखने के लिए विक्रमादित्य ने अनेक युद्ध किए, और फिर [[कांची]] पर क़ब्ज़ा किया।  
*पर इस प्रतापी राजा के शासन काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना अरबों का [[भारत]] आक्रमण है।  
*पर इस प्रतापी राजा के शासन काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना अरबों का [[भारत]] आक्रमण है।  
*712 ई. में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, और स्वाभाविक रूप से उनकी यह इच्छा थी, कि भारत में और आगे अपनी शक्ति का विस्तार करें।  
*712 ई. में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, और स्वाभाविक रूप से उनकी यह इच्छा थी, कि भारत में और आगे अपनी शक्ति का विस्तार करें।  
*उन्होंने लाट देश (दक्षिणी गुजरात) पर आक्रमण किया, जो इस समय चालुक्य साम्राज्य के अंतर्गत था।  
*उन्होंने लाट देश (दक्षिणी गुजरात) पर आक्रमण किया, जो इस समय चालुक्य साम्राज्य के अंतर्गत था।  

Revision as of 13:51, 4 January 2011

  • विक्रमादित्य प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र विनयादित्य वातापी साम्राज्य का स्वामी बना।
  • उसके समय में चालुक्य साम्राज्य की शक्ति अक्षुण्ण बनी रही।
  • विनयादित्य के बाद उसका पुत्र विजयादित्य और फिर विक्रमादित्य द्वितीय (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए।
  • पल्लवों को अपनी अधीनता में रखने के लिए विक्रमादित्य ने अनेक युद्ध किए, और फिर कांची पर क़ब्ज़ा किया।
  • पर इस प्रतापी राजा के शासन काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना अरबों का भारत आक्रमण है।
  • 712 ई. में अरबों ने सिन्ध को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, और स्वाभाविक रूप से उनकी यह इच्छा थी, कि भारत में और आगे अपनी शक्ति का विस्तार करें।
  • उन्होंने लाट देश (दक्षिणी गुजरात) पर आक्रमण किया, जो इस समय चालुक्य साम्राज्य के अंतर्गत था।
  • पर विक्रमादित्य द्वितीय के शौर्य के कारण उन्हें अपने प्रयत्न में सफलता नहीं मिली, और यह प्रतापी चालुक्य राजा अरब आक्रमण से अपने साम्राज्य की रक्षा करने में समर्थ रहा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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