कीर्तिवर्मा प्रथम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
Line 5: Line 5:
*मगध, बंग, चोल और पांड्य देशों में विजय यात्रा करने का यह अभिप्राय है, कि इस युग के अन्य अनेक महत्वाकांक्षी राजाओं के समान चालुक्यवंशी कीर्तिवर्मा ने भी अनेक राज्यों को अपना अधिपति मानने के लिए विवश किया था।
*मगध, बंग, चोल और पांड्य देशों में विजय यात्रा करने का यह अभिप्राय है, कि इस युग के अन्य अनेक महत्वाकांक्षी राजाओं के समान चालुक्यवंशी कीर्तिवर्मा ने भी अनेक राज्यों को अपना अधिपति मानने के लिए विवश किया था।


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=

Revision as of 11:52, 10 January 2011

  • पुलकेशी प्रथम के बाद उसका पुत्र कीर्तिवर्मा 567 ई. के लगभग वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
  • अपने पिता के समान वह भी प्रतापी और विजेता था।
  • एक उत्कीर्ण लेख के अनुसार उसने मौर्यों, कदम्बों और नलों को परास्त किया, और मगध, बंग, चोल तथा पांड्य देशों में विजय यात्राएँ कीं।
  • कदम्ब वंश का शासन वातापी के दक्षिण-पूर्व में था, और सम्भवतः मौर्य और नल वंशों के छोटे-छोटे राज्य भी दक्षिणापथ में विद्यमान थे।
  • मगध, बंग, चोल और पांड्य देशों में विजय यात्रा करने का यह अभिप्राय है, कि इस युग के अन्य अनेक महत्वाकांक्षी राजाओं के समान चालुक्यवंशी कीर्तिवर्मा ने भी अनेक राज्यों को अपना अधिपति मानने के लिए विवश किया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

Template:चालुक्य राजवंश