अक्षांश रेखाएँ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) No edit summary |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) m (अक्षांश का नाम बदलकर अक्षांश रेखाएँ कर दिया गया है) |
(No difference)
|
Revision as of 12:01, 2 May 2012
अक्षांश ग्लोब पर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गई काल्पनिक रेखाएँ हैं, जिसे अंश में प्रदर्शित किया जाता है। वास्तव में अक्षांश वह कोण है, जो विषुवत रेखा तथा किसी अन्य स्थान के बीच पृथ्वी के केन्द्र पर बनती हैं। विषुवत रेखा को शून्य अंश की स्थिति में माना जाता है। यहाँ से उत्तर की ओर बढ़ने वाली कोणिक दूरी को उत्तरी अक्षांश तथा दक्षिण में वाली दूरी को दक्षिणी अक्षांश कहते हैं।
- ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांशों की दूरी प्राय: बढ़ने लगती है।
- इस प्रकार अधिकतम दूरी पर ध्रुव हैं, जिन्हें 90º उत्तरी या दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।
- सभी अक्षांश रेखाएँ समानान्तर होती हैं तथा दो अक्षांशों के बीच की दूरी (क्षेत्रफल) 'जोन' के नाम से जानी जाती हैं।
- दो अक्षांशों के मध्य की दूरी 111 किमी. होती है।
- पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है।
- न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है।
- इस प्रकार पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर भिन्न-भिन्न होती हैं।
- पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है।
- किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक खगोलकीय अथवा त्रिभुजीकरण नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं।
- अब इसकी ठीक-ठीक माप के लिए 1971 ई. में श्री निरंकार सिंह ने भूघूर्णनमापी नामक यंत्र का आविष्कार किया, जिससे किसी स्थान के अक्षांश की माप केवल अंश (डिग्री) में ही नहीं, अपितु कला (मिनट) में भी प्राप्त की जा सकती है।
- भूमध्य रेखा ही 00 अक्षांश है एवं इसके दोनों ओर (उत्तर एवं दक्षिण) पश्चिम से पूर्व दिशा में अन्य अक्षांश रेखाएं खींची गयी हैं। ये रेखाएं पूर्णवृत हैं तथा इनकी संख्या 180 है।
- भूमध्य रेखा के अतिरिक्त कोई भी दूसरा अक्षांश पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित नहीं करता है।
- भूमध्य रेखा से उत्तरी या दक्षिणी धु्रवों की ओर बढ़ने पर अक्षांश वृत्त क्रमशः बढ़ता जाता है जबकि अक्षांश वृत्त उत्तरोत्तर छोटे होते जाते हैं।
- अक्षांश रेखाओं की मदद से किसी स्थान की स्थिति को समझने में मदद मिलती हैं तथा साथ ही इनके द्वारा किसी स्थान की जलवायु की भी जानकारी मिलती हैं।
|
|
|
|
|