एकदण्डी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
No edit summary
Line 1: Line 1:
*[[शंकराचार्य]] द्वारा स्थापित दसनामी संन्यासियों में से प्रथम तीन (तीर्थ, आश्रम एवं सरस्वती) विशेष सम्मान्य माने जाते हैं।  
'''एकदण्डी''' [[शंकराचार्य]] द्वारा स्थापित 'दसनामी संन्यासियों' में से एक हैं। 'दसनामी संन्यासियों' में से प्रथम तीन (तीर्थ, आश्रम एवं सरस्वती) विशेष सम्मानीय माने जाते हैं।
*इनमें केवल [[ब्राह्मण]] ही सम्मिलित हो सकते हैं। शेष सात वर्गों में अन्य वर्णों के लोग भी आ सकते हैं, किन्तु दंड धारण करने के अधिकारी ब्राह्मण ही हैं।
*इसका दीक्षाव्रत इतना कठिन होता है कि बहुत से लोग दंड के बिना ही रहना पसन्द करते हैं।
*इन्हीं संन्यासियों को 'एकदण्डी' कहा जाता है।
*इसके विरुद्ध श्रीवैष्णव संन्यासी (जिनमें केवल ब्राह्मण ही सम्मिलित होते हैं) त्रिदण्ड धारण करते हैं।
*दोनों सम्प्रदायों में अन्तर स्पष्ट करने के लिए इन्हें 'एकदण्डी' तथा 'त्रिदण्डी' नामों से पुकारा जाता है।


{{प्रचार}}
*दसनामी संन्यासियों के प्रथम तीन में केवल [[ब्राह्मण]] ही सम्मिलित हो सकते हैं।
{{लेख प्रगति
*शेष सात वर्गों में अन्य वर्णों के लोग भी आ सकते हैं, किन्तु दंड धारण करने के अधिकारी ब्राह्मण ही हैं।
|आधार=
*इन संन्यासियों का दीक्षाव्रत इतना कठिन होता है कि बहुत से लोग दंड के बिना ही रहना पसन्द करते हैं। इन्हीं संन्यासियों को 'एकदण्डी' कहा जाता है।
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
*एकदण्डी संन्यासियों के विरुद्ध श्रीवैष्णव संन्यासी, जिनमें केवल ब्राह्मण ही सम्मिलित होते हैं, 'त्रिदण्ड' धारण करते हैं। दोनों सम्प्रदायों में अन्तर स्पष्ट करने के लिए इन्हें 'एकदण्डी' तथा 'त्रिदण्डी' नामों से पुकारा जाता है।
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|शोध=
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*<span>पुस्तक हिन्दू धर्म कोश से पेज संख्या 141 | '''डॉ. राजबली पाण्डेय''' |उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान (हिन्दी समिति प्रभाग) |राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन हिन्दी भवन महात्मा गाँधी मार्ग, लखनऊ </span>
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दू धर्मकोश|लेखक=डॉ. राजबली पाण्डेय|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=141|url=}}
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
==संबंधित लेख==
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]]  
{{धर्म}}
[[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 12:30, 22 May 2012

एकदण्डी शंकराचार्य द्वारा स्थापित 'दसनामी संन्यासियों' में से एक हैं। 'दसनामी संन्यासियों' में से प्रथम तीन (तीर्थ, आश्रम एवं सरस्वती) विशेष सम्मानीय माने जाते हैं।

  • दसनामी संन्यासियों के प्रथम तीन में केवल ब्राह्मण ही सम्मिलित हो सकते हैं।
  • शेष सात वर्गों में अन्य वर्णों के लोग भी आ सकते हैं, किन्तु दंड धारण करने के अधिकारी ब्राह्मण ही हैं।
  • इन संन्यासियों का दीक्षाव्रत इतना कठिन होता है कि बहुत से लोग दंड के बिना ही रहना पसन्द करते हैं। इन्हीं संन्यासियों को 'एकदण्डी' कहा जाता है।
  • एकदण्डी संन्यासियों के विरुद्ध श्रीवैष्णव संन्यासी, जिनमें केवल ब्राह्मण ही सम्मिलित होते हैं, 'त्रिदण्ड' धारण करते हैं। दोनों सम्प्रदायों में अन्तर स्पष्ट करने के लिए इन्हें 'एकदण्डी' तथा 'त्रिदण्डी' नामों से पुकारा जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 141 |


संबंधित लेख