भलाई (सूक्तियाँ): Difference between revisions
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| (10) ||बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार। || | | (10) ||बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार। || |
Revision as of 10:13, 8 July 2012
क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
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(1) | भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। | जरथुष्ट्र |
(2) | भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। | ला मार्टिन |
(3) | भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर। | व्हिटमैन |
(4) | नेकी कर दरिया में डाल। | कहावत |
(5) | मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। | कार्लाइल |
(6) | नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। | हज़रत अली |
(7) | जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। | शेख़ सादी |
(8) | दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए। | |
(9) | जिस भी भले बुरे रास्ते पर चला जाये उस पर साथी - सहयोगी तो मिलते ही रहते हैं। इस दुनिया में न भलाई की कमी है, न बुराई की। पसंदगी अपनी, हिम्मत अपनी, सहायता दुनिया की। | |
(10) | बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार। | |
(11) | भले बनकर तुम दूसरों की भलाई का कारण भी बन जाते हो। | |
(12) | जिस तरह उबलते हुए पानी में हम अपना, प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते उसी तरह क्रोध की अवस्था में यह नहीं समझ पाते कि हमारी भलाई किस बात में है। | महात्मा बुद्ध |
(13) | मैं हिंसा पर आपत्ति उठाता हूँ क्योंकि जब लगता है कि इसमें कोई भलाई है, तो ऐसी भलाई अस्थाई होती है; लेकिन इससे जो हानि होती है वह स्थायी होती है। | मोहनदास करमचंद गांधी (1869-1948) |
(14) | जितनी हम दूसरों की भलाई करते हैं, उतना ही हमारा ह़दय शुद्ध होता है और उसमें ईश्वर निवास करता है। | विवेकानन्द |
(15) | भलाई से बढ़कर जीवन और, बुराई से बढ़कर मृत्यु नहीं है। | आदिभट्ल नारायण दासु |
(16) | जो व्यक्ति दूसरों की भलाई चाहता है, वह अपनी भलाई को सुनिश्चित कर लेता है। | कंफ्यूशियस |
(17) | बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है। | शेख सादी |
(18) | अगर तुम किसी की भलाई करते हो तो, इह और पर दोनो लोकों में तुम्हारी, भलाई होती है। | तिकन्ना |
(19) | बच्चों की भलाई में ही सारी मानवता की भलाई है। | जेंस |
(20) | विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है। बेसब्री में सही निर्णय लेना व उचित व्यवहार असंभव हो जाता है। लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है। धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है। | डा.राजेंद्र तेला," निरंतर |
(21) | अपात्र को दिया गया दान व्यर्थ है। अज्ञानी के प्रति भलाई व्यर्थ है। गुणों को न समझने वाले के लिए गुण व्यर्थ है। कृतघ्न के लिए उदारता व्यर्थ है। | अज्ञात |
(22) | अक्रोध से क्रोध को जीतें, दुष्ट को भलाई से जीतें, कृपण को दान से जीतें और झूठ बोलनेवाले को सत्य से जीतें। | धम्मपद |
(23) | हमारी प्रार्थना सर्व-सामान्य की भलाई के लिए होनी चाहिए क्योंकि ईश्वर जानता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है। | सुकरात |
(24) | जो भलाई करना चाहता है, वह द्वार खटखटाता है। और जो प्रेम करता है, उसे द्वार खुला मिलता है। | रवींद्रनाथ टैगोर |
(25) | जो मेरे साथ भलाई करता है, वह मुझे भला होना सिखा देता है। | टामस फुलर |
(26) | जो भलाई करना चाहता है, वह द्वार खटखटाता है। और जो प्रेम करता है, उसे द्वार खुला मिलता है। | रवींद्रनाथ टैगोर |
(27) | क्रोध न करके क्रोध को, भलाई करके बुराई को, दान करके कृपण को और सत्य बोलकर असत्य को जीतना चाहिए। | वेदव्यास |
(28) | किसी आदमी की बुराई-भलाई उस समय तक मालूम नहीं होती जब तक कि वह बातचीत न करे। | बालकृष्ण भट्ट |
(29) | भलाई से बढ़कर जीवन और बुराई से बढ़कर मृत्यु नहीं है। | आदिभट्टल नारायण दासु |
(30) | अगर तुम किसी की भलाई करते हो तो इह और पर दोनों लोकों में तुम्हारी भलाई होती है। | तिक्कना |
(31) | जो भलाई से प्रेम करता है वह देवताओं की पूजा करता है। जो आदरणीयों का सम्मान करता है वह ईश्वर की नजदीक रहता है। | इमर्सन |
(32) | अपात्र को दिया गया दान व्यर्थ है। अफल बुद्धि वाले और अज्ञानी के प्रति की गई भलाई व्यर्थ है। गुण को न समझ सकने वाले के लिए गुण व्यर्थ है। कृतघ्न के लिए उदारता व्यर्थ है। | अज्ञात |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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