सैयद अकबर हुसैन: Difference between revisions

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''सैयद अकबर हुसेन''' (जन्म: 1846 ई. [[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु: [[1921]] ई.) [[भारत]] के प्रसिद्ध न्यायधीशों में गिने जाते थे। इसके साथ ही वे [[उर्दू]] के जानेमाने [[कवि]] भी थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरोधी थे, जो [[अंग्रेज़ी]] प्रभाव से प्रेरित था।
'''सैयद अकबर हुसेन''' (जन्म: 1846 ई. [[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु: [[1921]] ई.) [[भारत]] के प्रसिद्ध न्यायधीशों में गिने जाते थे। इसके साथ ही वे [[उर्दू]] के जानेमाने [[कवि]] भी थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरोधी थे, जो [[अंग्रेज़ी]] प्रभाव से प्रेरित था।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
सैयद अकबर हुसैन का जन्म 1846 ई. में [[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]] के एक सम्मानजनक [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने [[पिता] द्वरा घर पर ही प्राप्त की थी। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद [[1868]] में मुख्तारी की परीक्षा उत्तीर्ण की। [[1869]] ई. में नायब तहसीलदार हुए। कुछ समय बाद उच्च न्यायालय की वकालत उत्तीर्ण की और मुनसिफ हो गए, फिर क्रमश: उन्नति करते हुए सेशन जज हुए, जहाँ से [[1920]] में उन्होंने अवकाश प्राप्त किया।
सैयद अकबर हुसैन का जन्म 1846 ई. में [[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]] के एक सम्मानजनक [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने [[पिता] द्वरा घर पर ही प्राप्त की थी। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद [[1868]] में मुख्तारी की परीक्षा उत्तीर्ण की। [[1869]] ई. में नायब तहसीलदार हुए। कुछ समय बाद [[उच्च न्यायालय]] की वकालत उत्तीर्ण की और मुनसिफ हो गए, फिर क्रमश: उन्नति करते हुए सेशन जज हुए, जहाँ से [[1920]] में उन्होंने अवकाश प्राप्त किया।
==काव्य रचना==
==काव्य रचना की शुरुआत==
अकबर ने [[1860]] ई. के लगभग काव्य रचना आरंभ की। अधिकतर गजल लिखते थे। जब [[लखनऊ]] से अवध पंच निकला तो [[अकबर]] ने भी हास्य रस को अपनाया और थोड़े ही समय में इस रंग के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाने लगे। इस क्षेत्र में कोई उनसे ऊँचा न उठ सका। अकबर के काव्य में व्यंग्य भी है और वह व्यंग्य अधिकतर पश्चिमी सभ्यता के आक्रमण के विरुद्ध है जो भारत और विशेष रूप से मुसलमानों की शिक्षा, [[संस्कृति]] और जीवन को बदल रही थी। व्यंग्य और हास्य की आड़ में वह विदेशी राज्य पर कड़ी चोटें करते थे। वे [[समाज]] में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरुद्ध थे जो [[अंग्रेज़ी]] प्रभाव से प्रेरित था। उनकी विशेष रचनाएँ निम्न हैं-
[[1860]] ई. के लगभग सैयद अकबर हुसैन ने काव्य रचना करनी आरंभ की। वे अधिकतर [[ग़ज़ल]] लिखते थे। जब [[लखनऊ]] से 'अवध पंच' निकला तो उन्होंने भी [[हास्य रस]] को अपनाया और थोड़े ही समय में इस रंग के सर्वश्रेष्ठ [[कवि]] माने जाने लगे। इस क्षेत्र में कोई उनसे ऊँचा न उठ सका। सैयद अकबर हुसैन के काव्य में व्यंग्य भी है और वह व्यंग्य अधिकतर पश्चिमी सभ्यता के आक्रमण के विरुद्ध है, जो [[भारत]] और विशेष रूप से [[मुसलमान|मुसलमानों]] की शिक्षा, [[संस्कृति]] और जीवन को बदल रहा था। व्यंग्य और हास्य की आड़ में वह विदेशी राज्य पर कड़ी चोटें करते थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरुद्ध थे, जो [[अंग्रेज़ी]] प्रभाव से प्रेरित था।
#कुल्लियाते अकबर 4 भाग।
====रचनाएँ====
सैयद अकबर हुसैन की विशेष रचनाएँ निम्न हैं-
#कुल्लियाते अकबर भाग-4।
#गांधीनामा
#गांधीनामा
#पत्रों का संग्रह।
#पत्रों का संग्रह
==निधन==
==निधन==
सैयद अअकबर हुसैन का निधन [[1921]] ई. में [[प्रयाग]] (वर्तमान इलाहाबाद) में हुआ।
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Revision as of 14:19, 19 July 2015

सैयद अकबर हुसेन (जन्म: 1846 ई. इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश; मृत्यु: 1921 ई.) भारत के प्रसिद्ध न्यायधीशों में गिने जाते थे। इसके साथ ही वे उर्दू के जानेमाने कवि भी थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरोधी थे, जो अंग्रेज़ी प्रभाव से प्रेरित था।

जन्म तथा शिक्षा

सैयद अकबर हुसैन का जन्म 1846 ई. में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के एक सम्मानजनक परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने [[पिता] द्वरा घर पर ही प्राप्त की थी। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1868 में मुख्तारी की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1869 ई. में नायब तहसीलदार हुए। कुछ समय बाद उच्च न्यायालय की वकालत उत्तीर्ण की और मुनसिफ हो गए, फिर क्रमश: उन्नति करते हुए सेशन जज हुए, जहाँ से 1920 में उन्होंने अवकाश प्राप्त किया।

काव्य रचना की शुरुआत

1860 ई. के लगभग सैयद अकबर हुसैन ने काव्य रचना करनी आरंभ की। वे अधिकतर ग़ज़ल लिखते थे। जब लखनऊ से 'अवध पंच' निकला तो उन्होंने भी हास्य रस को अपनाया और थोड़े ही समय में इस रंग के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाने लगे। इस क्षेत्र में कोई उनसे ऊँचा न उठ सका। सैयद अकबर हुसैन के काव्य में व्यंग्य भी है और वह व्यंग्य अधिकतर पश्चिमी सभ्यता के आक्रमण के विरुद्ध है, जो भारत और विशेष रूप से मुसलमानों की शिक्षा, संस्कृति और जीवन को बदल रहा था। व्यंग्य और हास्य की आड़ में वह विदेशी राज्य पर कड़ी चोटें करते थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरुद्ध थे, जो अंग्रेज़ी प्रभाव से प्रेरित था।

रचनाएँ

सैयद अकबर हुसैन की विशेष रचनाएँ निम्न हैं-

  1. कुल्लियाते अकबर भाग-4।
  2. गांधीनामा
  3. पत्रों का संग्रह

निधन

सैयद अअकबर हुसैन का निधन 1921 ई. में प्रयाग (वर्तमान इलाहाबाद) में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख