विनोबा भावे के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* जो नेक काम करता है और नाम की इच्छा नहीं रखता, उसकी चित्त शुद्धि होती है और उसका काम सहज ही परमात्मा को अर्पित हो जाता है। | * जो नेक काम करता है और नाम की इच्छा नहीं रखता, उसकी चित्त शुद्धि होती है और उसका काम सहज ही परमात्मा को अर्पित हो जाता है। | ||
* जहां भगवान हैं और जहां भक्त हैं वहां सब कुछ है, लेकिन भगवान को तो हमने देखा नहीं, भक्त को हम देख सकते हैं, इसलिए हमारी निगाह में भक्त की महिमा बढ़ जाती है। | * जहां भगवान हैं और जहां भक्त हैं वहां सब कुछ है, लेकिन भगवान को तो हमने देखा नहीं, भक्त को हम देख सकते हैं, इसलिए हमारी निगाह में भक्त की महिमा बढ़ जाती है। | ||
* जो सेवा भावी है, उसे सेवा खोजने या पूछने की | * जो सेवा भावी है, उसे सेवा खोजने या पूछने की ज़रूरत नहीं होती। ज़रूरत पहचान कर वह स्वयं को वहां प्रस्तुत कर देता है। | ||
* जिसने ज्ञान को आचरण मे उतार लिया, उसने ईश्वर को ही मूर्तिमान कर लिया। | * जिसने ज्ञान को आचरण मे उतार लिया, उसने ईश्वर को ही मूर्तिमान कर लिया। | ||
* जब तक तकलीफ सहने की तैयारी नहीं होती तब तक फ़ायदा दिखाई दे ही नहीं सकता। फायदे की इमारत नुकसान की धूप में बनी है। | * जब तक तकलीफ सहने की तैयारी नहीं होती तब तक फ़ायदा दिखाई दे ही नहीं सकता। फायदे की इमारत नुकसान की धूप में बनी है। |
Latest revision as of 10:45, 2 January 2018
विनोबा भावे के अनमोल वचन |
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