अदृष्ट: Difference between revisions
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Revision as of 12:39, 20 April 2018
अदृष्ट का शाब्दिक अर्थ है जो देखा न गया हो।
- हिन्दू धर्म-दर्शन में इसका अर्थ है 'ईश्वर की इच्छा', जो प्रत्येक आत्मा में गुप्त रूप से विराजमान है।
- भाग्य को भी अदृष्ट कहते है।
- मीमांसा दर्शन को छोड़ अन्य सभी हिन्दू दर्शन प्रलय में आस्था रखते हैं।
- न्याय-वैशेषिक मतानुसार ईश्वर प्राणियों को विश्राम देने के लिए प्रलय उपस्थित करता है।
- आत्मा में शरीर, ज्ञान एवं सभी तत्त्वों में विराजमान अदृष्ट शक्ति उस काल में काम करना बन्द कर देती है।[1] फलत: कोई नया शरीर, ज्ञान अथवा अन्य सृष्टि नहीं होती। फिर प्रलय करने के लिए अदृष्ट सभी परमाणुओं में पार्थक्य उत्पन्न करता है तथा सभी स्थूल पदार्थ इस क्रिया से परमाणुओं के रूप में आ जाते हैं।
- इस प्रकार अलग हुए परमाणु तथा आत्मा अपने किये हुए धर्म, अधर्म तथा संस्कार के साथ निष्प्राण लटके रहते हैं।
- पुन: सृष्टि के समय ईश्वर की इच्छा से फिर अदृष्ट लटके हुए परमाणुओं एवं आत्माओं में आन्दोलन उत्पन्न करता है। वे फिर संगठित होकर अपने किये हुए धर्म, अधर्म एवं संस्कारानुसार नया शरीर तथा रूप धारण करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, द्वितीय संस्करण-1988 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 22।
- ↑ शक्ति प्रतिबन्ध
बाहरी कड़ियाँ
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