आलस्य और प्रमाद: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:39, 20 April 2018
'आलस्य' और 'प्रमाद' दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा है नहीं। बुरी दोनों ही चीजें है, पर किंचित् अलग ढंग से।
- आलस्य
शरीर में चुस्ती-फुर्ती का अभाव हो, काम में मन न लगे तो हम आलस्य में होते हैं। आलस्य की स्थिति में मन और शरीर दोनों में ढीलापन रहता है, परंतु प्रमाद में ऐसा नहीं है।
- प्रमाद
प्रमाद तन की नहीं, मन की दुर्बलता व्यक्त करता है। यह लापरवाही, असावधानी का भाव दिखाता है। प्रमादी एक प्रकार से कर्तव्य-अकर्तव्य के प्रति 'मद' के वशीभूत हो लापरवाह आचरण दिखाता है, गलतियाँ करता है। प्रमादी आवश्यक नहीं कि ढीला-ढाला हो, वह चुस्ती-फुर्ती वाला भी हो सकता है, परंतु आलसी तो जगह पकड़ लेना चाहता है। लापरवाही की बात छोड़िए वह तो काम का नाम सुन हिलने से भी इनकार करना चाहता है, विवश होकर कुछ करना पड़े तो बात अलग है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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