शाट्यायनीयोपनिषद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:19, 21 March 2010 by Govind (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search


शाट्यायनीयोपनिषद

  • शुक्ल यजुर्वेदीय इस उपनिषद में 'भिक्षुकोपनिषद' की भांति ही कुटीचक्र, बहूदक, हंस और परमहंस, इन चारों प्रकार के संन्यासियों की जीवनशैली और योग-साधना आदि का चित्रण है। इसमें चालीस मन्त्र हैं।
  • इस उपनिषद में सर्वप्रथम मन को बन्धन और मोक्ष का कारण बताया गया है। उसके बाद विवेक, वैराग्य, शमादि, सम्पत्ति और मोक्ष-साधना का मार्ग बताया गया है। अन्त में विष्णुलिंग संन्यासी की फलश्रुति का उल्लेख किया गया है।
  • विष्णुलिंग संन्यासी 'व्यक्त' और 'अव्यक्त' दो प्रकार के कहे गये हैं।
  • त्रिदण्ड धारण करने वाला संन्यासी वैष्णवलिंग माना जाता है। ऐसा संन्यासी, ब्राह्मणों का उद्धार करने वाला होता है।


उपनिषद के अन्य लिंक

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः