राधा स्वामी सत्संग

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:38, 3 September 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''राधा स्वामी सत्संग''' भारत का गुह्य धार्मिक मत है। ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

राधा स्वामी सत्संग भारत का गुह्य धार्मिक मत है। इस मत के अनुयायी हिन्दू और सिक्ख दोनों हैं। इस मत या संप्रदाय की स्थापना 1861 में शिवदयाल साहब ने की थी, जो आगरा के एक हिन्दू महाजन थे। उनका विश्वास था कि मानव अपनी उच्चतम क्षमताओं को सिर्फ ईश्वर के 'शब्द' या 'नाम' के जप द्वारा ही पूर्णता प्रदान कर सकता है।

  • राधा स्वामी वाक्यखंड आत्मा के साथ ईश्वर, ईश्वर के नाम और ईश्वर से उत्पन्न अंतर्ध्वनि के सम्मिलन को दर्शाता है।
  • इस संप्रदाय में सच्चे लोगों की सभा, अर्थात सत्संग को विशेष महत्व दिया जाता है।
  • संप्रदाय के संस्थापक शिवदयाल साहब की मृत्यु के बाद राधा स्वामी संप्रदाय दो गुटों मे विभाजित हो गया। मुख्य समूह आगरा में ही स्थापित रहा, जबकि दूसरी शाखा की स्थापना शिवदयाल साहब के सिक्ख अनुयायी जयमाल सिंह ने की।
  • इस समूह के सदस्यो को 'व्यास के राधा स्वामी' के रूप सें जाना जाता है, क्योंकि उनका मुख्यालय अमृतसर के पास व्यास नदी के तट पर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः