पदार्थ धर्म संग्रह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:35, 22 June 2014 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

पदार्थ धर्म संग्रह पर रचित चार अन्य अवान्तर टीकाएँ

कालक्रम के अनुसार यद्यपि निम्नलिखित चार टीकाएँ वैशेषिक के प्रकीर्ण साहित्य में परिगणित की जा सकती हैं। किन्तु प्रशस्तपाद भाष्य की प्रमुख आठ टीकाओं में इनकी गणना के कारण इनका परिचय यहीं पर दिया जा रहा है।

पद्मनाभ रचित सेतु टीका

यह टीका पद्मनाभ मिश्र ने लिखी है। पद्मनाभ मिश्र का समय 1800 ई. माना जाता है। पद्मनाभ मिश्र ने न्यायकन्दली पर भी टीका लिखी है, अत: इस टीका पर न्यायकन्दली का भी प्रभाव परिलक्षित होता है। उदाहरणतया तमस के द्रव्यत्व के खण्डन के प्रसंग में पद्मनाभ ने सेतु टीका में उदयन के मत का खण्डन तथा श्रीधर के मत का समर्थन किया है। यह टीका द्रव्य पर्यन्त मिलती है। सेतु टीका में पद्मनाभ मिश्र ने ऐसे 23 तत्त्व गिनाये हैं, जिन्हें पदार्थ मानने का कई पूर्व पक्षी आग्रह करते हैं। किन्तु पद्मानाभ ने उनका खण्डन करके सात ही पदार्थ हैं, यह मत परिपुष्ट किया है।

जगदीश तर्कालंकार रचित भाष्य सूक्ति

पदार्थ धर्म संग्रह पर सूक्तिनाम्नी इस टीका की रचना जगदीश तर्कालंकार द्वारा की गई। जगदीश का समय 1700 ई. है। यह टीका भी द्रव्य पर्यन्त ही उपलब्ध होती है। इस पर न्यायकन्दली का प्रभाव भी परिलक्षित होता है। अभाव के पदार्थत्व के संदर्भ में जगदीश ने कन्दलीकार और किरणावलीकार के मतों की पारस्परिक तुलना की है। जगदीश ने न्यावैशषिक का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ तर्कामृत भी लिखा, जिसमें न्याय के पदार्थों का वैशेषिक के पदार्थों में अन्तर्भाव दिखाया गया है।

कोलाचल मल्लिनाथ सूरि रचित भाष्यनिकष

तार्किक रक्षा की मल्लिनाथ द्वारा रचित टीका निष्कण्टका से ज्ञात होता है कि पदार्थ धर्म संग्रह पर भी कोलाचल मल्लिनाथ ने भाष्यनिकष नाम की टीका लिखी थी, किन्तु वह टीका अब उपलब्ध नहीं है। यत्र-तत्र उसका उल्लेख मिलता है। इस टीका का नाम निष्कण्टका भी है। मल्लिनाथ आन्ध्रप्रदेश में प्रो. देवराय (1416 ई.) के समकालीन थे। उन्होंने अमरकोश, रघुवंश, किरातार्जुनीय, तन्त्रवार्तिक, नैषधीयचरित, तार्किकरक्षा, भट्टिकाव्य आदि पर टीकाएँ लिखीं।

शंकर मिश्र रचित कणादरहस्य

उपस्कार वृत्ति के रचयिता शंकर मिश्र (1400-1500 ई.) ने कणादरहस्य नाम की एक टीका भी लिखी थी। इसमें प्रतिपादित विभाग के संदर्भ में शंकर मिश्र ने श्रीधर और उदयन दोनों के मत प्रस्तुत किये हैं।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः