Difference between revisions of "पदार्थ तत्त्व निरूपणम"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "Category:दर्शन" to "")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
 
'''रघुनाथ शिरोमणि रचित पदार्थ तत्त्व निरूपणम (पदार्थखण्डनम्)'''
 
'''रघुनाथ शिरोमणि रचित पदार्थ तत्त्व निरूपणम (पदार्थखण्डनम्)'''
  
*रघुनाथ शिरोमणि का जन्म सिलहर (आसाम) में हुआ था।
+
*[[रघुनाथ शिरोमणि]] द्वारा वैशेषिक दर्शन पर रचित पदार्थ तत्त्व निरूपण नामक ग्रन्थ पदार्थखण्डनम तथा पदार्थविवेचनम के अपर नामों से भी ख्याति है।  
*विद्याभूषण के अनुसार इनका समय 1477-1557 ई. है।
 
*इनके पूर्वज मिथिला से आसाम में गये थे।
 
*इनके पिता का नाम गोविन्द चक्रवर्ती और माता का नाम सीता देवी था।
 
*गोविन्द चक्रवर्ती की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के कारण इनकी माता ने बड़े कष्ट के साथ इनका पालन किया।
 
*यात्रियों के एक दल के साथ वह [[गंगा नदी|गंगा]]स्नान करने के लिए नवद्वीप पहुँची।
 
*संयोगवश उसने वासुदेव सार्वभौम के घर पर आश्रय प्राप्त किया।
 
*वासुदेव से ही रघुनाथ को विद्या प्राप्त हुई।
 
*बाद में रघुनाथ ने मिथिला पहुँच कर पक्षधर मिश्र से न्याय का अध्ययन किया।
 
*रघुनाथ ने अनेक ग्रन्थों की रचना की—
 
#उदयन के  आत्मतत्त्वविवेक और न्यायकुसुमांजलि पर टीका
 
#श्रीहर्ष के खण्डनखण्डखाद्य पर -  दीधिति
 
#वल्लभ की न्यायलीलावती पर -  दीधिति
 
#गंगेश की तत्त्वचिन्तामणि पर -  दीधिति
 
#वर्धमान के किरणावलीप्रकाश पर - दीधिति
 
*रघुनाथ सभी विद्यास्थानों में दक्ष थे।
 
*उन्होंने अपनी शास्त्रार्थधौरेयता के संबन्ध में जो कथन किये, वे आज भी विद्ववर्ग में चर्चा के विषय बने रहते हैं।
 
*रघुनाथ द्वारा वैशेषिक दर्शन पर रचित पदार्थ तत्त्व निरूपण नामक ग्रन्थ पदार्थखण्डनम तथा पदार्थविवेचनम के अपर नामों से भी ख्याति है।  
 
 
*रघुनाथ ने वैशेषिक के सात पदार्थों की समीक्षा की और विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया।  
 
*रघुनाथ ने वैशेषिक के सात पदार्थों की समीक्षा की और विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया।  
 
*इसी प्रकार उन्होंने नौ द्रव्यों के स्थान पर छ: द्रव्य माने। आकाश, काल और दिशा रघुनाथ की दृष्टि में तीन अलग-अलग द्रव्य नहीं, अपितु एक ही द्रव्य के तीन रूप हैं।  
 
*इसी प्रकार उन्होंने नौ द्रव्यों के स्थान पर छ: द्रव्य माने। आकाश, काल और दिशा रघुनाथ की दृष्टि में तीन अलग-अलग द्रव्य नहीं, अपितु एक ही द्रव्य के तीन रूप हैं।  
 
*उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना।  
 
*उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना।  
==सम्बंधित लिंक==
+
 
 +
==संबंधित लेख==
 
{{वैशेषिक दर्शन2}}
 
{{वैशेषिक दर्शन2}}
 
{{वैशेषिक दर्शन}}
 
{{वैशेषिक दर्शन}}

Latest revision as of 14:22, 20 August 2011

raghunath shiromani rachit padarth tattv niroopanam (padarthakhandanamh)

  • raghunath shiromani dvara vaisheshik darshan par rachit padarth tattv niroopan namak granth padarthakhandanam tatha padarthavivechanam ke apar namoan se bhi khyati hai.
  • raghunath ne vaisheshik ke sat padarthoan ki samiksha ki aur vishesh ke padarthatv ka khandan kiya.
  • isi prakar unhoanne nau dravyoan ke sthan par chh: dravy mane. akash, kal aur disha raghunath ki drishti mean tin alag-alag dravy nahian, apitu ek hi dravy ke tin roop haian.
  • unhoanne paramanu aur dvayanuk ki sankalpana ka khandan kiya aur prithaktv, paratv, aparatv aur sankhya ko gun nahian mana.

sanbandhit lekh