गुप्त गोदावरी
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गुप्त गोदावरी (अंग्रेज़ी: Gupt Godavari) चित्रकूट क्षेत्र की दो गुफाएं हैं। इनमें से एक में निरंतर पानी बहता रहता है और दूसरी सूखी है। दस-पन्द्रह मीटर भीतर जाने पर काफी चौड़ी जगह मिलती है। जहां जलवायु के प्रभाव से चट्टानें कटकर विभिन्न आकर्षक आकृतियां बन गई हैं। लोक मान्यता के अनुसार वनवास के समय राम इन्हीं गुफाओं के अंदर स्थानीय लोगों से मंत्रणा किया करते थे। अब ये गुफाएं पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं।[1]
- उत्तर प्रदेश के रामघाट से लगभग 18 कि.मी. दूर विंध्य पहाड़ियों के पन्ना श्रेणी में एक गुप्त गुफा है, जिसे गुप्त गोदावरी के नाम से जाना जाता है। इस जगह को यू.पी. के सबसे दिलचस्प स्थानों में गिना जाता है। इस जगह का अपना आध्यात्मिक महत्व है। साथ ही कुछ प्राकृतिक तौर पर चौकाने वाली रहस्यमयी चीज़े भी यहां देखने को मिलती है। चित्रकूट के अन्य सभी पर्यटन स्थलों की तरह इसका भी अपना एक पौराणिक इतिहास है।[2]
- हिंदू पौराणिक महाकाव्य, रामायण में बताया गया कि राम और लक्ष्मण 14 साल के वनवास के दौरान कुछ समय के लिए इस गुफा में रुके थे और एक दरबार भी लगाया था।
- इतिहासकारों के अनुसार, गुफा के भीतर की चट्टानों से गहरी नदी के रूप में उभरती हुई गोदावरी नदी नीचे एक और गुफा में बहती है और फिर पहाड़ों में जाकर गायब हो जाती है। बाद में पानी को विशाल चट्टान की छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है। कहा जाता है कि जहां से पानी निकलता है, वह दानव मयंक का अवशेष है।
- पुरानी कथाओं में कहा जाता है कि जब सीता नहा रही थीं, तब मयंक राक्षस ने उनके कपड़े चुराने की कोशिश की थी। तब दानव मयंक के इस हीन काम के लिए लक्ष्मण ने दानव को मौत के घाट उतार दिया था।
- कवि व कथाकार वाल्मीकि और तुलसीदास ने गुफाओं के बारे में कहा है कि गुफा में बहुत ही संकीर्ण रास्ते से पहुंचा जाता है। जिसमें एक समय में सिर्फ एक व्यक्ति ही जा सकता है। अंदर जाने में गुफा बड़ी होती जाती है। जहां आखिर में धनुषकुंड नाम का झरना मिलता है। यहां कई छोटे मंदिर दिखाई देंगे। हर मंदिर का अपना एक इतिहास और कहानी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 286 |
- ↑ गुप्त गोदावरी गुफाएं (हिंदी) khabarlahariya.org। अभिगमन तिथि: 29 जून, 2021।