ऐ रोशनियों के शहर -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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ऐ रोशनियों के शहर -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कवि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जन्म 13 फ़रवरी, 1911
जन्म स्थान सियालकोट
मृत्यु 20 नवम्बर, 1984
मृत्यु स्थान लाहौर
मुख्य रचनाएँ 'नक्श-ए-फरियादी', 'दस्त-ए-सबा', 'जिंदांनामा', 'दस्त-ए-तहे-संग', 'मेरे दिल मेरे मुसाफिर', 'सर-ए-वादी-ए-सिना' आदि।
विशेष जेल के दौरान लिखी गई आपकी कविता 'ज़िन्दा-नामा' को बहुत पसंद किया गया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की रचनाएँ

सब्ज़ा-सब्ज़ा सूख रही हैं फीकी, ज़र्द दोपहर
दीवारों को चाट रहा है तनहाई का ज़हर
दूर उफ़ुक़ तक घटती-बढ़ती, उठती-गिरती रहती है
कोहर की सूरत बेरौनक़ दर्दों की गँदली लहर
बसता है इस कोहर के पीछे रोशनियों का शहर
ऐ रोशनियों के शहर
कौन कहे किस सम्त है तेरी रोशनियों की राह
हर जानिब बेनूर खड़ी है हिज्र की शहर पनाह
थक कर हर सू बैठ रही है शौक़ की माँद सिपाह
आज मेरा दिल फ़िक्र में है
ऐ रोशनियों के शहर
शब ख़ूँ से मुँह फेर न जाए अरमानों की रौ
ख़ैर हो तेरी लैलाओं की, उन सब से कह दो
आज की शब जब दिए जलाएँ ऊँची रखें लौ


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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