दोस्ती (सूक्तियाँ): Difference between revisions

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Latest revision as of 17:10, 30 December 2013

क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। अरस्तू
(2) दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। जिम मॅारिसन
(3) अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता।
(4) सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
(5) ज्ञानी दोस्त ज़िंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। यूरीपिडीज
(6) कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। फ्रेंकलिन
(7) झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। अज्ञात
(8) सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना।
(9) सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। जानसन
(10) धीरे बोल, जल्दी सोचों और छोटे-से विवाद पर पुरानी दोस्ती कुर्बान मत करो।
(11) दोस्ती निस्संदेह रूप से निराश प्रेम की कसक के लिए उत्तम मरहम है। जेन ऑस्टिन (1775-1817)
(12) एक छंटाक ख़ून किलो भर दोस्ती से ज़्यादा क़ीमती होता है। स्पेनी कहावत
(13) हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ ज़रूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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