भूर्जपत्र (लेखन सामग्री): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "अंदाज " to "अंदाज़")
 
(10 intermediate revisions by 7 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[प्राचीन भारत लेखन सामग्री|प्राचीन भारत की लेखन सामग्री]] में भूर्जपत्र एक लेखन सामग्री है। भूर्ज नामक वृक्ष [[हिमालय]] में क़रीब 4,000 मीटर की ऊँचाई पर बहुतायत में मिलता है। इसकी भीतरी छाल, जिसे [[कालिदास]] ने ‘भूर्जत्वक्’ कहा है, [[काग़ज़ (लेखन सामग्री)|काग़ज़]] की तरह होती है। यह छाल कई मीटर लम्बी निकल आती है। अल्बेरूनी ने लिखा है- <blockquote>"मध्य और उत्तरी भारत के लोग तूज़ (भूर्ज) वृक्ष की छाल पर लिखते हैं। उसको भूर्ज कहते हैं। वे उसके एक मीटर लम्बे और एक बालिश्त चौड़े पत्रे लेते हैं और उनको भिन्न-भिन्न प्रकार से तैयार करते हैं। उनको मज़बूत बनाने के लिए वे उन पर तेल लगाते हैं और घोटकर चिकना बनाते हैं, और फिर उन पर लिखते हैं।"</blockquote> भूर्जपत्र को आवश्यकतानुसार आकार में काटकर उस पर [[स्याही (लेखन सामग्री)|स्याही]] से लिखा जाता था। छेद बनाने के लिए बीच में थोड़ी खाली जगह छोड़ दी जाती थी। पुस्तक के ऊपर और नीचे रखी जाने वाली लकड़ी की पट्टिकाओं में भी उसी अंदाज में छेद रहते थे, ताकि उनमें डोरी डालकर पुस्तक को बाँध दिया जा सके।  
{{लेखन सामग्री विषय सूची}}
[[चित्र:Lekhan-Samagri-11.jpg|thumb|250px|गिलगित हस्तलिपियों का एक भूर्जपत्र (लगभग 600 ई.)]]
'''भूर्जपत्र''' एक [[प्राचीन भारत लेखन सामग्री|प्राचीन भारत की लेखन सामग्री]] है। भूर्ज नामक वृक्ष [[हिमालय]] में क़रीब 4,000 मीटर की ऊँचाई पर बहुतायत में मिलता है। इसकी भीतरी छाल, जिसे [[कालिदास]] ने ‘भूर्जत्वक्’ कहा है, [[काग़ज़ (लेखन सामग्री)|काग़ज़]] की तरह होती है। यह छाल कई मीटर लम्बी निकल आती है। [[अलबरूनी]] ने लिखा है- <blockquote>"मध्य और उत्तरी भारत के लोग तूज़ (भूर्ज) वृक्ष की छाल पर लिखते हैं। उसको भूर्ज कहते हैं। वे उसके एक मीटर लम्बे और एक बालिश्त चौड़े पत्रे लेते हैं और उनको भिन्न-भिन्न प्रकार से तैयार करते हैं। उनको मज़बूत बनाने के लिए वे उन पर तेल लगाते हैं और घोटकर चिकना बनाते हैं, और फिर उन पर लिखते हैं।"</blockquote> भूर्जपत्र को आवश्यकतानुसार आकार में काटकर उस पर [[स्याही (लेखन सामग्री)|स्याही]] से लिखा जाता था। छेद बनाने के लिए बीच में थोड़ी ख़ाली जगह छोड़ दी जाती थी। पुस्तक के ऊपर और नीचे रखी जाने वाली लकड़ी की पट्टिकाओं में भी उसी अंदाज़में छेद रहते थे, ताकि उनमें डोरी डालकर पुस्तक को बाँध दिया जा सके।  
==पुस्तकें==  
==पुस्तकें==  
भूर्जपत्र पर लिखी अधिकतर पुस्तकें [[कश्मीर]] से और कुछ [[उड़ीसा]] आदि प्रदेशों से मिली हैं। भूर्जपत्र पर लिखी उपलब्ध सबसे प्राचीन पुस्तक है- 'धम्मपाद'। यह पुस्तक मध्य एशिया के खोतन स्थान से मिली है, और खरोष्ठी लिपि में लिखी गई है और ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी की है। गिलगित से प्राप्त भूर्जपत्र हस्तलिपियाँ 600 ई. के आसपास की गुप्तकालीन [[ब्राह्मी लिपि]] में हैं। भूर्जपत्र ज़्यादा टिकाऊ नहीं होता। इसीलिए अधिक प्राचीन भूर्जपत्र पोथियाँ ज़्यादा संख्या में नहीं मिली हैं।  
भूर्जपत्र पर लिखी अधिकतर पुस्तकें [[कश्मीर]] से और कुछ [[उड़ीसा]] आदि प्रदेशों से मिली हैं। भूर्जपत्र पर लिखी उपलब्ध सबसे प्राचीन पुस्तक है- 'धम्मपाद'। यह पुस्तक मध्य एशिया के खोतन स्थान से मिली है, और [[खरोष्ठी लिपि]] में लिखी गई है और ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी की है। गिलगित से प्राप्त भूर्जपत्र हस्तलिपियाँ 600 ई. के आसपास की गुप्तकालीन [[ब्राह्मी लिपि]] में हैं। भूर्जपत्र ज़्यादा टिकाऊ नहीं होता। इसीलिए अधिक प्राचीन भूर्जपत्र पोथियाँ ज़्यादा संख्या में नहीं मिली हैं।  
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{प्राचीन भारत लेखन सामग्री}}
{{प्राचीन भारत लेखन सामग्री}}{{भूले बिसरे शब्द}}
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:भाषा_और_लिपि]]
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]][[Category:प्राचीन भारत लेखन सामग्री]][[Category:भूला-बिसरा भारत]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 06:36, 10 February 2021

लेखन सामग्री विषय सूची

thumb|250px|गिलगित हस्तलिपियों का एक भूर्जपत्र (लगभग 600 ई.)

भूर्जपत्र एक प्राचीन भारत की लेखन सामग्री है। भूर्ज नामक वृक्ष हिमालय में क़रीब 4,000 मीटर की ऊँचाई पर बहुतायत में मिलता है। इसकी भीतरी छाल, जिसे कालिदास ने ‘भूर्जत्वक्’ कहा है, काग़ज़ की तरह होती है। यह छाल कई मीटर लम्बी निकल आती है। अलबरूनी ने लिखा है-

"मध्य और उत्तरी भारत के लोग तूज़ (भूर्ज) वृक्ष की छाल पर लिखते हैं। उसको भूर्ज कहते हैं। वे उसके एक मीटर लम्बे और एक बालिश्त चौड़े पत्रे लेते हैं और उनको भिन्न-भिन्न प्रकार से तैयार करते हैं। उनको मज़बूत बनाने के लिए वे उन पर तेल लगाते हैं और घोटकर चिकना बनाते हैं, और फिर उन पर लिखते हैं।"

भूर्जपत्र को आवश्यकतानुसार आकार में काटकर उस पर स्याही से लिखा जाता था। छेद बनाने के लिए बीच में थोड़ी ख़ाली जगह छोड़ दी जाती थी। पुस्तक के ऊपर और नीचे रखी जाने वाली लकड़ी की पट्टिकाओं में भी उसी अंदाज़में छेद रहते थे, ताकि उनमें डोरी डालकर पुस्तक को बाँध दिया जा सके।

पुस्तकें

भूर्जपत्र पर लिखी अधिकतर पुस्तकें कश्मीर से और कुछ उड़ीसा आदि प्रदेशों से मिली हैं। भूर्जपत्र पर लिखी उपलब्ध सबसे प्राचीन पुस्तक है- 'धम्मपाद'। यह पुस्तक मध्य एशिया के खोतन स्थान से मिली है, और खरोष्ठी लिपि में लिखी गई है और ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी की है। गिलगित से प्राप्त भूर्जपत्र हस्तलिपियाँ 600 ई. के आसपास की गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में हैं। भूर्जपत्र ज़्यादा टिकाऊ नहीं होता। इसीलिए अधिक प्राचीन भूर्जपत्र पोथियाँ ज़्यादा संख्या में नहीं मिली हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख