अनमोल वचन 6: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी") |
|||
(36 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 10: | Line 10: | ||
|- | |- | ||
==योग्यता, कौशल (Ability)== | ==योग्यता, कौशल (Ability)== | ||
* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | * केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
* गुण छोटे लोगों में द्वेष और | * गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान् व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | * कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | ||
* मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | * मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | ||
* यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | * यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* | * महान् व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम | ||
* नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | * नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | ||
* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से | * मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान् बनता है। ~ आविद | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | ||
==सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)== | ==सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)== | ||
* बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | * बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | ||
* जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | * जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | ||
==क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)== | ==क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)== | ||
* क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | * क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | ||
* मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | * मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | ||
* क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की | * क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की ग़लतियों कि सजा स्वयं को देना। | ||
* जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | * जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | * क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | ||
Line 47: | Line 42: | ||
* सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। ~ जेम्स एलन | * सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। ~ जेम्स एलन | ||
* क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। ~ जेफरसन | * क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। ~ जेफरसन | ||
==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ||
* सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | * सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | ||
* वास्तविक सोन्दर्य | * वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | ||
* सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | * सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
* सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | * सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | ||
Line 59: | Line 52: | ||
* ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | * ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | ||
* ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | * ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | ||
* जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह | * जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह ज़रूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड | ||
* दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत | * दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | ||
* सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | * सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | ||
* एक | * एक शख़्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे| | ||
* ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है। ~ फ्रेडरिक नीत्शे | * ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है। ~ फ्रेडरिक नीत्शे | ||
* सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~ अज्ञात | * सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~ अज्ञात | ||
Line 68: | Line 61: | ||
* कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | * कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | ||
* सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | * सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | ||
==पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)== | ==पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)== | ||
* सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | * सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | ||
* जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
Line 81: | Line 72: | ||
* विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | * विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | * आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | ||
* अच्छा ग्रंथ एक | * अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | ||
==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ||
* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब ग़लतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। ~ सी सी काल्टन | |||
* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब | |||
* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | ||
* हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। ~ अरविन्द घोस | * हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। ~ अरविन्द घोस | ||
Line 93: | Line 82: | ||
==चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)== | ==चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)== | ||
* तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | * तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | ||
* अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | * अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | ||
Line 110: | Line 98: | ||
* जैसा अन्न, वैसा मन। | * जैसा अन्न, वैसा मन। | ||
* अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | * अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | ||
* जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही | * जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात | ||
* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | * बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | * आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | ||
Line 125: | Line 113: | ||
* समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र | * समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र | ||
* कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात | * कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात | ||
==दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)== | ==दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)== | ||
* दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली | * दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली | ||
* मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। ~ हजरत मोहम्मद | * मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। ~ हजरत मोहम्मद | ||
Line 152: | Line 138: | ||
==प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)== | ==प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)== | ||
* स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | * स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | ||
==आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)== | ==आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)== | ||
* आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | * आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | ||
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | * आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | ||
* पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | * पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | ||
* आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में | * आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान् उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है। | ||
* अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | * अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | ||
* आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | * आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 175: | Line 158: | ||
* आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। ~ टेनीसन | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन कलर की किताब 'स्टोरी आफ लाइफ़' | ||
==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ||
* निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल | * निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल | ||
* हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | * हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | ||
Line 190: | Line 172: | ||
* वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | ||
* साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | * साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | ||
* | * ज़रूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है। | ||
* बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | * बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | ||
* बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | * बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | ||
Line 197: | Line 179: | ||
==कायरता, कायर (Coward)== | ==कायरता, कायर (Coward)== | ||
* कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | * कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | ||
* जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | * जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | ||
Line 209: | Line 190: | ||
==सृजन, रचना, निर्माण (Creation)== | ==सृजन, रचना, निर्माण (Creation)== | ||
* एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है। | * एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है। | ||
==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ||
* मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। ~ भगवतीचरण वर्मा | * मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
* जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर | * जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
Line 221: | Line 199: | ||
==अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)== | ==अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)== | ||
* हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते। ~ महात्मा गांधी | * हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते। ~ महात्मा गांधी | ||
==दान, चंदा (Donation)== | ==दान, चंदा (Donation)== | ||
* दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है। | * दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है। | ||
* जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। ~ संत कबीर | * जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। ~ संत कबीर | ||
Line 237: | Line 212: | ||
* दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | * दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | ||
* युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | * युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | ||
* विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ | * विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ डॉ. के. के. अग्रवाल | ||
==सपना, ख़याल (Dream)== | ==सपना, ख़याल (Dream)== | ||
* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | * हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | ||
* सपने देखना बेहद | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
* स्वप्न | * स्वप्न द्रष्टाऔर यथार्थ के स्रष्टा बनिए। ~ अज्ञात | ||
* अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* सपने देखना बेहद | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ||
* सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | * सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | * कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | ||
Line 257: | Line 230: | ||
* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | * फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | ||
* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | * कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | ||
* कर्म वह आईना है जो हमारा | * कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | ||
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | * मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | ||
Line 263: | Line 236: | ||
* अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर | * अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर | ||
* सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर | * सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर | ||
==शिक्षा (Education)== | ==शिक्षा (Education)== | ||
* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | * शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | ||
* बच्चों को शिक्षित करना तो | * बच्चों को शिक्षित करना तो ज़रूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही ज़रूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | ||
* संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | * संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | ||
* शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | * शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | ||
* युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | * युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | ||
* विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | * विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | ||
==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ||
* अहिंसा अच्छी चीज़ है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | |||
* अहिंसा अच्छी | |||
* दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | * दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | ||
==बुराई, दुष्ट (Evil)== | ==बुराई, दुष्ट (Evil)== | ||
* पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | * पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | ||
* एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | * एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | ||
* बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | * बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | ||
* अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | * अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | ||
==डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)== | ==डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)== | ||
* जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | * जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | ||
* भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | * भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | * जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | ||
* जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | * जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | ||
* भय से ही | * भय से ही दु:ख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। ~ [[विवेकानंद]] | ||
* तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ | * तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ | ||
* भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। ~ पंचतंत्र | * भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। ~ पंचतंत्र | ||
* जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। ~ पंचतंत्र | * जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। ~ पंचतंत्र | ||
* ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी | * ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी माँ बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी माँ के चरणों में डाल जाते हैं। ~ बर्ट्रेंड रसेल | ||
* डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन | * डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन | ||
* आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। ~ नेपोलियन | * आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। ~ नेपोलियन | ||
==दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)== | ==दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)== | ||
* मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | * मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | ||
* दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। ~ जिम मॅारिसन | * दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। ~ जिम मॅारिसन | ||
* अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | * अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | ||
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | * सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | ||
* ज्ञानी दोस्त | * ज्ञानी दोस्त ज़िंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। ~ यूरीपिडीज | ||
* कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | * कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | ||
* झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | * झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | ||
* सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | * सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | ||
* सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | * सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | ||
==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ||
* कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | * कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | ||
* एक सरकारी | * एक सरकारी दफ़्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | ||
* हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और | * हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और ज़रूरी चीज़े भी कवर हो जाये। | ||
* किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | * किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | ||
* आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | * आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | ||
Line 328: | Line 290: | ||
* दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह। | * दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह। | ||
* अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफ़ी देर से आता है। | * अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफ़ी देर से आता है। | ||
* नेता: वह | * नेता: वह शख़्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है। | ||
* पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज़्यादा समझते हैं। | * पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज़्यादा समझते हैं। | ||
* शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता। | * शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता। | ||
Line 337: | Line 299: | ||
* एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | * एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | ||
==ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)== | ==ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)== | ||
* ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | * ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | ||
* यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | * यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | ||
Line 345: | Line 305: | ||
* ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | * ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | ||
* ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | * ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | ||
* यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना | * यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना ज़रूरी है। - वाल्टेयर | ||
* ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | * ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | ||
* ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | * ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | ||
Line 351: | Line 311: | ||
* ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है। - उपनिषद् | * ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है। - उपनिषद् | ||
* जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी | * जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी | ||
* परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध | * परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध हृदय से उसकी मदद मांगता है उसे वह अवश्य देता है। - स्वामी विवेकानंद | ||
* परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी | * परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी | ||
==भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)== | ==भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)== | ||
* भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | * भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | ||
* भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | * भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | ||
Line 365: | Line 324: | ||
==सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)== | ==सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)== | ||
* आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | * आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | ||
* प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | * प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | ||
Line 374: | Line 332: | ||
* प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | * प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | ||
* हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | * हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | ||
* प्रसन्नता बसन्त की तरह, | * प्रसन्नता बसन्त की तरह, हृदय की सब कलियां खिला देती है। ~ जीनपॉल | ||
* जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | * जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | ||
* सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे | * सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे हृदयों में है। ~ रस्किन | ||
* सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | * सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | ||
* सुख बाहर से मिलने की | * सुख बाहर से मिलने की चीज़ नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। ~ महात्मा गांधी | ||
* जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | * जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | ||
* जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस | * जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत् में अधिक से अधिक सुखी है। | ||
* मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन | * मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन | ||
* चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे | * चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे | ||
Line 391: | Line 349: | ||
==घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)== | ==घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)== | ||
* घृणा पाप से करो, पापी से नहीं। ~ महात्मा गाँधी | * घृणा पाप से करो, पापी से नहीं। ~ महात्मा गाँधी | ||
* जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | * जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | ||
* घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत | * घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत | ||
* घृणा | * घृणा हृदय का पागलपन है। ~ बायरन | ||
* घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। ~ बुद्ध | * घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। ~ बुद्ध | ||
* ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। ~ तिरुवल्लुवर | * ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
Line 401: | Line 358: | ||
==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ||
* शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | * शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | * जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | ||
Line 409: | Line 365: | ||
* अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | * अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | ||
==दिल, हृदय (Heart)== | |||
==दिल, | * एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दु:ख पहुंचता है। | ||
* चेहरा हृदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | |||
* एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा | * सुन्दर हृदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | ||
* चेहरा | |||
* सुन्दर | |||
* भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | * भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | ||
==इतिहास, प्राचीन (History)== | ==इतिहास, प्राचीन (History)== | ||
* उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | * उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | ||
* इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | * इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | ||
Line 435: | Line 387: | ||
==घर, कुटुंब, निवास (Home)== | ==घर, कुटुंब, निवास (Home)== | ||
* घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | * घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | ||
* जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | * जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | ||
==ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)== | ==ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)== | ||
* मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | * मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | ||
* ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | * ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | ||
==मनुष्य, मानव (Human)== | ==मनुष्य, मानव (Human)== | ||
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | |||
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के | |||
* अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | * अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | ||
* मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | * मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | ||
Line 461: | Line 408: | ||
==अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)== | ==अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)== | ||
* अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | * अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | ||
Line 469: | Line 415: | ||
==प्रेरणादायक (Inspirational)== | ==प्रेरणादायक (Inspirational)== | ||
* प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | * प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | ||
* मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | * मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 476: | Line 421: | ||
* अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | * अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | ||
* संकल्प ही मनुष्य का बल है। | * संकल्प ही मनुष्य का बल है। | ||
* संपूर्ण लेखन जैसी कोई | * संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी | ||
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | * अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | ||
* वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | ||
* | * मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते। | ||
* वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | * वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | ||
* जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | * जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | ||
Line 499: | Line 444: | ||
* जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | * जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | ||
* लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | * लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | ||
==अपमान, तिरस्कार (Insult)== | ==अपमान, तिरस्कार (Insult)== | ||
* तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं। ~ एक कहावत | * तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं। ~ एक कहावत | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। ~ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। ~ टैगोर | ||
Line 511: | Line 454: | ||
==बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)== | ==बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)== | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | ||
* अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | * अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | ||
Line 518: | Line 460: | ||
==यात्रा, सैर (Journey)== | ==यात्रा, सैर (Journey)== | ||
* न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | * न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | ||
* सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | * सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | ||
==न्याय, इंसाफ (Justice)== | ==न्याय, इंसाफ (Justice)== | ||
* बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है। | * बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है। | ||
* अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | * अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | ||
Line 531: | Line 470: | ||
* इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | * इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | ||
* अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | * अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | ||
* न्याय का मोती दया के | * न्याय का मोती दया के हृदय में मिलता है। ~ जर्मन कहावत | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। ~ डिकेंस | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। ~ डिकेंस | ||
* जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। ~ खलील जिब्रान | * जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। ~ खलील जिब्रान | ||
Line 538: | Line 477: | ||
==ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)== | ==ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)== | ||
* अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है। | * अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है। | ||
* विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | * विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | ||
Line 546: | Line 484: | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* जो दूसरों को जानता है, वह | * जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से | ||
* सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | * सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | ||
* प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | * प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | ||
Line 554: | Line 492: | ||
* इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
* ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | * ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | ||
==भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)== | ==भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)== | ||
* हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | * हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | ||
* राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | * राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | ||
Line 570: | Line 506: | ||
==आलस्य, आलस (Laziness)== | ==आलस्य, आलस (Laziness)== | ||
* आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है। ~ कूपर | * आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है। ~ कूपर | ||
* आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | * आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | ||
* जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | * जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | ||
* आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | * आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | ||
==नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)== | ==नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)== | ||
* अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | * अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | ||
* नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | * नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | ||
Line 584: | Line 517: | ||
* तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | * तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | ||
* निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | * निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | ||
==सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)== | ==सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)== | ||
* व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | * व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | ||
* विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | * विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | ||
* यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | * यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* नई | * नई चीज़ सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | ||
* मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | * मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | ||
==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ||
* जो बात सिद्धांतः ग़लत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | |||
* जो बात सिद्धांतः | |||
* थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | * थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। ~ शेक्सपियर | * झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। ~ शेक्सपियर | ||
Line 605: | Line 534: | ||
==जीवन, प्राण (Life)== | ==जीवन, प्राण (Life)== | ||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान् नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | |||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन | |||
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | * हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | ||
* आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | ||
* साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया | * साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दु:ख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत | ||
* ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | * ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | ||
* | * ज़िंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है। | ||
* जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | * जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | ||
* मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी | * मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी ज़िंदगी किस प्रकार गुजारी हैं। | ||
* जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। | * जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। | ||
* जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | * जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | ||
* जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी | * जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज़ में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे। ~ विलियम जेम्स | ||
* जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | * जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* किसी | * किसी चीज़ की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी ज़िंदगी लगा देते हैं। ~ हेनरी डेविड थोर | ||
* | * ज़िंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है। | ||
* सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | * सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | ||
* जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | * जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | ||
* | * ज़िंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर | ||
* जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* | * ज़िंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें। | ||
* | * ज़िंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है। | ||
* जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | * जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | ||
* जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | * जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | ||
Line 647: | Line 575: | ||
* जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान | * जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान | ||
* बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए। ~ अल गजाली | * बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए। ~ अल गजाली | ||
* जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। | * जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। हृदय कमल में तुम्हारा आसन विराजित रहे, सदा विराजित रहे। ~ रविन्द्र नाथ टैगोर | ||
* खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का। ~ प्रेमचंद | * खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का। ~ प्रेमचंद | ||
* जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* मौत जब तक नजर नहीं आती। ज़िन्दगी राह पर नहीं आती।। ~ जिगर | * मौत जब तक नजर नहीं आती। ज़िन्दगी राह पर नहीं आती।। ~ जिगर | ||
* जीवन एक | * जीवन एक बाज़ी की तरह है। हार-जीत तो हमारे हाथ में नहीं है, पर बाज़ी का खेलना हमारे हाथ में है। ~ जेरेमी टेलर | ||
* जीवन का रहस्य भोग में नहीं, पर अनुभव के द्वारा शिक्षा-प्राप्ति में है। ~ विवेकानंद | * जीवन का रहस्य भोग में नहीं, पर अनुभव के द्वारा शिक्षा-प्राप्ति में है। ~ विवेकानंद | ||
* जो दूसरों के जीवन के अंधकार में सुख का प्रकाश पहुंचाते हैं, उनका इस संसार से कभी नाश न होगा, वे अमर हैं। ~ स्वेट मार्डेन | * जो दूसरों के जीवन के अंधकार में सुख का प्रकाश पहुंचाते हैं, उनका इस संसार से कभी नाश न होगा, वे अमर हैं। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 659: | Line 587: | ||
* आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो। ~ बिशप कैर | * आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो। ~ बिशप कैर | ||
* जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है। ~ ताल्सतॉय | * जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है। ~ ताल्सतॉय | ||
* कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, | * कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, ज़िंदगी की सबसे अच्छी चीजों को ख़तम कर दें। ~ वाल्तैयेर | ||
* जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो। ~ सेनेका | * जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो। ~ सेनेका | ||
* जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ? | * जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ? | ||
==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ||
* सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए। | * सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए। | ||
* व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | * व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | ||
Line 671: | Line 598: | ||
* मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | * मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | ||
* बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | * बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | ||
==प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)== | ==प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)== | ||
* प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | * प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | ||
* एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | * एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | ||
Line 681: | Line 606: | ||
* प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | * प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | ||
* हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | * हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | ||
* मुहब्बत त्याग की | * मुहब्बत त्याग की माँ है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है। ~ सुदर्शन | ||
* हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | * हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | ||
* अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | * अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | ||
* प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | * प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* वही समाज सदैव सुखी रहकर | * वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक़्क़ी कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | ||
==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ||
* सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | * सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | ||
* उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | * उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
Line 698: | Line 621: | ||
* भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | * भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | ||
* हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | * हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | ||
==स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)== | ==स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)== | ||
* स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं। ~ प्राइमो लेवी | * स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं। ~ प्राइमो लेवी | ||
==ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)== | ==ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)== | ||
* उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | * उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | ||
* यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | * यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | ||
Line 713: | Line 632: | ||
* ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | * ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | ||
* अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | * अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | ||
* विवेकशील पुरुष दूसरे की | * विवेकशील पुरुष दूसरे की ग़लतीयों से अपनी ग़लती सुधारते हैं। ~ साइरस | ||
* | * ग़लतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो। ~ स्पेनिश कहावत | ||
* स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | * स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | ||
* त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | * त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | ||
* | * ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन | ||
* दूसरों कि | * दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा। | ||
* स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | * स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | ||
* एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | * एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | ||
* अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | * अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | ||
* ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | * ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | ||
* ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप | * ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेज़ीसे सीख रहे हैं। | ||
* बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | * बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | ||
* मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | * मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | ||
Line 732: | Line 651: | ||
* त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है। ~ सिगमंड फ्रायड | * त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है। ~ सिगमंड फ्रायड | ||
* ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया। | * ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया। | ||
* | * ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* जो मान गया कि उससे | * जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है। ~ कन्फुस्यियस | ||
* बहुत सी तथा बड़ी | * बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता। ~ ग्लेड स्टोन | ||
* अगर तुम | * अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। ~ टैगोर | ||
* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | * किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | ||
* दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। ~ कबीर | * दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। ~ कबीर | ||
Line 743: | Line 662: | ||
==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ||
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | * नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * महान् मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | ||
* नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | * नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | ||
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | * बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | ||
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | * नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | ||
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की | * संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की ज़रूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* मेरा विश्वास है की वास्तविक | * मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन | ||
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | * नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | ||
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | * ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | ||
==धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)== | ==धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)== | ||
* एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | * एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | ||
* धन अपना पराया नहीं देखता। | * धन अपना पराया नहीं देखता। | ||
Line 761: | Line 678: | ||
* कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | * पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | ||
* उस मनुष्य से | * उस मनुष्य से ग़रीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। ~ कहावत | ||
* दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | * दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | ||
* हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | * हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | ||
Line 776: | Line 693: | ||
==मां, जननी, माता (Mother)== | ==मां, जननी, माता (Mother)== | ||
* जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | * जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | ||
* माता का | * माता का हृदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | ||
==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ||
* इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | * इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | ||
* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | * सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | ||
Line 788: | Line 702: | ||
* रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | * रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | * असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | ||
==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ||
* खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | * खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | ||
* प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर | * प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज़ को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
==नव वर्ष, नया साल (New Year)== | ==नव वर्ष, नया साल (New Year)== | ||
* नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | * नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | ||
* नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले। | * नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले। | ||
Line 804: | Line 714: | ||
* नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | * नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | ||
* नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | * नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | ||
* नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी | * नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी हो। | ||
* नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | * नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | ||
* नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | * नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | ||
Line 813: | Line 723: | ||
* नव वर्ष शुभ हो। | * नव वर्ष शुभ हो। | ||
* नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | * नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | ||
==अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)== | ==अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)== | ||
* जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | * जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | ||
* अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। ~ कहावत | * अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। ~ कहावत | ||
Line 822: | Line 730: | ||
* समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। ~ रिचर्ड ब्रेथकेट | * समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। ~ रिचर्ड ब्रेथकेट | ||
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | * मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | ||
* ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा | * ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा। ~ शैम्फोर्ट | ||
* कोई | * कोई महान् व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता। | ||
* मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | * मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | ||
* यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | * यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | ||
Line 841: | Line 749: | ||
* रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | * रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | ||
* न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | * न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | ||
* वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, | * वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात् सब समय उत्तम है। ~ सामवेद | ||
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | ||
* वह व्यक्ति | * वह व्यक्ति महान् है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
* धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | * धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | ||
* जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | * जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | ||
Line 853: | Line 760: | ||
* धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। ~ चाणक्य | * धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। ~ चाणक्य | ||
* कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥ ~ कबीर | * कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥ ~ कबीर | ||
* नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर | * नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर पुरुष न्यायमार्ग से एक पग भी विचलित नहीं होते। ~ भर्तृहरी | ||
* विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही | * विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही पुरुष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में भी विकृत नहीं होता।) ~ कालिदास | ||
* जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है। | * जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है। | ||
* धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन | * धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन | ||
==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ||
* शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफ़ा करती है। ~ अज्ञात | |||
* शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना | |||
* यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन | * यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन | ||
* शांति, प्रगति के लिये आवश्यक है। ~ डा॰ राजेन्द्र प्रसाद | * शांति, प्रगति के लिये आवश्यक है। ~ डा॰ राजेन्द्र प्रसाद | ||
Line 867: | Line 773: | ||
==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर | |||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस | |||
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | ||
Line 879: | Line 784: | ||
* सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | * सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | ||
* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डॉ. राधाकृष्ण | ||
==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ||
* चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है। ~ जवाहरलाल नेहरू | * चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम | * यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम | ||
Line 891: | Line 794: | ||
* सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | * सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | ||
==गरीब, | ==गरीब, ग़रीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ||
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* | * ग़रीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | ||
* | * ग़रीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* | * ग़रीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल | ||
* निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | * निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | ||
* | * ग़रीबी लज्जा नहीं है, लेकिन ग़रीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। ~ कहावत | ||
* | * ग़रीबी मेरा अभिमान है। ~ हज़रत मोहम्मद | ||
* जो | * जो ग़रीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। ~ बाइबल | ||
==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ||
* आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है। ~ वैस्कल | * आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है। ~ वैस्कल | ||
* जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | * जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | ||
Line 919: | Line 820: | ||
==समस्या, मसला (Problem)== | ==समस्या, मसला (Problem)== | ||
* विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | * विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | ||
* मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
Line 926: | Line 826: | ||
* हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | * हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | ||
* हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं | * इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं ग़लत तो नहीं हूं)। | ||
* विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | * विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | ||
* आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 934: | Line 834: | ||
* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। | * जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। | ||
* बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | * बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | ||
==विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)== | ==विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)== | ||
Line 942: | Line 841: | ||
* नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | * नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | ||
* भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | * भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ | * सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ डॉ. राधाकृष्णन | ||
* | * हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। ~ जवाहरलाल नेहरु | ||
* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | * यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | * वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | ||
* त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। ~ लाला लाजपत रॉय | * त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। ~ लाला लाजपत रॉय | ||
==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ||
* शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं। ~ मैकियावेली | * शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं। ~ मैकियावेली | ||
==अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)== | ==अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)== | ||
* वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | * वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | ||
* आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | * आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | ||
Line 965: | Line 860: | ||
==सज़ा, दंड (Punishment)== | ==सज़ा, दंड (Punishment)== | ||
* दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण | * दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण | ||
* दंड अन्यायी के लिए न्याय है। ~ अगस्तियन | * दंड अन्यायी के लिए न्याय है। ~ अगस्तियन | ||
Line 972: | Line 866: | ||
==धर्म, मज़हब (Religion)== | ==धर्म, मज़हब (Religion)== | ||
* जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | * जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | ||
* प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | * प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | ||
Line 978: | Line 871: | ||
* धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | ||
* धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | ||
* अहिंसा ही धर्म है, वही | * अहिंसा ही धर्म है, वही ज़िंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ||
* इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है। ~ डिजरायली | * इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है। ~ डिजरायली | ||
==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ||
* आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | * आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | ||
* यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | * यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | ||
Line 996: | Line 885: | ||
==क्रांति (Revolution)== | ==क्रांति (Revolution)== | ||
* क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | * क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | ||
* क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | * क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | ||
Line 1,002: | Line 890: | ||
* जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | * जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | ||
* 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | * 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | ||
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ||
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* | * महान् त्याग से ही महान् कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | ||
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | ||
* प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण | * प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण | ||
* त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। ~ विनोबा | * त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। ~ विनोबा | ||
* पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। ~ संस्कृत सूक्ति | * पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। ~ संस्कृत सूक्ति | ||
* त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। ~ सुफियान सौरी | * त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। ~ सुफियान सौरी | ||
==दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)== | ==दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)== | ||
* दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | * दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | ||
* अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | * अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | ||
* किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | * किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | ||
* आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। ~ अज्ञात | * आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। ~ अज्ञात | ||
* ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर | * ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ़ करतें हैं। ~ इंजील | ||
* हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। ~ हज़रत मोहम्मद | * हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। ~ हज़रत मोहम्मद | ||
* संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान | * संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान | ||
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। ~ विदुरनीति | * संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। ~ विदुरनीति | ||
* रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा | * रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत् में, जानि परत सब कोय ॥ ~ रहीम | ||
* तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही | * तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दु:ख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। ~ लहरीदशक | ||
* मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। ~ बर्नार्ड शॉ | * मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। ~ बर्नार्ड शॉ | ||
* विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। ~ खलील जिब्रान | * विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। ~ खलील जिब्रान | ||
Line 1,040: | Line 923: | ||
==विज्ञान (Science)== | ==विज्ञान (Science)== | ||
* धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट | * विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट | ||
Line 1,048: | Line 930: | ||
==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ||
* प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | * प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | ||
* वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | * वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | ||
Line 1,061: | Line 942: | ||
* तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | * तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | ||
* जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | * जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | ||
==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ||
* मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | * मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | ||
* मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | * मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | ||
* हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | * हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | ||
* हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | * हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | ||
==आत्मा, रूह (Soul)== | ==आत्मा, रूह (Soul)== | ||
* सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | * सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | ||
* अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | * अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | ||
Line 1,089: | Line 966: | ||
* आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | * आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | ||
* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | * आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | ||
* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित | * अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरूप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर | ||
==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ||
* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही ज़रूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | |||
* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही | |||
* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | ||
* चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | * चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | ||
Line 1,101: | Line 976: | ||
* वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | * वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | ||
* जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य | * प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं। ~ सिसरो | ||
* भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | * भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | * सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | ||
* हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है। | * हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है। | ||
==सफलता, विजय, जीत (Success)== | ==सफलता, विजय, जीत (Success)== | ||
* जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | * समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | ||
Line 1,126: | Line 999: | ||
* हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | * हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | ||
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | * ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | ||
* | * महान् संकल्प ही महान् फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | * एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | ||
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | * सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | ||
Line 1,138: | Line 1,011: | ||
* सफलता कर्म करने से मिलती है। | * सफलता कर्म करने से मिलती है। | ||
* अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | * अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | ||
* दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती | * दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज़ तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। | ||
* सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | * सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | ||
* सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश। | * सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश। | ||
Line 1,159: | Line 1,032: | ||
* हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है। | * हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है। | ||
* प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए | * प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए | ||
* सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर | * सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर चीज़ सकारात्मक व ख़ूबसूरत लगती है। | ||
* असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं। | * असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं। | ||
* सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को | * सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को क़ायम रखिये। | ||
* सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन | * सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन | ||
* सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है। | * सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है। | ||
* सफल लोग सबकी परवाह करते हैं। उनका यह | * सफल लोग सबकी परवाह करते हैं। उनका यह लिहाज़ भी उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। | ||
* प्रयासों को प्रोत्साहित कीजिये। | * प्रयासों को प्रोत्साहित कीजिये। | ||
* तुम मुझे प्रोत्साहित करो, में तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा। ~ विलियम आर्थर बार्ड | * तुम मुझे प्रोत्साहित करो, में तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा। ~ विलियम आर्थर बार्ड | ||
Line 1,177: | Line 1,050: | ||
==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ||
* जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | * जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | ||
* एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | * एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | ||
* वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | * वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | ||
==लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)== | ==लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)== | ||
* लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | * लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | ||
* सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | * सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | ||
Line 1,195: | Line 1,065: | ||
* अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | * अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | ||
* हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | * हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | ||
* ध्येय जितना | * ध्येय जितना महान् होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है। | ||
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | * यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | * अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | ||
Line 1,202: | Line 1,072: | ||
==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ||
* माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | * माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | ||
* गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | * गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | ||
Line 1,211: | Line 1,080: | ||
==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ||
* उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | * उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | ||
* संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | * संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | ||
* व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | * व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | ||
* अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* मनुष्य अपने | * मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | ||
* | * महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | ||
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
* कंजूस : वह व्यक्ति जो | * कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर ग़रीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
* अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो | * अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | ||
* अनुभव : भूतकाल में की गई | * अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम। | ||
* कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | * कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | ||
* दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | * दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | ||
* मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी ख़ूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | * मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी ख़ूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | ||
* नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | * नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | ||
* आशावादी : वह | * आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | ||
* राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और | * राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और ग़रीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | ||
* आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | * आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | ||
* सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | * सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | ||
* ज्ञानी : वह | * ज्ञानी : वह शख़्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है। | ||
* मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है। | * मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है। | ||
* समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता। | * समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता। | ||
Line 1,236: | Line 1,104: | ||
* जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | * जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | * हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | ||
==समय, काल, वक़्त (Time)== | ==समय, काल, वक़्त (Time)== | ||
* समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | * समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | ||
* भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | * भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | ||
Line 1,246: | Line 1,112: | ||
* समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | * समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | ||
* बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | * बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | ||
* जो अपने समय का सबसे ज़्यादा | * जो अपने समय का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं। - ब्रूयर | ||
* जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | * जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | ||
* वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | * वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | ||
Line 1,255: | Line 1,121: | ||
* प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | * प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | ||
* समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | * समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | ||
* समय | * समय महान् चिकित्सक है। | ||
* एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | * एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | ||
* हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | * हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | ||
Line 1,261: | Line 1,127: | ||
* दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | * दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | ||
* समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | * समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | ||
* बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान | * बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत् में पूर्णतया कर्म करते हैं। | ||
* सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | * सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | ||
* जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | * जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | ||
Line 1,279: | Line 1,145: | ||
* काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ ~ [[कबीरदास]] | * काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ ~ [[कबीरदास]] | ||
* समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥ | * समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥ | ||
* अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे | * अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है। | ||
* हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है। | * हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है। | ||
* दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है) | * दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है) | ||
Line 1,286: | Line 1,152: | ||
==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ||
* विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | * विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | ||
* विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | ||
Line 1,294: | Line 1,159: | ||
* विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | * विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | ||
==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ||
* अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | * अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | ||
* सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | * सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | ||
Line 1,303: | Line 1,166: | ||
* डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | * डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
==समझना, सुबोध (Understanding)== | ==समझना, सुबोध (Understanding)== | ||
* ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | * ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | ||
* संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | * संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | ||
* समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | * समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | ||
==एकता, योग, मेल (Unity)== | ==एकता, योग, मेल (Unity)== | ||
* एकता से हमारा अस्तित्व क़ायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन | |||
* एकता से हमारा अस्तित्व | * एकता चापलूसी से क़ायम नहीं की जा सकती। ~ महात्मा गाँधी | ||
* एकता चापलूसी से | |||
* यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। ~ शेख सादी | * यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। ~ शेख सादी | ||
* एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात | * एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात | ||
Line 1,322: | Line 1,180: | ||
==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ||
* सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | * सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | ||
* उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
Line 1,338: | Line 1,195: | ||
* ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | * ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | ||
* प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | * प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | ||
==महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)== | ==महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)== | ||
* जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | * जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | ||
* स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | * स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | ||
Line 1,362: | Line 1,217: | ||
==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ||
* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाज़ा खोल देती है। ~ चाणक्य | |||
* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का | |||
* किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | * किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | ||
* ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
Line 1,372: | Line 1,226: | ||
* सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | * सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | * काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* | * महान् कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन | ||
* पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | * पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | ||
* कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | * कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | ||
Line 1,386: | Line 1,240: | ||
* जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | * जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | ||
* कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | * कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | ||
* | * ग़लत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। | ||
* जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | * जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | ||
* आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | * आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | ||
Line 1,409: | Line 1,263: | ||
==चिंता, आकुलता (Worry)== | ==चिंता, आकुलता (Worry)== | ||
* कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। ~ स्वेट मार्डेन | * कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। ~ शेख सादी | * अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। ~ शेख सादी | ||
Line 1,424: | Line 1,277: | ||
==युवा, जवानी (Youth)== | ==युवा, जवानी (Youth)== | ||
* युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | * युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | ||
==Other Quotes== | ==Other Quotes== | ||
* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * ग़रीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | ||
* | * महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | ||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | * महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | ||
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | * जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | ||
Line 1,447: | Line 1,297: | ||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | ||
* सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | * सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | ||
* हमारी | * हमारी रुचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है। ~ रस्किन | ||
* अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | * अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | ||
* उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | * उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* प्रेम के बाद सहानुभूति मानव | * प्रेम के बाद सहानुभूति मानव हृदय की पवित्रतम भावना है। ~ बर्क | ||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | ||
* जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | * जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | ||
Line 1,458: | Line 1,308: | ||
* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | * स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | ||
* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | * विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | ||
* | * महान् लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले | ||
* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | * सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | ||
* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात | * शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात |
Latest revision as of 08:25, 10 February 2021
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
अनमोल वचन |
---|
|
|
|
|
|