पुस्तक (सूक्तियाँ): Difference between revisions

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| मार्क ट्वेन  
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Latest revision as of 11:02, 1 August 2017

क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। रेने डकार्टेस
(2) जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। जवाहरलाल नेहरू
(3) किताबों में इतना ख़ज़ाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता। वाल्ट डिज्नी
(4) लोगों को मारा जा सकता है। लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं। अमोस ओज
(5) किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। चाणक्य
(6) बिना ग्रंथों का कक्ष, बिना आत्मा की देह है। शरण
(7) पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। महात्मा गांधी
(8) विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। जार्ज बर्नार्ड शॉ
(9) आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। टसर
(10) अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। मिल्टन
(11) अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। चैनिंग
(12) व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते।
(13) सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नहीं हो सकती। राबर्ट हेमिल्टन
(14) पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है, किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है। रे ब्रेडबरी
(15) सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। रेने डेकार्टेस
(16) उत्तम पुस्तकें जाग्रत्‌ देवता हैं। उनके अध्ययन-मनन-चिंतन के द्वारा पूजा करने पर तत्काल ही वरदान पाया जा सकता है।
(17) चिंतन और मनन बिना पुस्तक बिना साथी का स्वाध्याय-सत्संग ही है।
(18) मनोविकारों से परेशान, दु:खी, चिंतित मनुष्य के लिए उनके दु:ख-दर्द के समय श्रेष्ठ पुस्तकें ही सहारा है।
(19) वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक; किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं।
(20) वे माता-पिता धन्य हैं, जो अपनी संतान के लिए उत्तम पुस्तकों का एक संग्रह छोड़ जाते हैं।
(21) सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नहीं हो सकती। राबर्ट हेमिल्टन
(22) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान् पुस्तक लिखी गयी है। गैलिलियो
(23) अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। अज्ञात
(24) हिंदी ही हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है। हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक ख़रीदें! मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी लेखकों को प्रोत्साहन देंगे? शास्त्री फ़िलिप
(25) विश्व एक महान् पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते। आगस्टाइन
(26) पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है, संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक़ नहीं होती। जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
(27) यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है। एमर्शन
(28) स्वास्थ्य के संबंध में, पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक ग़लती जानलेवा भी हो सकती है। मार्क ट्वेन
(29) बुद्धिमत्ता की पुस्तक में ईमानदारी पहला अध्याय है। थॉमस जैफर्सन
(30) जो विद्या पुस्तक में रखी हो, मस्तिष्क में संचित हो और जो धन दूसरे के हाथ में चला गया हो, आवश्यकता पड़ने पर न वह विद्या ही काम आ सकती है और न वह धन ही। चाणक्य
(31) व्यथा और वेदना की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। अज्ञात
(32) जो विद्या केवल पुस्तकों में रहती है और जो धन दूसरे के हाथों में रहता है, समय पड़ने पर न वह विद्या है और न वह धन। लघुचाणक्य
(33) जिसके हृदय की पुस्तक खुल चुकी है, उसे अन्य किसी पुस्तक की आवश्यकता नहीं रह जाती। पु्स्तकों का महत्व केवल इतना भर है कि वे हममें लालसा जगाती है। वे प्राय: अन्य व्यक्ति के अनुभव होती हैं। विवेकानन्द
(34) अलमारियों में बंद वेदान्त की पुस्तकों से काम न चलेगा, तुम्हें उसको आचरण में लाना होगा। रामतीर्थ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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