प्रार्थना समाज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 3: Line 3:
प्रार्थना समाज संस्था के सहयोग से [[कालान्तर]] में दलित जाति मंडल, समाज सेवा संघ तथा दक्कन शिक्षा सभा की स्थापना हुई। [[पंजाब]] में इस समाज के प्रचार-प्रसार में दयाल सिंह के प्रन्यास ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। दक्षिण [[भारत]] में विश्वनाथ मुदलियर के नेतृत्व में ‘वेद समाज’ का नाम बदल कर ‘दक्षिण भारत ब्रह्मसमाज’ रखा गया।
प्रार्थना समाज संस्था के सहयोग से [[कालान्तर]] में दलित जाति मंडल, समाज सेवा संघ तथा दक्कन शिक्षा सभा की स्थापना हुई। [[पंजाब]] में इस समाज के प्रचार-प्रसार में दयाल सिंह के प्रन्यास ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। दक्षिण [[भारत]] में विश्वनाथ मुदलियर के नेतृत्व में ‘वेद समाज’ का नाम बदल कर ‘दक्षिण भारत ब्रह्मसमाज’ रखा गया।
==सुधार कार्य==
==सुधार कार्य==
ब्रह्मसमाजियों के विपरीत प्रार्थना समाज के सदस्य अपने को [[हिन्दू]] मानते थे। वे [[एकेश्वरवाद]] में विश्वास करते थे और [[महाराष्ट्र]] के [[तुकाराम]] तथा [[गुरु रामदास]] जैसे महान संतों की परम्परा के अनुयायी थे। प्रार्थना समाजियों ने अपना मुख्य ध्यान [[हिन्दू|हिन्दुओं]] में समाज सुधार के कार्यों, जैसे सहभोज, अंतर्जातीय विवाह, [[विधवा विवाह]], अछूतोद्धार आदि में लगाया। प्रार्थना समाज ने बहुत से समाज सुधारकों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिसमें जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे भी थे। मुख्य रूप से जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे के प्रयत्न से प्रार्थना समाज की ओर से 'दक्कन एजुकेशन सोसाइटी' (दक्षिण शिक्षा समिति) जैसी लोकोपकारी संस्थाओं की स्थापना की गई।
ब्रह्मसमाजियों के विपरीत प्रार्थना समाज के सदस्य अपने को [[हिन्दू]] मानते थे। वे [[एकेश्वरवाद]] में विश्वास करते थे और [[महाराष्ट्र]] के [[तुकाराम]] तथा [[गुरु रामदास]] जैसे महान् संतों की परम्परा के अनुयायी थे। प्रार्थना समाजियों ने अपना मुख्य ध्यान [[हिन्दू|हिन्दुओं]] में समाज सुधार के कार्यों, जैसे सहभोज, अंतर्जातीय विवाह, [[विधवा विवाह]], अछूतोद्धार आदि में लगाया। प्रार्थना समाज ने बहुत से समाज सुधारकों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिसमें जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे भी थे। मुख्य रूप से जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे के प्रयत्न से प्रार्थना समाज की ओर से 'दक्कन एजुकेशन सोसाइटी' (दक्षिण शिक्षा समिति) जैसी लोकोपकारी संस्थाओं की स्थापना की गई।


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
Line 21: Line 21:
[[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]]
[[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 11:18, 1 August 2017

प्रार्थना समाज की स्थापना वर्ष 1867 ई. में बम्बई में आचार्य केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से महादेव गोविन्द रानाडे, डॉ. आत्माराम पांडुरंग, चन्द्रावरकर आदि द्वारा की गई थी। जी.आर. भण्डारकर प्रार्थना समाज के अग्रणी नेता थे। प्रार्थना समाज का मुख्य उद्देश्य जाति प्रथा का विरोध, स्त्री-पुरुष विवाह की आयु में वृद्धि, विधवा-विवाह, स्त्री शिक्षा आदि को प्रोत्साहन प्रदान करना था।

प्रचार-प्रसार

प्रार्थना समाज संस्था के सहयोग से कालान्तर में दलित जाति मंडल, समाज सेवा संघ तथा दक्कन शिक्षा सभा की स्थापना हुई। पंजाब में इस समाज के प्रचार-प्रसार में दयाल सिंह के प्रन्यास ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। दक्षिण भारत में विश्वनाथ मुदलियर के नेतृत्व में ‘वेद समाज’ का नाम बदल कर ‘दक्षिण भारत ब्रह्मसमाज’ रखा गया।

सुधार कार्य

ब्रह्मसमाजियों के विपरीत प्रार्थना समाज के सदस्य अपने को हिन्दू मानते थे। वे एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे और महाराष्ट्र के तुकाराम तथा गुरु रामदास जैसे महान् संतों की परम्परा के अनुयायी थे। प्रार्थना समाजियों ने अपना मुख्य ध्यान हिन्दुओं में समाज सुधार के कार्यों, जैसे सहभोज, अंतर्जातीय विवाह, विधवा विवाह, अछूतोद्धार आदि में लगाया। प्रार्थना समाज ने बहुत से समाज सुधारकों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिसमें जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे भी थे। मुख्य रूप से जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे के प्रयत्न से प्रार्थना समाज की ओर से 'दक्कन एजुकेशन सोसाइटी' (दक्षिण शिक्षा समिति) जैसी लोकोपकारी संस्थाओं की स्थापना की गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख