सुल्तान ख़ान: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 9: | Line 9: | ||
|मृत्यु=[[27 नवम्बर]], [[2011]] | |मृत्यु=[[27 नवम्बर]], [[2011]] | ||
|मृत्यु स्थान=[[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] | |मृत्यु स्थान=[[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] | ||
| | |अभिभावक=गुलाब ख़ान | ||
|पति/पत्नी=बानो ख़ान | |पति/पत्नी=बानो ख़ान | ||
|संतान=पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा | |संतान=पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा | ||
|कर्म भूमि=भारत | |कर्म भूमि=[[भारत]] | ||
|कर्म-क्षेत्र=सारंगी वादन तथा शास्त्रीय गायन | |कर्म-क्षेत्र=सारंगी वादन तथा शास्त्रीय गायन | ||
|मुख्य रचनाएँ= | |मुख्य रचनाएँ= | ||
Line 32: | Line 32: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''सुल्तान ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sultan Khan'', जन्म- [[15 अप्रैल]], [[1940]], [[जयपुर]]; मृत्यु- [[27 नवम्बर]], [[2011]], [[मुम्बई]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध [[सारंगी वादक]] और शास्त्रीय गायक थे। वे 'इन्दौर घराना' से सम्बन्धित थे। उन्हें देश में सारंगी को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। [[सारंगी]] के उस्ताद और [[हृदय]] को छूने वाले 'पिया बसंती रे' तथा 'अलबेला सजन आयो रे' सरीखे गीतों को अपनी आवाज़ देने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान को [[हिन्दी]] [[संगीत]] जगत में विशेष सम्माननीय दर्जा प्राप्त है। उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान '[[पद्मभूषण]]' से वर्ष [[2012]] में सम्मानित किया गया था। | |||
'''सुल्तान ख़ान''' (जन्म- [[15 अप्रैल]], [[1940]], [[जयपुर]]; मृत्यु- [[27 नवम्बर]], [[2011]], [[मुम्बई]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध [[सारंगी वादक]] और शास्त्रीय गायक थे। वे 'इन्दौर घराना' से सम्बन्धित थे। उन्हें देश में सारंगी को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। [[सारंगी]] के उस्ताद और [[हृदय]] को छूने वाले 'पिया बसंती रे' तथा 'अलबेला सजन आयो रे' सरीखे गीतों को अपनी आवाज़ देने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान को [[हिन्दी]] [[संगीत]] जगत में विशेष सम्माननीय दर्जा प्राप्त है। उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान '[[पद्मभूषण]]' से वर्ष [[2012]] में सम्मानित किया गया था। | |||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
सुल्तान ख़ान का जन्म 15 अप्रैल, 1940 को सीकर, जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम गुलाब ख़ान था। सुल्तान ख़ान ने सारंगी वादन का प्रारम्भिक ज्ञान अपने पिता से ही प्राप्त किया था। जब वे मात्र ग्यारह साल के थे, तभी से स्टेज पर प्रस्तुति देने लगे थे। अपने पिता से [[संगीत]] की शुरुआती शिक्षा लेने के बाद सुल्तान ख़ान ने 'इन्दौर घराने' के शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर ख़ान की शागिर्दी में अपनी कला को निखारा। | सुल्तान ख़ान का जन्म 15 अप्रैल, 1940 को [[सीकर]], जयपुर ([[राजस्थान]]) में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम गुलाब ख़ान था। सुल्तान ख़ान ने सारंगी वादन का प्रारम्भिक ज्ञान अपने पिता से ही प्राप्त किया था। जब वे मात्र ग्यारह साल के थे, तभी से स्टेज पर प्रस्तुति देने लगे थे। अपने पिता से [[संगीत]] की शुरुआती शिक्षा लेने के बाद सुल्तान ख़ान ने 'इन्दौर घराने' के शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर ख़ान की शागिर्दी में अपनी कला को निखारा। | ||
====परिवार==== | ====परिवार==== | ||
उस्ताद सुल्तान ख़ान के परिवार में उनकी दूसरी पत्नी बानो ख़ान, पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा हैं। पुत्र साबिर ख़ान भी मशहूर सारंगी वादक हैं। सुल्तान ख़ान के भाई नियाज अहमद ख़ान एक [[सितार वादक]] हैं। | उस्ताद सुल्तान ख़ान के परिवार में उनकी दूसरी पत्नी बानो ख़ान, पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा हैं। पुत्र साबिर ख़ान भी मशहूर सारंगी वादक हैं। सुल्तान ख़ान के भाई नियाज अहमद ख़ान एक [[सितार वादक]] हैं। | ||
Line 43: | Line 42: | ||
उस्ताद सुल्तान ख़ान [[भारत]] में फ़्यूजन संगीत समूह तबला बीट साईंस के सदस्य रहे थे। तबला बीट साईंस में उनके अलावा भारत के जानेमाने [[तबला वादक]] [[उस्ताद जाकिर हुसैन]] और बिल लास्वेल भी सदस्य रहे। इसके साथ ही [[पंडित रविशंकर]] और मशहूर बैंड 'द बीटल्स' के साथ भी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। | उस्ताद सुल्तान ख़ान [[भारत]] में फ़्यूजन संगीत समूह तबला बीट साईंस के सदस्य रहे थे। तबला बीट साईंस में उनके अलावा भारत के जानेमाने [[तबला वादक]] [[उस्ताद जाकिर हुसैन]] और बिल लास्वेल भी सदस्य रहे। इसके साथ ही [[पंडित रविशंकर]] और मशहूर बैंड 'द बीटल्स' के साथ भी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। | ||
==प्रसिद्धि== | ==प्रसिद्धि== | ||
विश्व प्रसिद्ध पॉप क्वीन मैडोना के एल्बम के लिए भी सुल्तान ख़ान ने [[सारंगी]] बजाई। मशहूर फ़िल्म निर्माता और ऑस्कर विजेता रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म 'गाँधी' में भी सुल्तान ख़ान की सारंगी सुनाई दी थी। गायिका चित्रा के 'पिया बसंती' एल्बम में उनकी सारंगी धुनों ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। 'पिया बसंती' एल्बम को एमटीवी का 'इंटरनेशनल वीवर्स च्वाइस अवार्ड' भी मिला था। | विश्व प्रसिद्ध पॉप क्वीन मैडोना के एल्बम के लिए भी सुल्तान ख़ान ने [[सारंगी]] बजाई। मशहूर फ़िल्म निर्माता और [[ऑस्कर पुरस्कार|ऑस्कर]] विजेता रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म 'गाँधी' में भी सुल्तान ख़ान की सारंगी सुनाई दी थी। गायिका चित्रा के 'पिया बसंती' एल्बम में उनकी सारंगी धुनों ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। 'पिया बसंती' एल्बम को एमटीवी का 'इंटरनेशनल वीवर्स च्वाइस अवार्ड' भी मिला था। | ||
====पुरस्कार व सम्मान==== | ====पुरस्कार व सम्मान==== | ||
उस्ताद सुल्तान ख़ान '[[पद्मभूषण]]' के साथ ही दो बार '[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]' और [[महाराष्ट्र]] के 'स्वर्ण पदक पुरस्कार' से भी नवाजे गए थे। वर्ष [[1998]] में उन्हें 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ आर्टिस्ट अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया था। | उस्ताद सुल्तान ख़ान '[[पद्मभूषण]]' के साथ ही दो बार '[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]' और [[महाराष्ट्र]] के 'स्वर्ण पदक पुरस्कार' से भी नवाजे गए थे। वर्ष [[1998]] में उन्हें 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ आर्टिस्ट अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया था। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनाने वाले और [[सारंगी]] को विशेष प्रसिद्धि दिलाने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान का [[27 नवम्बर]], [[2011]] को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] में निधन हुआ। | [[शास्त्रीय संगीत]] के क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनाने वाले और [[सारंगी]] को विशेष प्रसिद्धि दिलाने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान का [[27 नवम्बर]], [[2011]] को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] में निधन हुआ। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 56: | Line 55: | ||
[[Category:वादन]][[Category:शास्त्रीय वादक कलाकार]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]][[Category:संगीत कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]] | [[Category:वादन]][[Category:शास्त्रीय वादक कलाकार]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]][[Category:संगीत कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
Latest revision as of 06:04, 15 April 2018
सुल्तान ख़ान
| |
पूरा नाम | सुल्तान ख़ान |
जन्म | 15 अप्रैल, 1940 |
जन्म भूमि | जयपुर, राजस्थान |
मृत्यु | 27 नवम्बर, 2011 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | गुलाब ख़ान |
पति/पत्नी | बानो ख़ान |
संतान | पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | सारंगी वादन तथा शास्त्रीय गायन |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मभूषण', 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार', 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ आर्टिस्ट अवार्ड' |
प्रसिद्धि | सारंगी वादक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उस्ताद सुल्तान ख़ान ने मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र से ही स्टेज पर प्रस्तुति देना प्रारम्भ कर दिया था। |
सुल्तान ख़ान (अंग्रेज़ी: Sultan Khan, जन्म- 15 अप्रैल, 1940, जयपुर; मृत्यु- 27 नवम्बर, 2011, मुम्बई) भारत के प्रसिद्ध सारंगी वादक और शास्त्रीय गायक थे। वे 'इन्दौर घराना' से सम्बन्धित थे। उन्हें देश में सारंगी को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। सारंगी के उस्ताद और हृदय को छूने वाले 'पिया बसंती रे' तथा 'अलबेला सजन आयो रे' सरीखे गीतों को अपनी आवाज़ देने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान को हिन्दी संगीत जगत में विशेष सम्माननीय दर्जा प्राप्त है। उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'पद्मभूषण' से वर्ष 2012 में सम्मानित किया गया था।
जन्म तथा शिक्षा
सुल्तान ख़ान का जन्म 15 अप्रैल, 1940 को सीकर, जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम गुलाब ख़ान था। सुल्तान ख़ान ने सारंगी वादन का प्रारम्भिक ज्ञान अपने पिता से ही प्राप्त किया था। जब वे मात्र ग्यारह साल के थे, तभी से स्टेज पर प्रस्तुति देने लगे थे। अपने पिता से संगीत की शुरुआती शिक्षा लेने के बाद सुल्तान ख़ान ने 'इन्दौर घराने' के शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर ख़ान की शागिर्दी में अपनी कला को निखारा।
परिवार
उस्ताद सुल्तान ख़ान के परिवार में उनकी दूसरी पत्नी बानो ख़ान, पुत्र साबिर ख़ान तथा दो पुत्रियाँ रेशमा तथा शेरा हैं। पुत्र साबिर ख़ान भी मशहूर सारंगी वादक हैं। सुल्तान ख़ान के भाई नियाज अहमद ख़ान एक सितार वादक हैं।
बड़ी हस्तियों के साथ कार्य
उस्ताद सुल्तान ख़ान ने भारतीय संगीत के क्षेत्र में प्रसिद्ध कई बड़े नामों के साथ कार्य किया। उन्होंने सुर कोकिला लता मंगेशकर, तबला वादक अल्ला रक्खा ख़ान व जाकिर हुसैन, बाँसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया और संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा को भी अपनी कला से प्रभावित किया।
अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में शिरकत
उस्ताद सुल्तान ख़ान भारत में फ़्यूजन संगीत समूह तबला बीट साईंस के सदस्य रहे थे। तबला बीट साईंस में उनके अलावा भारत के जानेमाने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन और बिल लास्वेल भी सदस्य रहे। इसके साथ ही पंडित रविशंकर और मशहूर बैंड 'द बीटल्स' के साथ भी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
प्रसिद्धि
विश्व प्रसिद्ध पॉप क्वीन मैडोना के एल्बम के लिए भी सुल्तान ख़ान ने सारंगी बजाई। मशहूर फ़िल्म निर्माता और ऑस्कर विजेता रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म 'गाँधी' में भी सुल्तान ख़ान की सारंगी सुनाई दी थी। गायिका चित्रा के 'पिया बसंती' एल्बम में उनकी सारंगी धुनों ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। 'पिया बसंती' एल्बम को एमटीवी का 'इंटरनेशनल वीवर्स च्वाइस अवार्ड' भी मिला था।
पुरस्कार व सम्मान
उस्ताद सुल्तान ख़ान 'पद्मभूषण' के साथ ही दो बार 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' और महाराष्ट्र के 'स्वर्ण पदक पुरस्कार' से भी नवाजे गए थे। वर्ष 1998 में उन्हें 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ आर्टिस्ट अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया था।
निधन
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनाने वाले और सारंगी को विशेष प्रसिद्धि दिलाने वाले उस्ताद सुल्तान ख़ान का 27 नवम्बर, 2011 को मुम्बई, महाराष्ट्र में निधन हुआ।
|
|
|
|
|