वाल्मीकि के अनमोल वचन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "उत्पन " to "उत्पन्न") |
||
Line 18: | Line 18: | ||
* हितकर, किंतु अप्रिय वचन को कहने और सुनने वाले, दोनों दुर्लभ हैं। | * हितकर, किंतु अप्रिय वचन को कहने और सुनने वाले, दोनों दुर्लभ हैं। | ||
* सेवा के लिए अर्पण किया गया बल हमेशा टिकेगा, वह अमर होगा। | * सेवा के लिए अर्पण किया गया बल हमेशा टिकेगा, वह अमर होगा। | ||
* धर्म से अर्थ | * धर्म से अर्थ उत्पन्नहोता है। धर्म से सुख होता है। धर्म से मनुष्य सब कुछ प्राप्त करता है। धर्म जगत का सार है। | ||
* राजा जैसा आचरण करता है, प्रजा वैसा ही आचरण करने लगती है। | * राजा जैसा आचरण करता है, प्रजा वैसा ही आचरण करने लगती है। | ||
* अच्छे स्वभाव वाले मित्र अपने घर के सोने चांदी अथवा उत्तम आभूषणो को अपने अच्छे मित्रो से अलग नहीं समझते। | * अच्छे स्वभाव वाले मित्र अपने घर के सोने चांदी अथवा उत्तम आभूषणो को अपने अच्छे मित्रो से अलग नहीं समझते। |