अनुभव: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''अनुभव''' प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 13: | Line 13: | ||
'''अनुभव''' ([[पुल्लिंग]]) [अनु+भू+अप] | |||
:1. साक्षात् या प्रतयक्ष ज्ञान, मन के [[संस्कार]] जो स्मृतिजन्य न हों ज्ञान का एक भेद<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=46|url=|ISBN=}}</ref> | |||
:2. तजुर्बा-अनुभवं वचसा सखि लुम्पसि-नै. 4/105 | |||
:3. समझ | |||
:4. फल, परिणाम | |||
सम.-सिद्ध ([[विशेषण]]) अनुभव द्वारा ज्ञात। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 20: | Line 27: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{शब्द संदर्भ कोश}} | {{शब्द संदर्भ कोश}} | ||
[[Category:दर्शन]][[Category:दर्शन कोश]][[Category:शब्द संदर्भ कोश]] | [[Category:दर्शन]][[Category:दर्शन कोश]][[Category:शब्द संदर्भ कोश]][[Category:संस्कृत हिन्दी शब्दकोश]][[Category:संस्कृत शब्दकोश]] | ||
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | [[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 09:49, 18 September 2023
अनुभव प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान। प्रत्यक्ष ज्ञान अथवा बोध। स्मृति से भिन्न ज्ञान। तर्कसंग्रह के अनुसार ज्ञान के दो भेद हैं-स्मृति और अनुभव। संस्कार मात्र से उत्पन्न ज्ञान को स्मृति और इससे भिन्न ज्ञान को अनुभव कहते हैं। अनुभव के दो भेद हैं-यथार्थ अनुभव तथा अयथार्थ अनुभव। प्रथम को प्रमा तथा द्वितीय को अप्रमा कहते हैं। यथार्थ अनुभव के चार भेद हैं-
(1) प्रत्यक्ष,
(2) अनुमिति,
(3) उपमिति, तथा
(4) शाब्द।
इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति, भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं। इन्हें क्रम से प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति, अनुलब्धि, संभव, ऐतिह्य तथा चेष्टा से प्राप्त किया जा सकता है।[1]
अयथार्थ अनुभव के तीन भेद हैं-
(1) संशय,
(2) विपर्यय तथा
(3) तर्क। संदिग्ध ज्ञान को संशय, मिथ्या ज्ञान को विपर्यय एवं ऊह (संभावना) को तर्क कहते है।[2]
अनुभव (पुल्लिंग) [अनु+भू+अप]
- 1. साक्षात् या प्रतयक्ष ज्ञान, मन के संस्कार जो स्मृतिजन्य न हों ज्ञान का एक भेद[3]
- 2. तजुर्बा-अनुभवं वचसा सखि लुम्पसि-नै. 4/105
- 3. समझ
- 4. फल, परिणाम
सम.-सिद्ध (विशेषण) अनुभव द्वारा ज्ञात।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख