प्रणामी सम्प्रदाय: Difference between revisions

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Revision as of 05:49, 8 November 2011

परिणामी सम्प्रदाय वैष्णवों का एक उप सम्प्रदाय है, जिसे 'परिणामी' अथवा 'प्रणामी' नाम से भी पहचाना जाता है। इस सम्पद्राय के प्रवर्तक महात्मा प्राणनाथजी परिणामवादी वेदान्ती थे। भारत में इन्होंने कई प्रांतों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया। आज भी इनके अनुयायी बड़ी संख्या में पाये जाते हैं।

  • महात्मा प्राणनाथजी पन्ना बुंदेलखण्ड के रहने वाले थे।
  • बुंदेलखण्ड के महाराज छत्रसाल इन्हें अपना गुरु मानते थे।
  • महात्मा प्राणनाथजी मुसलमानों का मेहदी, ईसाइयों का मसीहा और हिन्दुओं का कल्कि अवतार कहते थे।
  • इन्होंने मुसलमानों से कई शास्त्रार्थ तथा वाद-विवाद भी किये थे।
  • 'सर्वधर्मसमन्वय' की भावना को जागृत करना ही इनका प्रमुख लक्ष्य था।
  • इनके द्वारा प्रतिपादित मत प्राय: निम्बार्कियों के जैसा था।
  • प्राणनाथजी गोलोकवासी श्री कृष्ण के साथ सख्य भाव रखने की शिक्षा देते थे।
  • इन्होंने अपने जीवन में अनेक रचनाएँ भी की हैं।
  • भारत में इनकी शिष्य परम्परा का भी एक अच्छा साहित्य है।
  • इनके अनुयायी वैष्णव हैं और गुजरात, राजस्थान, बुंदेलखण्ड में अधिक पाये जाते हैं।

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 390 |


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