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{{दिल्ली लेख सूची}} | |||
__TOC__ {{सूचना बक्सा दिल्ली}} | |||
*दिल्ली [[भारत]] की राजधानी एवं महानगरीय क्षेत्र है। इसमें [[नई दिल्ली]] सम्मिलित है जो कि ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसी थी। महान ऐतिहासिक महत्त्व वाला यह महानगरीय क्षेत्र महत्त्वपूर्ण व्यापारिक, परिवहन एवं सांस्कृतिक हलचलों से भरा है। | |||
*दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में [[गंगा नदी|गंगा]] की एक प्रमुख सहायक [[यमुना नदी|नदी यमुना]] के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली देश का तीसरा बड़ा शहर है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल तथा रमणीय स्थल अपने आप में विशेष हैं। [[पर्यटन]] विकास के उद्वेश्य से यह [[आगरा]] और [[जयपुर]] से जुड़ा है। | |||
*दिल्ली तो है दिल वालों की। दिल्ली के इतिहास में सम्पूर्ण [[भारत]] की झलक सदैव मौजूद रही है। [[अमीर ख़ुसरो]] और [[मिर्जा ग़ालिब|ग़ालिब]] की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली [[नादिरशाह]] की लूट की चीखों से सहम भी जाती है। [[चाँदनी चौक]]-[[जामा मस्जिद दिल्ली|जामा मस्जिद]] की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर [[26 जनवरी]] की परेड को निहारती हुई दिल्ली [[30 जनवरी]] को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने दौलताबाद जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और [[लाल क़िला|लाल क़िले]] से [[प्रधानमंत्री]] के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। कभी रघुराय ने दिल्ली की रायसीना पहाड़ी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया तो कभी हुसैन के [[रंग|रंगों]] ने दिल्ली को [[रंग]] दिया। दिल्ली कभी [[कुतुबमीनार]] की मंज़िलों को चढ़ाने में पसीना बहाती रही तो कभी [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] में पत्थरों को तराशती रही। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है।<ref>आदित्य चौधरी (भारतकोश प्रशासक) के वक्तव्य का अंश</ref> | |||
==नामकरण== | |||
* अनुश्रुति है कि इसका वर्तमान नाम राजा ढीलू के नाम पर पड़ा जिसका आधिपत्य ई.पू. पहली शताब्दी में इस क्षेत्र पर था। बहरहाल बिजोला अभिलेखों (1170ई.) में उल्लेखित ढिल्ली या ढिल्लिका सबसे पहला लिखित उद्धरण है। [[महाभारत]] काल में [[पाण्डव|पाण्डवों]] द्वारा बसाया गया [[इन्द्रप्रस्थ]] नगर, दिल्ली आज हमारे देश का [[हृदय]] कहलाता है। | |||
* एक मत के अनुसार दिल्ली का नामकरण फ़ारसी शब्द 'दहलीज़' पर पड़ा है। जिसका अर्थ है 'प्रवेश द्वार'। | |||
* कुछ अन्य लोगों के मतानुसार आठवीं सदी में [[कन्नौज]] के राजा दिल्लू के नाम पर इसका नामांकन हुआ है। कई [[मुग़ल]] साम्राज्यों ने भी दिल्ली पर अपनी प्रभावी छाप छोड़ी है। कई अवसरों पर दिल्ली ने कई साम्राज्यों के पतन में अपनी छाप छोड़ी है। ऐसे बहुरूपदर्शी भूतकाल में न केवल दिल्ली बल्कि विश्व के महानतम लोकतंत्र की खोज की जा सकती है। | |||
==इतिहास== | |||
{{मुख्य|दिल्ली का इतिहास}} | |||
[[महाभारत]] काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह [[मौर्य वंश|मौर्यों]] से आरंभ होकर [[पल्लव|पल्लवों]] तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13 वीं से 15 वीं [[सदी]] तक तुर्क और अफ़ग़ान और अंत में 16 वीं सदी में [[मुग़ल|मुग़लों]] के हाथों में पहुँचा। 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना हुई। [[चित्र:Red-Fort.jpg|thumb|250px|left|[[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िला]], दिल्ली<br /> Red Fort, Delhi]] 1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। दिल्ली के इतिहास में 69 वां संविधान संशोधन विधेयक एक महत्त्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ। दिल्ली का पुरातात्विक परिदृश्य अत्यंत दिलचस्प है व सहस्राब्दियों पुराने स्मारक क़दम-क़दम पर खड़े नज़र आते हैं। नए या पुराने क़िलेबंद स्थान पर निर्मित 13 शहरों ने दिल्ली–अरावली त्रिकोण के लगभग 180 वर्ग किलोमीटर के एक सीमित क्षेत्र में अपनी मौजूदगी के निशान छोड़े हैं। दिल्ली के बारे में '''यह किंवदंती प्रचलित है कि जिसने भी यहाँ नया शहर बनाया, उसे इसे खोना पड़ा।''' सबसे पुराना नगर [[इंद्रप्रस्थ]], क़रीब 1400 ई.पू निर्मित किया गया था और [[वेदव्यास]] रचित महाकाव्य [[महाभारत]] में इसका वर्णन [[पांडव|पांडवो]] की राजधानी के रूप में मिलता है। इस त्रिकोण में निर्मित दिल्ली का दूसरा शहर है अनंगपुर या आनंदपुर, जिसकी स्थापना लगभग 1020 ई. में तोमर राजपूत नरेश अनंग पाल ने राजनिवास के रूप में की थी। यह शहर अर्द्धवृत्ताकार निर्मित तालाब सूरजकुंड के आसपास बसा था। अनंग पाल ने बाद में इसे 10 किलोमीटर पश्चिम की ओर [[लालकोट]] पर स्थापित एक दुर्ग में स्थानांतरित किया। | |||
==भौगोलिक संरचना== | |||
{{Main|दिल्ली का भूगोल}} | |||
दिल्ली एक [[जलसंभर]] पर स्थित है। जो [[गंगा]] तथा [[सिंधु नदी]] प्रणालियों को विभाजित करता है। दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो [[राजस्थान]] प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है। अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है। पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण में फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है। यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरों की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई। | |||
[[चित्र:Delhi-in-1858.jpg|thumb|left|220px|दिल्ली(शाहजहाँबाद) का एक दृश्य, वर्ष 1858]] | |||
====जलवायु==== | |||
{{Main|दिल्ली की जलवायु}} | |||
दिल्ली की जलवायु [[उपोष्ण]] है। दिल्ली में गर्मी के महीने [[मई]] तथा [[जून]] बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं। दिन का तापमान कभी-कभी 40-45 सेल्सियस तक पहुँच जाता है। मानसून [[जुलाई]] में आता है। और तापमान को कम करता है। लेकिन [[सितंबर]] के अंत तक मौसम गर्म, उमस भरा और कष्टप्रद रहता है। यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा लगभग 660 मिमी है। [[अक्टूबर]] से [[मार्च]] के बीच का मौसम काफ़ी सुहावना रहता है। हालांकि [[दिसंबर]] तथा [[जनवरी]] के महीने खूब ठंडे व कोहरे से भरे होते हैं। और कभी-कभी वर्षा भी हो जाती है। [[चित्र:New-Delhi-Map.jpg|thumb|250px|दिल्ली का मानचित्र]] शीतकाल में प्रतिदिन का औसत न्यूनतम तापमान 7 डिग्री से. के आसपास रहता है, लेकिन कुछ रातें अधिक सर्द होती है। | |||
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[[चित्र:Supreme-Court.jpg|thumb|250px|[[उच्चतम न्यायालय]], [[भारत]]<br />Supreme Court, India]] | |||
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{{दिल्ली भवन सूची}} | |||
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[[चित्र:Delhi-Police-Station.jpg|thumb|250px|थाना डिफेन्स कॉलोनी, दिल्ली]] | |||
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==प्रशासन एवं नियोजन== | |||
====प्रशासनिक व्यवस्था==== | |||
{{Main|दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था}} | |||
*दिल्ली ने प्रशासनिक व्यवस्था में कई फेरबदल देखे हैं। | |||
*[[2 अगस्त]], 1858 को ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसने भारत की अंग्रेज़ी सत्ता को [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] से ब्रिटिश राज में स्थानांतरित कर दिया। | |||
*[[1876]] में [[महारानी विक्टोरिया]] के शासनाधिकार में 'भारत की सम्राज्ञी' पदवी शामिल हो गई। | |||
====पानी की समस्या==== | |||
{{Main|दिल्ली की पानी की समस्या}} | |||
*दिल्ली को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है। | |||
*आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है। | |||
*उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है। | |||
==अर्थव्यवस्था== | |||
{{Main|दिल्ली की अर्थव्यवस्था}} | |||
किसी भी ऐतिहासिक राजधानी की तरह दिल्ली भी वैविध्यपूर्ण केंद्र है, जिसमे प्रशासन, सेवाएं और निर्माण अच्छी तरह मिले–जुले हैं। दिल्ली कला एव हस्तकौशल की प्रचुर विविधता का केंद्र रहा है। मुग़ल काल में दिल्ली रत्न और आभूषण, धातु पच्चीकारी, क़सीदाकारी, सोने की पच्चीकारी, रेशम और ज़री का काम, मीनाकारी और शिल्प, मूर्तिकला और [[चित्रकला]] के लिए विख्यात थी। दिल्ली का वर्तमान प्रशासकीय महत्त्व उस समय से है, जब भारत का शासन [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] से लेकर महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया और [[ब्रिटिश साम्राज्य]] की राजधानी, वाणिज्यिक और सेवा केन्द के रूप में विकसित हो गई। यहाँ की लगभग तीन–चौथाई आबादी व्यापार लोक प्रशासन, सामुदायिक, सामाजिक और निजी सेवाओं में संलग्न है। | |||
====कृषि और खनिज==== | |||
[[गेहूँ]], बाजरा, ज्वार, चना और मक्का की प्रमुख फ़सलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फ़सलों की बजाय फलों और सब्जियों, [[दूध|दुग्ध]] उत्पादन, मुर्गी पालन, [[फूल|फूलों]] की खेती को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। [[चित्र:Wheat-1.jpg|thumb|200px|left|[[गेहूँ]]]] ये गतिविधियाँ खाद्यान्नों, फ़सलों के मुक़ाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं। | |||
====सिंचाई==== | |||
दिल्ली के गाँवों का तेज़ी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। राज्य में ‘केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीय’ तथा ‘जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्तार सिंचाई प्रणाली’ नामक दो योजनाएं चलाई जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्टेयर की सिंचाई राज्य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्टेयर की सिंचाई अतिरिक्त पानी द्वारा की जा रही है। [[चित्र:Irrigation-India.JPG|thumb|220px]] इसके अलावा 4,900 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है। | |||
{{दिल्ली चित्र सूची2}} | |||
==शिक्षा== | |||
{{Main|दिल्ली में शिक्षा}} | |||
{{दिल्ली शैक्षणिक सूची}} | |||
दिल्ली, [[भारत]] में शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। दिल्ली के विकास के साथ-साथ यहाँ शिक्षा का भी तेज़ी से विकास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा तो प्रायः सार्वजनिक या नि:शुल्क है। एक बहुत बड़े अनुपात में बच्चे माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्त्री शिक्षा का विकास हर स्तर पर पुरुषों से अधिक हुआ है। यहाँ की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी भारत के सभी भागों से आते हैं। दिल्ली में उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान के अनेक केन्द्र हैं। लगभग ग्यारह विश्वविद्यालय, अनेक महाविद्यालय, अनगिनत प्राथमिक अनुसंधान केन्द्र पूरी दिल्ली में फैले हैं। यहाँ कई सरकारी एवं निजी शिक्षा संस्थान हैं जो [[कला]], वाणिज्य, [[विज्ञान]], प्रोद्योगिकी, आयुर्विज्ञान, विधि और प्रबंधन में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं। [[चित्र:Delhi-University.jpg|thumb|left|[[दिल्ली विश्वविद्यालय]]]] उच्च शिक्षा के संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्ण दिल्ली विश्वविद्यालय है जिसके अन्तर्गत कई कॉलेज एवं शोध संस्थान हैं। गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]], अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, टेरी - ऊर्जा और संसाधन संस्थान एवं जामिया मिलिया इस्लामिया उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान हैं। | |||
==यातायात और परिवहन== | |||
{{Main|दिल्ली का यातायात और परिवहन}} | |||
भारत सरकार ने दिल्ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्त-व्यस्त स्थिति को देखते हुए मास रैपिड ट्रांज़िट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अति आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में मेट्रो रेल परियोजना आ गई है। अब दिल्ली मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कॉरीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं। [[चित्र:Metro-Delhi-1.jpg|thumb|250px|[[दिल्ली मेट्रो|मेट्रो रेल]], दिल्ली<br /> Metro Train, Delhi]] शाहदरा से रिठाला और दिल्ली विश्वविद्यालय से [[केंद्रीय सचिवालय]] के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडियाँ भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच तीसरी लाइन भी चालू हो गई है। दिल्ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्वीकृत मिल गई है जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्त हो सकेगी। दिल्ली सडकों, रेल लाइनों और विमान सेवाओं के ज़रिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहाँ तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए पालम हवाई अड्डा घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरजंग हवाई अडडा प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में तीन महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन भी हैं। ये दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नाम से जाने जाते हैं।<ref>[http://www.indianrail.gov.in/ INDIAN RAILWAYS PASSENGER RESERVATION ENQUIRY]</ref>तीन अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डे- कश्मीरी गेट, सराय काले ख़ाँ और आनंद विहार में हैं। | |||
==कला== | |||
{{Main|दिल्ली की कला}} | |||
====वास्तुकला==== | |||
[[चित्र:Gandhi-Smriti-Museum-Delhi-1.jpg|thumb|[[महात्मा गांधी]], गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली]] | |||
दिल्ली के वैविध्यपूर्ण इतिहास ने विरासत में इसे समृद्ध वास्तुकला दी है। शहर के सबसे प्राचीन भवन सल्तनत काल के हैं और अपनी संरचना व अलंकरण में भिन्नता लिए हुए हैं। प्राकृतिक रुपाकंनों, सर्पाकार बेलों और क़ुरान के अक्षरों के घुमाव में हिन्दू राजपूत कारीगरों का प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है। मध्य एशिया से आए कुछ कारीगर कवि और वास्तुकला की सेल्जुक शैली की विशेषताएं मेहराब की निचली कोर पर कमल- कलियों की पंक्ति, उत्कीर्ण अलंकरण और बारी-बारी से आड़ी और खड़ी ईटों की चिनाई है। ख़िलज़ी शासन काल तक इस्लामी वास्तुकला में प्रयोग तथा सुधार का दौर समाप्त हो चुका था और इस्लामी वास्तुकला में एक विशेष पद्धति और उपशैली स्थापित हो चुकी थी जिसे [[पख़्तून]] शैली के नाम से जाना जाता है। इस शैली की अपनी लाक्षणिक विशेषताएं हैं। जैसे घोड़े के नाल की आकृति वाली मेहराबें, जालीदार खिड़कियां, अलंकृत किनारे बेल बूटों का काम (बारीक विस्तृत रूप रेखाओं में) और प्रेरणादायी, आध्यात्मिक शब्दांकन बाहर की ओर अधिकांशत: लाल पत्थरों का तथा भीतर सफ़ेद संगमरमर का उपयोग मिलता है। | |||
====वास्तुकला की परंपरा में बदलाव==== | |||
तुग़लक़ों ने वास्तुकला की परंपरा में बदलाव कर अलंकरण का तत्त्व समाप्त कर दिया इस काल में स्लेटी पत्थरों वाले सीधे सपाट निर्माण को प्राथमिकता दी गई उनकी इमारतों में एक दूसरे पर आधारित छतों वाली सादी मेहराबों क़ुरान की आयत से खुदे किनारों और भट्टी में रंगी टाइलों को प्रभावशाली ढंग से शामिल किया गया। तुग़लक़ों ने अपने भवनों में सजावट पर कम, और उनकी आकृति की भव्यता पर अधिक ज़ोर दिया। सैयद और लोदी काल में गुंबदीय ढांचे की दो जटिल शैलियां प्रचलित हुईं। निम्न अष्टभुजाकार आकृति वाली शैली जिसका ज़मीनी क्षेत्रफल काफ़ी विशाल होता था। और ऊँची वर्गाकार शैली जिसमें भवन का अग्रभाग चारो ओर से गुजरने वाली पट्टी और फलक श्रृंखला रुपी सजावटी तत्त्व से विभाजित होता था, जो इन्हें दो या तीन मंजिल जैसे होने का रूप देती प्रतीत होती थी। लोदी काल में बगीचे वाले मकबरों का निर्माण भी हुआ। '''इस काल की मस्जिदों में मीनारें नहीं होती थी।''' | |||
[[चित्र:National-Railway-Museum-Delhi.jpg|thumb|250px|left|[[राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली|राष्ट्रीय रेल संग्रहालय]], दिल्ली <br /> National Railway Museum, Delhi]] | |||
====वास्तविक गौरव==== | |||
{{दिल्ली कला एवं सांस्कृतिक संस्थान सूची}} | |||
दिल्ली की वास्तुकला का वास्तविक गौरव मुग़ल कालीन है। दिल्ली में [[हुमायूँ]] का मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का प्रथम महत्त्वपूर्ण नमूना है। हुमायूं के मकबरे को 1565 ई. में उसकी बेगम हमीदा बानू ने बनवाया था। इसमें हमीदा की क़ब्र भी हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न कालों में बनी [[दारा शिकोह]] फ़ुरुख़सियर तथा [[आलमगीर द्वितीय]] आदि की भी क़ब्रें यहीं स्थित हैं। '''कहा जाता है कि मुग़ल परिवार के तथा उससे संबंधित 90 से अधिक व्यक्तियों की क़ब्रें यहाँ हैं।''' 1857 की राज्यकांति में अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुरशाह को मुग़लों ने यहीं क़ैद किया था। ताजमहल का अग्रगामी यह निर्माण भारत का पहला पूर्ण विकसित बग़ीचे वाला मक़बरा भी है। इसने भारतीय वास्तुकला में ऊँची मेहराबों और दोहरे गुंबदों की शुरुआत की जो मुग़ल वास्तुकला के प्रतिनिधि नमूने लाल क़िले में दिखाई देते हैं। इसमें निर्मित नक़्क़ारख़ाने, दीवार-ए-आम और दीवार-ए-ख़ास, महल तथा मनोरंजन कक्ष, छज्जे, हमाम, आंतरिक नहरें और ज्यामितीय सौंदर्यबोध के साथ निर्मित बगीचे तथा एक अलंकृत मस्जिद देखते ही बनते हैं। जामा मस्जिद मुग़लकालीन मस्जिदों की वास्तविक प्रतिनिधि है। '''यह पहली मस्जिद है, जिनमें मीनारें भी हैं।''' अधिकांश भवनों में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। जिनमें नक़्क़ाशी तथा बहुरंगी पत्थरों की सजावट के नायाब नमूने हैं। | |||
====आंग्ल वास्तुकला==== | |||
दिल्ली की आंग्ल वास्तुकला औपनिवेशिक तथा मुग़लकालीन कला का प्रतीक है। यह वाइसरॉय के आवास संसद भवन और सचिवालय के विशाल भवनों से लेकर आवासीय बंगलों और दफ़्तरों जैसी उपयोगी इमारतों तक वैविध्यपूर्ण है। स्वतंत्र भारत में वास्तुकला ने अपनी अलग उपशैली विकसित करने का प्रयास किया है। देशज तथा पश्चिमी शैली के मिश्रित स्वरूप में स्थानीय उपशैलीयों की छटा दिखाई देती है। सर्वोच्च न्यायालय भवन, विज्ञान भवन विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय कनॉट प्लेस के आसपास की इमारतें इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। हाल ही में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कुछ वास्तुकार हुए जिन्होंने दिल्ली के परिदृश्य में कुछ आकर्षण भवन जोड़े हैं। जिन्हें उत्तर-आधुनिक कहा जाता है। टीकाकरण संस्थान, भारतीय जीवन बीमा निगम का मुख्यालय और [[बहाई मंदिर]] इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं। | |||
==संग्रहालय== | |||
{{Main|दिल्ली के संग्रहालय}} | |||
{{दिल्ली संग्रहालय एवं स्मृति भवन सूची}} | |||
*;हस्तशिल्प संग्रहालय | |||
{{Main|हस्त शिल्पकला संग्रहालय दिल्ली}} | |||
*ग्रामीण जनजीवन की झाँकी प्रस्तुत करता लोक एवं आदिवासी कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रहालय है। यह संग्रहालय [[प्रगति मैदान]] के अदिती पवैलियन में स्थित है। इस संग्रहालय में [[भारत]] की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रदर्शित किया गया है। | |||
*;गुड़िया संग्रहालय | |||
{{Main|गुड़ियों का संग्रहालय दिल्ली}} | |||
लगभग 6,000 गुड़ियों से भरा यह संग्रहालय बाल पुस्तक ट्रस्ट का ही एक हिस्सा है। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय संग्रह की अधिकांश गुड़िया अपनी पारम्परिक वेशभूषा में प्रदर्शित हैं। प्रख्यात पत्रकार शंकर द्वारा स्थापित यह संग्रहालय बहादुर शाह जफ़र मार्ग के पूर्व में स्थित है। यहाँ विश्व भर के खिलौना निर्माताओं का आगमन रहता है। यहीं स्थित बी.सी. रॉय बाल पुस्तकालय है, जिसमें बच्चों के लिए उत्तम पुस्तकों का संग्रह है। छोटे बच्चों के लिए यहाँ खेलघर भी बना है। | |||
*;राष्ट्रीय संग्रहालय | |||
{{Main|राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली}} | |||
[[1960]] तक [[राष्ट्रपति भवन]] में चल रहे इस संग्रहालय को 1960 में वर्तमान जगह पर स्थानान्तरित किया गया। यह भारत के ऐतिहासिक एवं महत्त्वपूर्ण संग्रहालयों में से एक है। यहाँ देखने के लिए एक पूरे दिन की आवश्यकता होती है। भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। तीन विभिन्न मंज़िलों में बंटे इस संग्रहालय में ऐतिहासिक मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त एवं अन्य राजवंशों के समय के भित्तिचित्र, प्रस्तर खण्ड, ताम्र पत्रादि एवं अनगिनत दुर्लभ कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर हस्तशिल्प वीथिका में कपड़ा एवं सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर दिल्ली की खुदाई के अवशेष हैं। यहीं पास में पुराने काग़ज़ात एवं अभिलेख संग्रहित हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं। | |||
*;राष्ट्रीय रेल संग्रहालय | |||
{{Main|राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली}} | |||
अपनी तरह का यह भारत का पहला संग्रहालय है। दस एकड़ क्षेत्र में फैले आठ कोण वाले इस भवन की स्थापना [[1 फ़रवरी]] [[1977]] को हुई थी। यहाँ भारत की दुर्लभ पुरानी रेलगाड़ियाँ संग्रहित हैं। सूचनापरक आन्तरिक संग्रहालय में पुरानी 26 चलायमान गाड़ियाँ, 17 अनूठे मालवाहक डिब्बे एवं कई सैलून हैं। यहाँ बच्चों के लिए एक छोटी खिलौना रेल भी चलती है, जो बच्चों को संग्रहालय में घुमाती है। | |||
[[चित्र:National-Railway-Museum-Delhi-1.jpg|thumb|राष्ट्रीय रेल संग्रहालय|250px|left]] | |||
==कला दीर्घाएँ== | |||
*;राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा | |||
[[चित्र:Modern-Art-Museum-Delhi.jpg|thumb|राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली|250px]] | |||
यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। [[जयपुर]] के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है [[नंदलाल बोस]], [[राजा रवि वर्मा]], [[अमृता शेरगिल]] एवं जैमिनी राय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरूचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं। | |||
*;ललित कला अकादमी | |||
{{main|ललित कला अकादमी}} | |||
यह अलाभकर संस्था देश की प्रतिभाओं को तराशने का कार्य करती है। यहाँ एक विशेष वीथिका (गैलेरी) फ़िरोजशाह रोड पर रवीन्द्र भवन में स्थित है। | |||
*;गढ़ी स्टूडियो | |||
ललित कला अकादमी द्वारा दिल्ली विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं। | |||
*;त्रिवेणी कला संगम | |||
तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं। | |||
{{दिल्ली चित्र सूची3}} | |||
==पर्यटन== | |||
{{मुख्य|दिल्ली पर्यटन}} | |||
दिल्ली एक आकर्षक [[पर्यटन]] स्थल है। दिल्ली में मंदिरों से लेकर मॉल तक, क़िलों से लेकर उद्यान और अनेक ऐतिहासिक इमारतें और क़िले हैं जो [[इतिहास]] की जीवंत निशानियाँ हैं। प्रतिवर्ष लाखों सैलानी दिल्ली आते हैं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति को जानने की कोशिश करते हैं। [[दिल्ली पर्यटन|दिल्ली राज्य पर्यटन]] और परिवहन विकास निगम पर्यटकों को यहाँ के विभिन्न स्थानों की [[सैर]] कराने के लिए विशेष बस सेवाएं चलाता है। निगम ने पैरा सेलिंग, पर्वतारोहण और नौकायन जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए सुविधाएं विकसित की हैं। निगम ने [[दिल्ली हाट]] का विकास किया है, जहाँ काफ़ी और विभिन्न राज्यों की खाद्य वस्तुएँ एक जगह उपलब्ध हैं। दिल्ली के विभिन्न भागों में ऐसी ही 'हाट' बनाने की योजना है। | |||
{{दिल्ली पर्यटन सूची}} | |||
==दर्शनीय स्थल== | |||
{{दिल्ली दर्शनीय स्थल सूची}} | |||
*;अशोक के शिलालेख | |||
[[चित्र:Brahmi Lipi-3.jpg|thumb|अशोक के शिलालेख|left|130px]] | |||
{{Main|अशोक के शिलालेख}} | |||
कालका जी मन्दिर के पास स्थित बहाईपुर गाँव में हाल में ही [[अशोक महान]] के चट्टानों पर खुदे शिलालेख मिले हैं। ये सभी लघु-शिलालेख अशोक ने अपने राजकर्मचारियों को संबोधित करके लिखवाए हैं। अशोक ने सबसे पहले लघु-शिलालेख ही खुदवाए थे, इसलिए इनकी शैली उसके अन्य लेखों से कुछ भिन्न है। | |||
*;गांधी स्मृति | |||
[[चित्र:Mahatma-Gandhi Place-of-Assassination-Birla-bhavan.jpg|thumb|left|130px|गांधी स्मृति,बिड़ला भवन]] | |||
बिड़ला भवन के बरामदे में स्थापित यह वह जगह है, जहाँ [[30 जनवरी]], [[1948]] को प्रार्थना सभा में जाते हुए राष्ट्रपिता [[महात्मा गांधी]] की हत्या कर दी गई थी। इसे बाद में स्मारक का रूप दे दिया गया। | |||
*;हौज ख़ास | |||
[[अलाउद्दीन खिलजी]] द्वारा सन 1305 में सिरी के निवासियों के लिए बनाया यह ऐसा पिकनिक स्थल है, जो गर्मियों में ठण्डा और सर्दियों में गरम रहता है। | |||
*;पुराना सचिवालय | |||
ई. माटुंग थॉमस द्वारा 1912 में यह भवन कुछ ही महीनों में बनकर तैयार हुआ था। अब यहाँ दिल्ली विधानसभा चलती है। | |||
*;संसद भवन | |||
[[चित्र:Sansad-Bhavan-2.jpg|thumb|200px|[[संसद भवन]]]] | |||
{{Main|संसद भवन}} | |||
[[नई दिल्ली]] स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है । राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि [[संसद]] के दोनों सभाएं [[लोक सभा]] और [[राज्य सभा]] इसी भवन के अहाते में स्थित हैं । 144 खम्बों की यह विशाल इमारत 171 मीटर के व्यास में फैली है। हर खम्बे की ऊँचाई 8.3 मीटर है। अदभुत लकड़ी का चौखटा अपनी तरह की कला में एक उत्तम स्थान रखता है। | |||
*;बेगम सामरू का महल | |||
यह इलेक्ट्रानिक सामान के थोक एवं फुटकर व्यापार का केन्द्र है। आजकल इसे भागीरथ बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है। इसे बेगम सामरू (1753-1836) के रहने के लिए बनाया गया था, जिसने एक लालची सैनिक वाल्टर रेनहर्ड से निकाह कर लिया था। | |||
*;कोतवाली | |||
1857 की क्रान्ति के असफल हो जाने के बाद [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा करने के लिए इसकी स्थापना की थी। कुछ स्वतंत्रता सैनानियों को यहाँ बन्दी बनाकर रखा गया था। कैप्टन हेडसन द्वारा काटे गए मुग़ल राजकुमारों के सिरों का जुलूस भी यहीं पर लाया गया था। [[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|thumb|200px|[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] का मक़बरा, तुग़लकाबाद|left]] | |||
*;तुग़लकाबाद | |||
{{Main|तुग़लकाबाद}} | |||
दिल्ली का तीसरा हिस्सा, [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] द्वारा 1321 से 1325 के बीच बसाया हुआ ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया क़िला है। अन्दर घुसते ही संगमरमर का बना ग़यासुद्दीन का मक़बरा नज़र आता है। यह क़िला दक्षिण से पूर्व तक मुहम्मद तुग़लक द्वारा बनाए अदिलाबाद क़िले तक फैला है। | |||
==धार्मिक स्थल== | |||
{{Main|दिल्ली के धार्मिक स्थल}} | |||
====हिन्दू धार्मिक स्थल==== | |||
*;भैरव मन्दिर | |||
*;लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) | |||
*;झंडेवाला देवी मन्दिर | |||
*;आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर | |||
*;कालकाजी मन्दिर | |||
{{Main|कालकाजी मन्दिर}} | |||
चिराग दिल्ली फ़्लाई ओवर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालका जी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है, [[चित्र:Kalkaji temple.jpg|thumb|250px|कालका जी मन्दिर]] लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा यहाँ निकट ही धर्मशाला भी बनवाई गई है। [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]] में आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। | |||
*;मां संतोषी मन्दिर | |||
*;चांदनी चौक का शिव-गौरी मन्दिर | |||
*;संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ | |||
;दिल्ली में हिन्दुओं के अन्य मन्दिर हैं- | |||
सफ़ेद संगमरमर का छतरपुर का दुर्गा मन्दिर, मां सात मंजिला मन्दिर, 1724 में [[जयपुर]] के महाराजा जयसिंह द्वारा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित हनुमान मन्दिर, काली बेरी का मन्दिर और जोगमाया का मन्दिर। | |||
====जैन धार्मिक स्थल==== | |||
*;अहिंसा स्थल | |||
[[कुतुबमीनार]] के पास तीन एकड़ क्षेत्र में फैला यह स्थल भव्य बगीचे के बीच भगवान [[महावीर]] की [[कमल]] में स्थित आदमकद प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। [[1980]] में स्थापित यह प्रतिमा 17 फ़ीट ऊँची एवं 50 टन वज़नी है। | |||
*;दिगम्बर जैन मन्दिर | |||
शाहजहाँबाद में 1656 में निर्मित यह मन्दिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मन्दिर चेरिटी पक्षी अस्पताल के लिए भी मशहूर है। | |||
====ईसाई धार्मिक स्थल==== | |||
*; सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च | |||
[[चित्र:Catholic-Church-Delhi.jpg|thumb|सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च , दिल्ली|220px]] | |||
गुरुद्वारा बंगला साहिब मार्ग के पास दिल्ली की दो प्रमुख कान्वेण्ट स्कूलों सेंट कोलम्बिया एवं कान्वेण्ट ऑफ़ जीसस एवं मैरी के मध्य में स्थित सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च है। | |||
*; सेण्ट जेम्स चर्च | |||
1836 में जेम्स स्कीनर द्वारा बनाई गई सेण्ट जेम्स चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च है। पश्चिमी शैली में निर्मित यह चर्च केवल रविवार के दिन ही खुलता है। | |||
*; सेण्ट थॉमस चर्च | |||
दिल्ली में तीसरा चर्च सेण्ट थॉमस चर्च है। जो 1930-32 में उन ईसाईयों के लिए बनाई गई थी, जो [[धर्म]] परिवर्तन करके ईसाई बने हैं। वॉल्टर जॉर्ज नामक वास्तुशिल्पी द्वारा लाल ईटों से निर्मित यह चर्च पंचकुइयाँ मार्ग पर स्थित है। | |||
====सिक्खों के धार्मिक स्थल==== | |||
*; बंगला साहिब गुरुद्वारा | |||
यह गुरुद्वारा गुरु हरकिशन साहिबजी की याद में बनाया गया है, जो होशियारपुर से दिल्ली छोटी माता के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने आए थे। इस परिसर में गुरु ने निवास किया था [[चित्र:Gurudwara-Bangla-Sahib-Delhi-1.jpg|thumb|गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली|left|200px]] एवं यहाँ पर एक झील भी स्थित है। कहा जाता है कि इसका पानी औषधीय गुण लिए हुए है। | |||
*; अन्य गुरुद्वारे हैं- | |||
दमदमा साहिब गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, सीसगंज गुरुद्वारा, मजनूं का टीला गुरुद्वारा इत्यादि। | |||
====मुस्लिम धार्मिक स्थल==== | |||
*;चिराग देहलवी दरगाह | |||
नसीरूद्दीन मोहम्मद की याद में निर्मित इसे रौशन चिराग़ देहलवी के नाम से भी जाना जाता है। | |||
*;फ़तेहपुर मस्जिद | |||
सन 1650 में इसे [[शाहजहाँ]] की बीवी फ़तेहपुरी बेगम ने बनवाया था। | |||
*;हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया | |||
{{Main|निज़ामुद्दीन दरगाह}} | |||
चिश्ती संतों में चौथे नम्बर के शेख़ निज़ामुद्दीन चिश्ती को समर्पित यह दरगाह मुस्लिम समाज के लिए अत्यन्त पाक स्थल है। '''हर [[गुरुवार]] शाम को देश के नामी [[क़व्वाल]] यहाँ अपना हुनर दिखाते हैं तथा [[अमीर खुसरो]] की गज़लें गाते हैं।''' यहीं मुसलमानों का [[उर्स]] भी आयोजित किया जाता है। | |||
*;जामा मस्जिद | |||
[[चित्र:Jama-Masjid-Delhi.jpg|thumb|[[जामा मस्जिद दिल्ली|जामा मस्जिद]], दिल्ली|200px]] | |||
{{Main|जामा मस्जिद दिल्ली}} | |||
लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद [[मुग़ल काल]] में विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है। 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा शुरू करवाया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई। इस पर तत्कालीन 10 लाख रुपया लागत आई। इसके बीच में एक चबूतरा है, जहाँ पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है। | |||
*;अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थल | |||
खिड़की मस्जिद, मोठ की मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ख़ाँ की दरगाह आदि। | |||
{{दिल्ली धार्मिक स्थल सूची}} | |||
==प्रदर्शनी स्थल== | |||
[[चित्र:Pragati-Maidan-Hall.JPG|200px|thumb|[[प्रगति मैदान]], दिल्ली]] | |||
====प्रगति मैदान==== | |||
{{main|प्रगति मैदान}} | |||
149 एकड़ क्षेत्र में फैला यह मैदान [[एशिया]] के सर्वोत्तम प्रदर्शनी स्थलों में से एक है। [[मथुरा]] रोड पर पुराने क़िले से आगे स्थित देश के इस सर्वोत्तम मैदान में 54,685 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले 15 विशाल प्रदर्शनी स्थल हैं। इसके अलावा यहाँ 10,000 वर्ग मीटर का खुला क्षेत्र है। जहाँ समय-समय पर व्यापारिक प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं। इस मैदान में कई दर्शनीय स्थल भी हैं। जैसे- राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र (नेशनल साइंस सेंटर), द हॉल ऑफ़ नेशनल, अदभुत हस्तशिल्प संग्रहालय एवं स्टेट्स पवैलियन (नेशनल हेण्डीक्राफ़्ट्स एंड हेण्डलूम म्यूज़ियम)। इसके अलावा नेहरू पवैलियन एवं डिफ़ैन्स पवैलियन भी दर्शनीय हैं। | |||
====दिल्ली हाट==== | |||
{{main|दिल्ली हाट}} | |||
[[चित्र:Dilli-Haat.jpg|thumb|200px|[[दिल्ली हाट]], दिल्ली]] | |||
'लिटिल इण्डिया' के दर्शन कराने वाला यह साप्ताहिक बाज़ार हस्तशिल्प, व्यंजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के उत्तर में अरबिन्दो मार्ग पर एक एकड़ क्षेत्र में फैला यह बाज़ार दिल्ली पर्यटन, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), डीसी (हस्तशिल्प) एवं हैण्डलूम का संयुक्त प्रयास है। स्थायी स्थल पर लगने वाला यह बाज़ार किसी ग्रामीण मेले सा प्रतीत होता है। यहाँ हस्तशिल्पी एवं भाग लेने वाले बदलते रहते हैं। प्रत्येक हस्तशिल्पी को दो सप्ताह तक के लिए दी जाने वाली यहाँ कुल 62 स्टॉल हैं, जो क्रमिक रूप से बदलती रहती हैं, ताकि देश-विदेश के अधिकतम हस्तशिल्पों को यहाँ भागीदारी और अपने प्रदर्शित करने का अवसर मिल सके। देश के लगभग सभी प्रान्तों के हस्तशिल्पों को यहाँ पर एक साथ देखा जा सकता है। किसी पर्यटक के लिए पूरे भारत का भ्रमण कठिन हो सकता है, लेकिन वह यहाँ पूरे भारत के हर प्रान्त के खान-पान, हस्तशिल्प एवं संस्कृति की झलक देख सकता है। उचित मूल्य पर आधिकाधिक उत्पाद भी यहाँ से ख़रीदे जा सकते हैं। | |||
==खानपान== | |||
दिल्ली में खाने पीने की बहुत सी दुकानें और भोजनालय हैं। देश के विभिन्न प्रांतों के व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए दिल्ली हाट का रुख कर सकते हैं। यहां देश के लगभग हर भाग का भोजन मिलता है। कुल मिलाकर दिल्ली में हर तरह के भोजन का ज़ायक़ा लिया जा सकता है। दिल्ली में चाँदनी चौक एक जगह है जो फ़्रूट चाट, गोल गप्पों, पकौड़ों और बहुत सी चीज़ों के लिए मशहूर है। | |||
[[चित्र:Man-Making-The-Parathas.jpg|thumb|200px|परांठे बनाता आदमी, पराठें वाली गली]] | |||
;पराठें वाली गली | |||
दिल्ली की पराठें वाली गली के पराठे वर्षों लोगों की पसंद रहे हैं। | |||
;मिठाई | |||
चाँदनी चौक के पास ही दिल्ली में मिठाइयों की सबसे पुरानी दुकान घंटेवाला है। | |||
;चिकन करी | |||
अशोका रोड पर बने आंध्र भवन की चिकन करी (मुर्ग़ तरी वाला) बहुत की पसंद की जाती है। | |||
{{दिल्ली चित्र सूची5}} | |||
==ख़रीददारी== | |||
{{Main|दिल्ली के बाज़ार}} | |||
[[चित्र:Connaught-Place-Delhi.jpg|thumb|250px|[[कनॉट प्लेस]], दिल्ली <br /> Connaught Place, Delhi]] | |||
दिल्ली में ख़रीददारी के लिए कई स्थल हैं। प्रमुख स्थल हैं- | |||
;अंबावता कॉम्पलेक्स | |||
यह कॉम्पलेक्स बाबा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित है। इस कॉम्पलेक्स में विभिन्न राज्यों के एम्पोरियम खुले हैं, जहाँ सरकारी दरों पर राज्यों के उत्पाद मिलते हैं। [[चाँदनी चौक]], [[कनॉट प्लेस]], [[दिल्ली हॉट]] से पुरानी कलात्मक वस्तुएँ एवं कालीन तथा चाँदी की वस्तुएँ हौज़ ख़ास गाँव से ख़रीदी जा सकती हैं। वहीं आई.एन.ए. (भारतीय राष्ट्रीय सेना) बाज़ार में खाने से सम्बन्धित वस्तुएँ जैसे [[शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ी]], [[भारत के फल|फल]], मीट आदि मिलते हैं। | |||
<center> | |||
{| class="bharattable" border="1" align="center" | |||
|+ दिल्ली के बाज़ार | |||
|- | |||
|[[चित्र:Dilli-Haat.jpg|दिल्ली हाट|100px|center]] | |||
|[[चित्र:Connaught-Place-Delhi-1.jpg|कनॉट प्लेस|100px|center]] | |||
|[[चित्र:Bangle-Shop-Delhi.jpg|दिल्ली के बाज़ार में चूड़ियाँ|100px|center]] | |||
|[[चित्र:Jama-Masjid-Market-Delhi.jpg|जामा मस्जिद का बाज़ार|100px|center]] | |||
|[[चित्र:Palika-Bazar-Delhi.jpg|पालिका बाज़ार|100px|center]] | |||
|[[चित्र:Janpath-Market-Delhi.jpg|पालिका बाज़ार|100px|center]] | |||
|} | |||
</center> | |||
==संस्कृति== | |||
{{Main|दिल्ली की संस्कृति}} | |||
दिल्ली की [[संस्कृति]] यहाँ के लम्बे इतिहास और [[भारत]] की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही है, यह शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से ज्ञात है। [[चित्र:Delhi-Folk.jpg|thumb|left|200px|लोक गीत कलाकार, दिल्ली]] भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग 1200 धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है। महानगर होने की वजह से दिल्ली में भारत के सभी प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं। [[दिल्ली पर्यटन]] और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्सवों का भी आयोजन करते हैं। ये रौशनआरा उत्सव, शालीमार उत्सव, कुतुब उत्सव, शीतकालीन मेला, उद्यान और पर्यटन मेला, जहाने-ख़ुसरो उत्सव तथा आम महोत्सव हैं। | |||
==बाग़-बग़ीचे== | |||
{{दिल्ली बाग-बगीचे सूची}} | |||
दिल्ली में कई बाग़-बग़ीचे है। जिनमें जापानी शैली में बना बुद्ध जयन्ती पार्क, [[कनॉट प्लेस]] के बीच में स्थित सेंट्रल पार्क जो दुकानों में आने-जाने के लिए छोटे मार्ग के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, साथ ही ऑफ़िस आने-जाने वालों के लिए थोड़ी देर सुस्ताने की जगह है। चाणक्यपुरी में स्थित पार्क, डिस्ट्रिक्ट पार्क, लोदी गार्डन, महावीर जयन्ती पार्क, मुग़ल गार्डन, राष्ट्रीय गुलाब पार्क, एशिया का सबसे बड़ा नेशनल ज़ूलोजिकल पार्क (चिड़ियाघर), क्यूडिशा बाग़, रौशन आरा गार्डन आदि हैं। इसके अलावा दिल्ली में [[महात्मा गांधी]] के समाधि स्थल [[राजघाट दिल्ली|राजघाट]], [[जवाहरलाल नेहरू]] के समाधि स्थल शान्तिवन एवं [[लालबहादुर शास्त्री]] के समाधि स्थल विजय घाट को भी बग़ीचों का रूप दिया गया है। | |||
==खेल== | |||
दिल्ली खेलों की दृष्टि से भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। [[क्रिकेट]] और फुटबॉल दिल्ली के मुख्य खेल हैं। यहाँ अनेक स्टेडियम मौजूद हैं जैसे- [[फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम]], जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम, सिरी फोर्ट कांप्लेक्स, कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, तालकटोरा स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम, यमुना स्पोटर्स कांप्लेक्स, आर. के. खन्ना स्टेडियम और [[दिल्ली विश्वविद्यालय]]। | |||
{{दिल्ली चित्र सूची4}} | |||
====19वें राष्ट्रमंडल खेल==== | |||
{{मुख्य|राष्ट्रमंडल खेल 2010}} | |||
*[[14 अक्टूबर]] [[2010]] को समाप्त हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी दिल्ली ने की। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन रहा। | |||
* भारत पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेज़बान बना। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी की थी। इससे पहले भारत [[1982]] में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका है। एशिया में भी यह [[1998]] के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=[[28 सितंबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | |||
* खेलों का शुभारंभ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ। इसमें कुल 71 देशों ने भाग लिया। और 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई। | |||
====बच्चों की दिल्ली==== | |||
दिल्ली में बच्चों के मनोरंजन एवं शिक्षा के लिए बहुत कुछ है। यहाँ बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क, विज्ञान केन्द्र हैं, प्लेनेटेरियम (खगोल शिक्षा संग्रहालय) है, संग्रहालय और चिड़ियाघर है। बाल भवन-कोटला रोड पर स्थित बाल भवन में बच्चों के लिए नियमित रूप से नाटक, [[संगीत]], चित्रकारी आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रीय बाल संग्रहालय एवं विज्ञान सेंटर आदि भी यहीं पर स्थित हैं। बच्चों के लिए पुस्तकालय-चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट, बी.सी.राय मेमोरियल वाचनालय, नेशनल बुक ट्रस्ट, ब्रिटिश कौंसिल पुस्तकालय इत्यादि। | |||
==सौ वर्ष की राजधानी== | |||
ग़ुलामी के दौर में [[अंग्रेज़]] सम्राट जॉर्ज पंचम ने [[12 दिसम्बर]], 1911 को [[कोलकाता]] के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया। इसकी रूपरेखा और निर्माण कार्यों की देखरेख ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुचेंस (लुटियन) ने की थी। एक सौ पचास वर्षों तक कोलकाता के जरिये भारत पर शासन करने के बाद अंग्रेजों ने अपनी साम्राज्य विस्तार के मद्देनजर राजधानी को उत्तर भारत स्थानांतरित कर दिल्ली को नए स्थान के रूप में चुना था तथा यहां नयी राजधानी बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=45021 |title=राजधानी दिल्ली 100 बरस की हुई, पर कोई समारोह नहीं! |accessmonthday=22 दिसंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=सी.एन.बी.सी. आवाज़ |language=हिन्दी}}</ref> किंग जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण का उत्सव मनाने और उन्हें भारत का सम्राट स्वीकारने के लिए दिल्ली में आयोजित दरबार में ब्रिटिश भारत के शासक, भारतीय राजकुमार, सामंत, सैनिक और अभिजात्य वर्ग के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। दरबार के अंतिम चरण में एक अचरज भरी घोषणा की गई। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हॉर्डिंग ने राजा के राज्यारोहण के अवसर पर प्रदत्त उपाधियों और भेंटों की घोषणा के बाद एक दस्तावेज़ सौंपा। [[अंग्रेज़]] राजा ने वक्तव्य पढ़ते हुए राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने, पूर्व और [[पश्चिम बंगाल]] को दोबारा एक करने सहित अन्य प्रशासनिक परिवर्तनों की घोषणा की। दिल्ली वालों के लिए यह एक हैरतअंगेज फैसला था, जबकि इस घोषणा ने एक ही झटके में एक सूबे के शहर को एक साम्राज्य की राजधानी में बदल दिया, जबकि 1772 से ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी।<ref>{{cite web |url=http://www.chauthiduniya.com/2011/07/new-delhi-the-centennial-train.html |title=नई दिल्लीः सौ बरस का सफर |accessmonthday=22 दिसंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=चौथी दुनिया |language=हिन्दी}}</ref> | |||
<blockquote>'''एक तरह से नई दिल्ली का अर्थ भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक साम्राज्यवादी राजधानी और एक सदी के लिए अंग्रेज हुक्मरानों के सपनों का साकार होना था, हालांकि इसके पूरा होने में 20 साल का व़क्त लगा। यह भी तब, जबकि राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने के साथ ही नई दिल्ली बनाने का फैसला लिया गया। इस तरह नई राजधानी केवल 16 साल के लिए अपनी भूमिका निभा सकी। नई दिल्ली में निर्माण कार्य 1931 में पूरा हुआ, जब सरकार इस नए शहर में स्थानांतरित हो गई। 13 फरवरी, 1931 को तत्कालीन वायसराय [[लॉर्ड इरविन]] ने नई दिल्ली का औपचारिक उद्घाटन किया।'''</blockquote> | |||
==दिल्ली पर कविताएँ== | |||
{| width="100%" | |||
|-valign="top" | |||
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{| class="bharattable-pink" | |||
|+(1) दिल्ली (नवनीत पाण्डे द्वारा) | |||
|- | |||
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<div style="height: 400px; overflow:auto; overflow-x: hidden; border:thin solid #aaa; width:300px"> | |||
{| width="300px" | |||
|-valign="top" | |||
| | |||
<poem> | |||
दिल्ली | |||
केवल नाम नहीं है किसी शहर का | |||
पहचान है एक देश की | |||
प्राण है एक देश का | |||
यह अलग बात है- | |||
दिल्ली में एक नहीं | |||
कई दिल्लियां हैं- | |||
पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, | |||
दिल्ली कैंट, दिल्ली सदर आदि- आदि | |||
हर दिल्ली के अपने रंग, | |||
अपने क़ानून - क़ायदे | |||
आपकी दिल्ली, मेरी दिल्ली | |||
ज़ामा मस्ज़िद वाली दिल्ली | |||
बिड़ला मंदिर वाली दिल्ली | |||
शीशगंज गुरुद्वारे वाली दिल्ली | |||
चर्चगेट वाली दिल्ली | |||
साहित्य अकादमी वाली दिल्ली | |||
हिन्दी ग्रंथ अकादमी वाली दिल्ली | |||
एनएसडी वाली दिल्ली | |||
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय वाली दिल्ली | |||
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वाली दिल्ली | |||
दिल्ली की सोच में | |||
दिल्ली दिल वालों की है | |||
दिल्ली से बाहर की खबर के अनुसार | |||
दिल्ली दिल्ली वालों की है | |||
दिल्ली किसकी है? | |||
इस प्रश्न का सही- सही उत्तर | |||
स्वयं दिल्ली के पास भी नहीं है | |||
वह तो सभी को अपना मानती है | |||
कश्मीर से कन्याकुमारी तक | |||
पहुंचता है दिल्ली का अख़बार | |||
हर गली, गांव, शहर की दीवारें उठाए हैं | |||
दिल्ली के इष्तहार | |||
आंखे देखती हैं- दिल्ली | |||
कान सुनते हैं- दिल्ली | |||
होंठ बोलते हैं- दिल्ली | |||
सब करते हैं- | |||
दिल्ली का एतबार | |||
दिल्ली का इंतज़ार | |||
दिल्ली की जयकार | |||
पैरों में पंख लग जाते हैं | |||
सुनते ही दिल्ली की पुकार | |||
दुबक जाते हैं सुनते ही | |||
दिल्ली की फटकार | |||
दिल्ली की ललकार | |||
सब को जानती है दिल्ली | |||
सब को छानती है दिल्ली | |||
सब को पालती है दिल्ली | |||
सब को ढालती है दिल्ली | |||
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">'''दिल्लीः''' | |||
'''अर्थात् प्रेयसी का दिल''' | |||
'''दिल्लीः''' | |||
'''अर्थात् प्रेमी की मंजिल''' | |||
'''दिल्लीः''' | |||
'''अर्थात् सरकार''' | |||
'''दिल्लीः''' | |||
'''अर्थात् दरबार।'''<ref>{{cite web |url=http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80_/_%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%87 |title=दिल्ली / नवनीत पाण्डे |accessmonthday=[[4 मार्च ]]|accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= पी.एच.पी|publisher=कविता कोश |language=[[हिन्दी]] }}</ref></div> | |||
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|+(2) दिल्ली (ग़ुलाम मोहम्मद शेख द्वारा) | |||
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<div style="height: 400px; overflow:auto; overflow-x: hidden; border:thin solid #aaa; width:300px"> | |||
{| width="300px" | |||
|-valign="top" | |||
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<poem> | |||
टूटे टिक्कड़ जैसे किले पर | |||
कच्ची मूली के स्वाद की-सी धूप | |||
तुगलकाबाद के खंडहरों में घास और पत्थरों का संवनन | |||
परछाइयों में कमान, कमान में परछाइयाँ; | |||
खिड़की मस्जिद | |||
आँखों को बेधकर सुई की मानिंद | |||
आर-पार निकलती | |||
जामा-मस्जिद की सीढ़ियों की क़तार | |||
पेड़ की जड़ों से अन्न नली तक उठ खड़ा होता क़ुतुब | |||
चारों ओर महक | |||
अनाज की, माँस की, ख़ून की, जेल की, महल की | |||
बीते हुए कल की, सदियों की | |||
साँस इस क्षण की | |||
आँख आज की उड़ती है इतिहास में | |||
उतरती है दरार में ग़ालिब की मजार की | |||
भटकती है ख़ानखानान की अधखाई हड्डी की खोज में | |||
ओढ़ जहाँआरा की बदनसीबी को | |||
निकल पड़ती है मक़बरा दर मक़बरा । | |||
अभी भी धूल, अभी भी कोहरा | |||
अब भी नहीं आया कोई फ़र्क माँस ओर पत्थर में | |||
लाल किले की पश्चिमी कमान में सोई | |||
फ़ाख्ता की योनि की छत से होती हुई | |||
घुपती है मेरी आँख में | |||
किरण एक सूर्य की। | |||
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"> | |||
'''अभी तो भोर ही है''' | |||
'''सत्य को संभोगते हैं स्वप्न''' | |||
'''सवेरा कैसा होगा ?'''<ref>{{cite web |url=http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80_/_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6_%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%96 |title=दिल्ली / ग़ुलाम मोहम्मद शेख |accessmonthday=[[5 मार्च ]]|accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= पी.एच.पी|publisher=कविता कोश |language=[[हिन्दी]] }}</ref></div> | |||
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक3|पूर्णता=|शोध=}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
{{दिल्ली बाहरी कड़ियाँ}} | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{दिल्ली}}{{भारतीय महानगर}} | |||
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Revision as of 11:56, 24 December 2011
Govind/अभ्यास पन्ना
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विवरण | दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक यमुना नदी के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली भारत का तीसरा बड़ा शहर है। यह एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली है। | ||
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 28°36′36, पूर्व- 77°13′48 | ||
मार्ग स्थिति | दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सूरत, अहमदाबाद, उदयपुर, अजमेर और जयपुर के रास्ते मुंबई से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, लुधियाना और अंबाला होते हुए अमृतसर और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से रामपुर और मुरादाबाद के रास्ते लखनऊ से जुड़ी है। | ||
हवाई अड्डा | इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | ||
रेलवे स्टेशन | पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, हज़रत निज़ामुद्दीन | ||
बस अड्डा | आई.एस.बी.टी, सराय काले ख़ाँ, आनंद विहार | ||
यातायात | साईकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, लोकल रेल, मेट्रो रेल, बस | ||
क्या देखें | दिल्ली पर्यटन | ||
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | ||
क्या खायें | पंजाबी खाना, चाट, पराठें वाली गली के 'पराठें' | ||
एस.टी.डी. कोड | 011 | ||
सावधानी | आतंकवादी गतिविधियों से सावधान, लावारिस वस्तुओं को ना छुएं, शीत ऋतु में कोहरे से और ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव करें। | ||
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | ||
संबंधित लेख | लाल क़िला, इण्डिया गेट, जामा मस्जिद, राष्ट्रपति भवन । | उप-राज्यपाल | विनय कुमार सक्सैना |
मुख्यमंत्री | अरविन्द केजरीवाल | ||
अन्य जानकारी | दिल्ली राज्य का राजकीय पक्षी घरेलू गौरैया (House Sparrow) है। | ||
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट | ||
अद्यतन | 17:15, 11 जून 2022 (IST)
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- दिल्ली भारत की राजधानी एवं महानगरीय क्षेत्र है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो कि ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसी थी। महान ऐतिहासिक महत्त्व वाला यह महानगरीय क्षेत्र महत्त्वपूर्ण व्यापारिक, परिवहन एवं सांस्कृतिक हलचलों से भरा है।
- दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी यमुना के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली देश का तीसरा बड़ा शहर है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल तथा रमणीय स्थल अपने आप में विशेष हैं। पर्यटन विकास के उद्वेश्य से यह आगरा और जयपुर से जुड़ा है।
- दिल्ली तो है दिल वालों की। दिल्ली के इतिहास में सम्पूर्ण भारत की झलक सदैव मौजूद रही है। अमीर ख़ुसरो और ग़ालिब की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली नादिरशाह की लूट की चीखों से सहम भी जाती है। चाँदनी चौक-जामा मस्जिद की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने दौलताबाद जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और लाल क़िले से प्रधानमंत्री के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। कभी रघुराय ने दिल्ली की रायसीना पहाड़ी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया तो कभी हुसैन के रंगों ने दिल्ली को रंग दिया। दिल्ली कभी कुतुबमीनार की मंज़िलों को चढ़ाने में पसीना बहाती रही तो कभी हुमायूँ के मक़बरे में पत्थरों को तराशती रही। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है।[1]
नामकरण
- अनुश्रुति है कि इसका वर्तमान नाम राजा ढीलू के नाम पर पड़ा जिसका आधिपत्य ई.पू. पहली शताब्दी में इस क्षेत्र पर था। बहरहाल बिजोला अभिलेखों (1170ई.) में उल्लेखित ढिल्ली या ढिल्लिका सबसे पहला लिखित उद्धरण है। महाभारत काल में पाण्डवों द्वारा बसाया गया इन्द्रप्रस्थ नगर, दिल्ली आज हमारे देश का हृदय कहलाता है।
- एक मत के अनुसार दिल्ली का नामकरण फ़ारसी शब्द 'दहलीज़' पर पड़ा है। जिसका अर्थ है 'प्रवेश द्वार'।
- कुछ अन्य लोगों के मतानुसार आठवीं सदी में कन्नौज के राजा दिल्लू के नाम पर इसका नामांकन हुआ है। कई मुग़ल साम्राज्यों ने भी दिल्ली पर अपनी प्रभावी छाप छोड़ी है। कई अवसरों पर दिल्ली ने कई साम्राज्यों के पतन में अपनी छाप छोड़ी है। ऐसे बहुरूपदर्शी भूतकाल में न केवल दिल्ली बल्कि विश्व के महानतम लोकतंत्र की खोज की जा सकती है।
इतिहास
महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13 वीं से 15 वीं सदी तक तुर्क और अफ़ग़ान और अंत में 16 वीं सदी में मुग़लों के हाथों में पहुँचा। 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना हुई। [[चित्र:Red-Fort.jpg|thumb|250px|left|लाल क़िला, दिल्ली
Red Fort, Delhi]] 1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। दिल्ली के इतिहास में 69 वां संविधान संशोधन विधेयक एक महत्त्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ। दिल्ली का पुरातात्विक परिदृश्य अत्यंत दिलचस्प है व सहस्राब्दियों पुराने स्मारक क़दम-क़दम पर खड़े नज़र आते हैं। नए या पुराने क़िलेबंद स्थान पर निर्मित 13 शहरों ने दिल्ली–अरावली त्रिकोण के लगभग 180 वर्ग किलोमीटर के एक सीमित क्षेत्र में अपनी मौजूदगी के निशान छोड़े हैं। दिल्ली के बारे में यह किंवदंती प्रचलित है कि जिसने भी यहाँ नया शहर बनाया, उसे इसे खोना पड़ा। सबसे पुराना नगर इंद्रप्रस्थ, क़रीब 1400 ई.पू निर्मित किया गया था और वेदव्यास रचित महाकाव्य महाभारत में इसका वर्णन पांडवो की राजधानी के रूप में मिलता है। इस त्रिकोण में निर्मित दिल्ली का दूसरा शहर है अनंगपुर या आनंदपुर, जिसकी स्थापना लगभग 1020 ई. में तोमर राजपूत नरेश अनंग पाल ने राजनिवास के रूप में की थी। यह शहर अर्द्धवृत्ताकार निर्मित तालाब सूरजकुंड के आसपास बसा था। अनंग पाल ने बाद में इसे 10 किलोमीटर पश्चिम की ओर लालकोट पर स्थापित एक दुर्ग में स्थानांतरित किया।
भौगोलिक संरचना
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
दिल्ली एक जलसंभर पर स्थित है। जो गंगा तथा सिंधु नदी प्रणालियों को विभाजित करता है। दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो राजस्थान प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है। अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है। पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण में फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है। यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरों की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई। thumb|left|220px|दिल्ली(शाहजहाँबाद) का एक दृश्य, वर्ष 1858
जलवायु
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है। दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं। दिन का तापमान कभी-कभी 40-45 सेल्सियस तक पहुँच जाता है। मानसून जुलाई में आता है। और तापमान को कम करता है। लेकिन सितंबर के अंत तक मौसम गर्म, उमस भरा और कष्टप्रद रहता है। यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा लगभग 660 मिमी है। अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम काफ़ी सुहावना रहता है। हालांकि दिसंबर तथा जनवरी के महीने खूब ठंडे व कोहरे से भरे होते हैं। और कभी-कभी वर्षा भी हो जाती है। thumb|250px|दिल्ली का मानचित्र शीतकाल में प्रतिदिन का औसत न्यूनतम तापमान 7 डिग्री से. के आसपास रहता है, लेकिन कुछ रातें अधिक सर्द होती है।
[[चित्र:Supreme-Court.jpg|thumb|250px|उच्चतम न्यायालय, भारत | |
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प्रशासन एवं नियोजन
प्रशासनिक व्यवस्था
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- दिल्ली ने प्रशासनिक व्यवस्था में कई फेरबदल देखे हैं।
- 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसने भारत की अंग्रेज़ी सत्ता को ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज में स्थानांतरित कर दिया।
- 1876 में महारानी विक्टोरिया के शासनाधिकार में 'भारत की सम्राज्ञी' पदवी शामिल हो गई।
पानी की समस्या
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- दिल्ली को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है।
- आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है।
- उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है।
अर्थव्यवस्था
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
किसी भी ऐतिहासिक राजधानी की तरह दिल्ली भी वैविध्यपूर्ण केंद्र है, जिसमे प्रशासन, सेवाएं और निर्माण अच्छी तरह मिले–जुले हैं। दिल्ली कला एव हस्तकौशल की प्रचुर विविधता का केंद्र रहा है। मुग़ल काल में दिल्ली रत्न और आभूषण, धातु पच्चीकारी, क़सीदाकारी, सोने की पच्चीकारी, रेशम और ज़री का काम, मीनाकारी और शिल्प, मूर्तिकला और चित्रकला के लिए विख्यात थी। दिल्ली का वर्तमान प्रशासकीय महत्त्व उस समय से है, जब भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया और ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी, वाणिज्यिक और सेवा केन्द के रूप में विकसित हो गई। यहाँ की लगभग तीन–चौथाई आबादी व्यापार लोक प्रशासन, सामुदायिक, सामाजिक और निजी सेवाओं में संलग्न है।
कृषि और खनिज
गेहूँ, बाजरा, ज्वार, चना और मक्का की प्रमुख फ़सलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फ़सलों की बजाय फलों और सब्जियों, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, फूलों की खेती को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। [[चित्र:Wheat-1.jpg|thumb|200px|left|गेहूँ]] ये गतिविधियाँ खाद्यान्नों, फ़सलों के मुक़ाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं।
सिंचाई
दिल्ली के गाँवों का तेज़ी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। राज्य में ‘केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीय’ तथा ‘जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्तार सिंचाई प्रणाली’ नामक दो योजनाएं चलाई जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्टेयर की सिंचाई राज्य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्टेयर की सिंचाई अतिरिक्त पानी द्वारा की जा रही है। thumb|220px इसके अलावा 4,900 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है।
शिक्षा
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
शैक्षणिक,अनुसंधान एवं अन्य संस्थान |
---|
दिल्ली, भारत में शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। दिल्ली के विकास के साथ-साथ यहाँ शिक्षा का भी तेज़ी से विकास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा तो प्रायः सार्वजनिक या नि:शुल्क है। एक बहुत बड़े अनुपात में बच्चे माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्त्री शिक्षा का विकास हर स्तर पर पुरुषों से अधिक हुआ है। यहाँ की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी भारत के सभी भागों से आते हैं। दिल्ली में उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान के अनेक केन्द्र हैं। लगभग ग्यारह विश्वविद्यालय, अनेक महाविद्यालय, अनगिनत प्राथमिक अनुसंधान केन्द्र पूरी दिल्ली में फैले हैं। यहाँ कई सरकारी एवं निजी शिक्षा संस्थान हैं जो कला, वाणिज्य, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, आयुर्विज्ञान, विधि और प्रबंधन में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं। [[चित्र:Delhi-University.jpg|thumb|left|दिल्ली विश्वविद्यालय]] उच्च शिक्षा के संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्ण दिल्ली विश्वविद्यालय है जिसके अन्तर्गत कई कॉलेज एवं शोध संस्थान हैं। गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, टेरी - ऊर्जा और संसाधन संस्थान एवं जामिया मिलिया इस्लामिया उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान हैं।
यातायात और परिवहन
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भारत सरकार ने दिल्ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्त-व्यस्त स्थिति को देखते हुए मास रैपिड ट्रांज़िट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अति आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में मेट्रो रेल परियोजना आ गई है। अब दिल्ली मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कॉरीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं। [[चित्र:Metro-Delhi-1.jpg|thumb|250px|मेट्रो रेल, दिल्ली
Metro Train, Delhi]] शाहदरा से रिठाला और दिल्ली विश्वविद्यालय से केंद्रीय सचिवालय के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडियाँ भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच तीसरी लाइन भी चालू हो गई है। दिल्ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्वीकृत मिल गई है जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्त हो सकेगी। दिल्ली सडकों, रेल लाइनों और विमान सेवाओं के ज़रिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहाँ तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए पालम हवाई अड्डा घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरजंग हवाई अडडा प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में तीन महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन भी हैं। ये दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नाम से जाने जाते हैं।[2]तीन अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डे- कश्मीरी गेट, सराय काले ख़ाँ और आनंद विहार में हैं।
कला
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वास्तुकला
[[चित्र:Gandhi-Smriti-Museum-Delhi-1.jpg|thumb|महात्मा गांधी, गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली]] दिल्ली के वैविध्यपूर्ण इतिहास ने विरासत में इसे समृद्ध वास्तुकला दी है। शहर के सबसे प्राचीन भवन सल्तनत काल के हैं और अपनी संरचना व अलंकरण में भिन्नता लिए हुए हैं। प्राकृतिक रुपाकंनों, सर्पाकार बेलों और क़ुरान के अक्षरों के घुमाव में हिन्दू राजपूत कारीगरों का प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है। मध्य एशिया से आए कुछ कारीगर कवि और वास्तुकला की सेल्जुक शैली की विशेषताएं मेहराब की निचली कोर पर कमल- कलियों की पंक्ति, उत्कीर्ण अलंकरण और बारी-बारी से आड़ी और खड़ी ईटों की चिनाई है। ख़िलज़ी शासन काल तक इस्लामी वास्तुकला में प्रयोग तथा सुधार का दौर समाप्त हो चुका था और इस्लामी वास्तुकला में एक विशेष पद्धति और उपशैली स्थापित हो चुकी थी जिसे पख़्तून शैली के नाम से जाना जाता है। इस शैली की अपनी लाक्षणिक विशेषताएं हैं। जैसे घोड़े के नाल की आकृति वाली मेहराबें, जालीदार खिड़कियां, अलंकृत किनारे बेल बूटों का काम (बारीक विस्तृत रूप रेखाओं में) और प्रेरणादायी, आध्यात्मिक शब्दांकन बाहर की ओर अधिकांशत: लाल पत्थरों का तथा भीतर सफ़ेद संगमरमर का उपयोग मिलता है।
वास्तुकला की परंपरा में बदलाव
तुग़लक़ों ने वास्तुकला की परंपरा में बदलाव कर अलंकरण का तत्त्व समाप्त कर दिया इस काल में स्लेटी पत्थरों वाले सीधे सपाट निर्माण को प्राथमिकता दी गई उनकी इमारतों में एक दूसरे पर आधारित छतों वाली सादी मेहराबों क़ुरान की आयत से खुदे किनारों और भट्टी में रंगी टाइलों को प्रभावशाली ढंग से शामिल किया गया। तुग़लक़ों ने अपने भवनों में सजावट पर कम, और उनकी आकृति की भव्यता पर अधिक ज़ोर दिया। सैयद और लोदी काल में गुंबदीय ढांचे की दो जटिल शैलियां प्रचलित हुईं। निम्न अष्टभुजाकार आकृति वाली शैली जिसका ज़मीनी क्षेत्रफल काफ़ी विशाल होता था। और ऊँची वर्गाकार शैली जिसमें भवन का अग्रभाग चारो ओर से गुजरने वाली पट्टी और फलक श्रृंखला रुपी सजावटी तत्त्व से विभाजित होता था, जो इन्हें दो या तीन मंजिल जैसे होने का रूप देती प्रतीत होती थी। लोदी काल में बगीचे वाले मकबरों का निर्माण भी हुआ। इस काल की मस्जिदों में मीनारें नहीं होती थी।
[[चित्र:National-Railway-Museum-Delhi.jpg|thumb|250px|left|राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली
National Railway Museum, Delhi]]
वास्तविक गौरव
कला एवं सांस्कृतिक संस्थान और केन्द्र |
---|
दिल्ली की वास्तुकला का वास्तविक गौरव मुग़ल कालीन है। दिल्ली में हुमायूँ का मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का प्रथम महत्त्वपूर्ण नमूना है। हुमायूं के मकबरे को 1565 ई. में उसकी बेगम हमीदा बानू ने बनवाया था। इसमें हमीदा की क़ब्र भी हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न कालों में बनी दारा शिकोह फ़ुरुख़सियर तथा आलमगीर द्वितीय आदि की भी क़ब्रें यहीं स्थित हैं। कहा जाता है कि मुग़ल परिवार के तथा उससे संबंधित 90 से अधिक व्यक्तियों की क़ब्रें यहाँ हैं। 1857 की राज्यकांति में अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुरशाह को मुग़लों ने यहीं क़ैद किया था। ताजमहल का अग्रगामी यह निर्माण भारत का पहला पूर्ण विकसित बग़ीचे वाला मक़बरा भी है। इसने भारतीय वास्तुकला में ऊँची मेहराबों और दोहरे गुंबदों की शुरुआत की जो मुग़ल वास्तुकला के प्रतिनिधि नमूने लाल क़िले में दिखाई देते हैं। इसमें निर्मित नक़्क़ारख़ाने, दीवार-ए-आम और दीवार-ए-ख़ास, महल तथा मनोरंजन कक्ष, छज्जे, हमाम, आंतरिक नहरें और ज्यामितीय सौंदर्यबोध के साथ निर्मित बगीचे तथा एक अलंकृत मस्जिद देखते ही बनते हैं। जामा मस्जिद मुग़लकालीन मस्जिदों की वास्तविक प्रतिनिधि है। यह पहली मस्जिद है, जिनमें मीनारें भी हैं। अधिकांश भवनों में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। जिनमें नक़्क़ाशी तथा बहुरंगी पत्थरों की सजावट के नायाब नमूने हैं।
आंग्ल वास्तुकला
दिल्ली की आंग्ल वास्तुकला औपनिवेशिक तथा मुग़लकालीन कला का प्रतीक है। यह वाइसरॉय के आवास संसद भवन और सचिवालय के विशाल भवनों से लेकर आवासीय बंगलों और दफ़्तरों जैसी उपयोगी इमारतों तक वैविध्यपूर्ण है। स्वतंत्र भारत में वास्तुकला ने अपनी अलग उपशैली विकसित करने का प्रयास किया है। देशज तथा पश्चिमी शैली के मिश्रित स्वरूप में स्थानीय उपशैलीयों की छटा दिखाई देती है। सर्वोच्च न्यायालय भवन, विज्ञान भवन विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय कनॉट प्लेस के आसपास की इमारतें इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। हाल ही में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कुछ वास्तुकार हुए जिन्होंने दिल्ली के परिदृश्य में कुछ आकर्षण भवन जोड़े हैं। जिन्हें उत्तर-आधुनिक कहा जाता है। टीकाकरण संस्थान, भारतीय जीवन बीमा निगम का मुख्यालय और बहाई मंदिर इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
संग्रहालय
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
संग्रहालय एवं स्मृति भवन |
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- हस्तशिल्प संग्रहालय
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- ग्रामीण जनजीवन की झाँकी प्रस्तुत करता लोक एवं आदिवासी कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रहालय है। यह संग्रहालय प्रगति मैदान के अदिती पवैलियन में स्थित है। इस संग्रहालय में भारत की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रदर्शित किया गया है।
- गुड़िया संग्रहालय
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
लगभग 6,000 गुड़ियों से भरा यह संग्रहालय बाल पुस्तक ट्रस्ट का ही एक हिस्सा है। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय संग्रह की अधिकांश गुड़िया अपनी पारम्परिक वेशभूषा में प्रदर्शित हैं। प्रख्यात पत्रकार शंकर द्वारा स्थापित यह संग्रहालय बहादुर शाह जफ़र मार्ग के पूर्व में स्थित है। यहाँ विश्व भर के खिलौना निर्माताओं का आगमन रहता है। यहीं स्थित बी.सी. रॉय बाल पुस्तकालय है, जिसमें बच्चों के लिए उत्तम पुस्तकों का संग्रह है। छोटे बच्चों के लिए यहाँ खेलघर भी बना है।
- राष्ट्रीय संग्रहालय
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1960 तक राष्ट्रपति भवन में चल रहे इस संग्रहालय को 1960 में वर्तमान जगह पर स्थानान्तरित किया गया। यह भारत के ऐतिहासिक एवं महत्त्वपूर्ण संग्रहालयों में से एक है। यहाँ देखने के लिए एक पूरे दिन की आवश्यकता होती है। भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। तीन विभिन्न मंज़िलों में बंटे इस संग्रहालय में ऐतिहासिक मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त एवं अन्य राजवंशों के समय के भित्तिचित्र, प्रस्तर खण्ड, ताम्र पत्रादि एवं अनगिनत दुर्लभ कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर हस्तशिल्प वीथिका में कपड़ा एवं सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर दिल्ली की खुदाई के अवशेष हैं। यहीं पास में पुराने काग़ज़ात एवं अभिलेख संग्रहित हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं।
- राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
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अपनी तरह का यह भारत का पहला संग्रहालय है। दस एकड़ क्षेत्र में फैले आठ कोण वाले इस भवन की स्थापना 1 फ़रवरी 1977 को हुई थी। यहाँ भारत की दुर्लभ पुरानी रेलगाड़ियाँ संग्रहित हैं। सूचनापरक आन्तरिक संग्रहालय में पुरानी 26 चलायमान गाड़ियाँ, 17 अनूठे मालवाहक डिब्बे एवं कई सैलून हैं। यहाँ बच्चों के लिए एक छोटी खिलौना रेल भी चलती है, जो बच्चों को संग्रहालय में घुमाती है। thumb|राष्ट्रीय रेल संग्रहालय|250px|left
कला दीर्घाएँ
- राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा
thumb|राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली|250px यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। जयपुर के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है नंदलाल बोस, राजा रवि वर्मा, अमृता शेरगिल एवं जैमिनी राय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरूचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं।
- ललित कला अकादमी
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यह अलाभकर संस्था देश की प्रतिभाओं को तराशने का कार्य करती है। यहाँ एक विशेष वीथिका (गैलेरी) फ़िरोजशाह रोड पर रवीन्द्र भवन में स्थित है।
- गढ़ी स्टूडियो
ललित कला अकादमी द्वारा दिल्ली विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं।
- त्रिवेणी कला संगम
तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं।
पर्यटन
दिल्ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। दिल्ली में मंदिरों से लेकर मॉल तक, क़िलों से लेकर उद्यान और अनेक ऐतिहासिक इमारतें और क़िले हैं जो इतिहास की जीवंत निशानियाँ हैं। प्रतिवर्ष लाखों सैलानी दिल्ली आते हैं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति को जानने की कोशिश करते हैं। दिल्ली राज्य पर्यटन और परिवहन विकास निगम पर्यटकों को यहाँ के विभिन्न स्थानों की सैर कराने के लिए विशेष बस सेवाएं चलाता है। निगम ने पैरा सेलिंग, पर्वतारोहण और नौकायन जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए सुविधाएं विकसित की हैं। निगम ने दिल्ली हाट का विकास किया है, जहाँ काफ़ी और विभिन्न राज्यों की खाद्य वस्तुएँ एक जगह उपलब्ध हैं। दिल्ली के विभिन्न भागों में ऐसी ही 'हाट' बनाने की योजना है।
नाम | संक्षिप्त विवरण | चित्र | मानचित्र लिंक |
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लाल क़िला | दिल्ली का लाल क़िला दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली भव्य महलों में से एक है। लाल क़िला का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह लाल पत्थरों से बना हुआ है। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक क़िला मुग़लकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। भारत का इतिहास भी इस क़िले के साथ काफ़ी नज़दीकी से जुड़ा हुआ है। ... और पढ़ें | [[चित्र:Red-Fort.jpg|लाल क़िला, दिल्ली|150px]] | गूगल मानचित्र |
हुमायूँ का मक़बरा | हुमायूँ एक महान मुग़ल बादशाह था जिसकी मृत्यु शेर मंडल पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर कर हुई थी। हुमायूँ का मक़बरा उनकी पत्नी हाजी बेगम ने हुमायूँ की याद में हुमायूँ की मृत्यु के आठ साल बाद बनवाया था। 1562-1572 के बीच बना यह मक़बरा आज दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक है। ... और पढ़ें | [[चित्र:Humayun-Tomb-Delhi-28.jpg|हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली|150px]] | गूगल मानचित्र |
जन्तर मन्तर | जंतर मंतर का निर्माण 1724 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। ... और पढ़ें | [[चित्र:Jantar-Mantar-Delhi.jpg|जन्तर मन्तर, दिल्ली|150px]] | गूगल मानचित्र |
लोटस टैंपल | लोटस टैंपल यानी बहाई मंदिर-दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस टैंपल भी कहा जाता है, दिसम्बर 1986 में बनकर तैयार हुआ, लोटस टैंपल भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है। ... और पढ़ें | 150px|लोटस टैंपल | गूगल मानचित्र |
जामा मस्जिद | जामा मस्जिद लाल क़िले से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। सन 1650 ई. में शाहजहाँ ने इस मस्जिद का निर्माण शुरू करवाया था। जामा मस्जिद को बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रुपए लगे थे। ... और पढ़ें | जामा मस्जिद, दिल्ली|150px | गूगल मानचित्र |
इंडिया गेट | इंडिया गेट दिल्ली के राजपथ पर स्थित है। इंडिया गेट को 80,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में निर्मित किया गया था जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में वीरगति पाई थी। यह इमारत लाल पत्थर से बनी हैं जो एक विशाल ढांचे के मंच पर खड़ी है। इसके मेहराब (आर्च) के ऊपर दोनों ओर 'इंडिया' लिखा है। ... और पढ़ें | 150px|इंडिया गेट | गूगल मानचित्र |
अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर बाकी इमारतों की तरह प्राचीन नहीं है लेकिन जिस अंदाज में इसकी लोकप्रियता फैली है उसने इसे दिल्ली के अहम दर्शनीय स्थलों में शुमार करा दिया है। स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की याद में बनवाया गया है। यह परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ... और पढ़ें | 150px|अक्षरधाम मंदिर | गूगल मानचित्र |
क़ुतुब मीनार | लालकोट स्मारक के ऊपर बहुत ऊँची यह मीनार दिल्ली के सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया। इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। ... और पढ़ें | 150px|क़ुतुब मीनार | गूगल मानचित्र |
दर्शनीय स्थल
दिल्ली दर्शनीय स्थल सूची |
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- अशोक के शिलालेख
thumb|अशोक के शिलालेख|left|130px
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कालका जी मन्दिर के पास स्थित बहाईपुर गाँव में हाल में ही अशोक महान के चट्टानों पर खुदे शिलालेख मिले हैं। ये सभी लघु-शिलालेख अशोक ने अपने राजकर्मचारियों को संबोधित करके लिखवाए हैं। अशोक ने सबसे पहले लघु-शिलालेख ही खुदवाए थे, इसलिए इनकी शैली उसके अन्य लेखों से कुछ भिन्न है।
- गांधी स्मृति
thumb|left|130px|गांधी स्मृति,बिड़ला भवन बिड़ला भवन के बरामदे में स्थापित यह वह जगह है, जहाँ 30 जनवरी, 1948 को प्रार्थना सभा में जाते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। इसे बाद में स्मारक का रूप दे दिया गया।
- हौज ख़ास
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा सन 1305 में सिरी के निवासियों के लिए बनाया यह ऐसा पिकनिक स्थल है, जो गर्मियों में ठण्डा और सर्दियों में गरम रहता है।
- पुराना सचिवालय
ई. माटुंग थॉमस द्वारा 1912 में यह भवन कुछ ही महीनों में बनकर तैयार हुआ था। अब यहाँ दिल्ली विधानसभा चलती है।
- संसद भवन
[[चित्र:Sansad-Bhavan-2.jpg|thumb|200px|संसद भवन]]
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नई दिल्ली स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है । राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं । 144 खम्बों की यह विशाल इमारत 171 मीटर के व्यास में फैली है। हर खम्बे की ऊँचाई 8.3 मीटर है। अदभुत लकड़ी का चौखटा अपनी तरह की कला में एक उत्तम स्थान रखता है।
- बेगम सामरू का महल
यह इलेक्ट्रानिक सामान के थोक एवं फुटकर व्यापार का केन्द्र है। आजकल इसे भागीरथ बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है। इसे बेगम सामरू (1753-1836) के रहने के लिए बनाया गया था, जिसने एक लालची सैनिक वाल्टर रेनहर्ड से निकाह कर लिया था।
- कोतवाली
1857 की क्रान्ति के असफल हो जाने के बाद अंग्रेज़ों ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा करने के लिए इसकी स्थापना की थी। कुछ स्वतंत्रता सैनानियों को यहाँ बन्दी बनाकर रखा गया था। कैप्टन हेडसन द्वारा काटे गए मुग़ल राजकुमारों के सिरों का जुलूस भी यहीं पर लाया गया था। [[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|thumb|200px|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, तुग़लकाबाद|left]]
- तुग़लकाबाद
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दिल्ली का तीसरा हिस्सा, ग़यासुद्दीन तुग़लक़ द्वारा 1321 से 1325 के बीच बसाया हुआ ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया क़िला है। अन्दर घुसते ही संगमरमर का बना ग़यासुद्दीन का मक़बरा नज़र आता है। यह क़िला दक्षिण से पूर्व तक मुहम्मद तुग़लक द्वारा बनाए अदिलाबाद क़िले तक फैला है।
धार्मिक स्थल
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हिन्दू धार्मिक स्थल
- भैरव मन्दिर
- लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर)
- झंडेवाला देवी मन्दिर
- आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर
- कालकाजी मन्दिर
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चिराग दिल्ली फ़्लाई ओवर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालका जी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है, thumb|250px|कालका जी मन्दिर लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा यहाँ निकट ही धर्मशाला भी बनवाई गई है। अक्टूबर-नवम्बर में आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
- मां संतोषी मन्दिर
- चांदनी चौक का शिव-गौरी मन्दिर
- संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ
- दिल्ली में हिन्दुओं के अन्य मन्दिर हैं-
सफ़ेद संगमरमर का छतरपुर का दुर्गा मन्दिर, मां सात मंजिला मन्दिर, 1724 में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वारा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित हनुमान मन्दिर, काली बेरी का मन्दिर और जोगमाया का मन्दिर।
जैन धार्मिक स्थल
- अहिंसा स्थल
कुतुबमीनार के पास तीन एकड़ क्षेत्र में फैला यह स्थल भव्य बगीचे के बीच भगवान महावीर की कमल में स्थित आदमकद प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। 1980 में स्थापित यह प्रतिमा 17 फ़ीट ऊँची एवं 50 टन वज़नी है।
- दिगम्बर जैन मन्दिर
शाहजहाँबाद में 1656 में निर्मित यह मन्दिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मन्दिर चेरिटी पक्षी अस्पताल के लिए भी मशहूर है।
ईसाई धार्मिक स्थल
- सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च
thumb|सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च , दिल्ली|220px गुरुद्वारा बंगला साहिब मार्ग के पास दिल्ली की दो प्रमुख कान्वेण्ट स्कूलों सेंट कोलम्बिया एवं कान्वेण्ट ऑफ़ जीसस एवं मैरी के मध्य में स्थित सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च है।
- सेण्ट जेम्स चर्च
1836 में जेम्स स्कीनर द्वारा बनाई गई सेण्ट जेम्स चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च है। पश्चिमी शैली में निर्मित यह चर्च केवल रविवार के दिन ही खुलता है।
- सेण्ट थॉमस चर्च
दिल्ली में तीसरा चर्च सेण्ट थॉमस चर्च है। जो 1930-32 में उन ईसाईयों के लिए बनाई गई थी, जो धर्म परिवर्तन करके ईसाई बने हैं। वॉल्टर जॉर्ज नामक वास्तुशिल्पी द्वारा लाल ईटों से निर्मित यह चर्च पंचकुइयाँ मार्ग पर स्थित है।
सिक्खों के धार्मिक स्थल
- बंगला साहिब गुरुद्वारा
यह गुरुद्वारा गुरु हरकिशन साहिबजी की याद में बनाया गया है, जो होशियारपुर से दिल्ली छोटी माता के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने आए थे। इस परिसर में गुरु ने निवास किया था thumb|गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली|left|200px एवं यहाँ पर एक झील भी स्थित है। कहा जाता है कि इसका पानी औषधीय गुण लिए हुए है।
- अन्य गुरुद्वारे हैं-
दमदमा साहिब गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, सीसगंज गुरुद्वारा, मजनूं का टीला गुरुद्वारा इत्यादि।
मुस्लिम धार्मिक स्थल
- चिराग देहलवी दरगाह
नसीरूद्दीन मोहम्मद की याद में निर्मित इसे रौशन चिराग़ देहलवी के नाम से भी जाना जाता है।
- फ़तेहपुर मस्जिद
सन 1650 में इसे शाहजहाँ की बीवी फ़तेहपुरी बेगम ने बनवाया था।
- हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया
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चिश्ती संतों में चौथे नम्बर के शेख़ निज़ामुद्दीन चिश्ती को समर्पित यह दरगाह मुस्लिम समाज के लिए अत्यन्त पाक स्थल है। हर गुरुवार शाम को देश के नामी क़व्वाल यहाँ अपना हुनर दिखाते हैं तथा अमीर खुसरो की गज़लें गाते हैं। यहीं मुसलमानों का उर्स भी आयोजित किया जाता है।
- जामा मस्जिद
[[चित्र:Jama-Masjid-Delhi.jpg|thumb|जामा मस्जिद, दिल्ली|200px]]
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लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुग़ल काल में विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है। 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा शुरू करवाया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई। इस पर तत्कालीन 10 लाख रुपया लागत आई। इसके बीच में एक चबूतरा है, जहाँ पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है।
- अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थल
खिड़की मस्जिद, मोठ की मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ख़ाँ की दरगाह आदि।
हिन्दू धार्मिक स्थल | मुस्लिम धार्मिक स्थल | गुरुद्वारे | ईसाई धार्मिक स्थल | अन्य |
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प्रदर्शनी स्थल
[[चित्र:Pragati-Maidan-Hall.JPG|200px|thumb|प्रगति मैदान, दिल्ली]]
प्रगति मैदान
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149 एकड़ क्षेत्र में फैला यह मैदान एशिया के सर्वोत्तम प्रदर्शनी स्थलों में से एक है। मथुरा रोड पर पुराने क़िले से आगे स्थित देश के इस सर्वोत्तम मैदान में 54,685 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले 15 विशाल प्रदर्शनी स्थल हैं। इसके अलावा यहाँ 10,000 वर्ग मीटर का खुला क्षेत्र है। जहाँ समय-समय पर व्यापारिक प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं। इस मैदान में कई दर्शनीय स्थल भी हैं। जैसे- राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र (नेशनल साइंस सेंटर), द हॉल ऑफ़ नेशनल, अदभुत हस्तशिल्प संग्रहालय एवं स्टेट्स पवैलियन (नेशनल हेण्डीक्राफ़्ट्स एंड हेण्डलूम म्यूज़ियम)। इसके अलावा नेहरू पवैलियन एवं डिफ़ैन्स पवैलियन भी दर्शनीय हैं।
दिल्ली हाट
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[[चित्र:Dilli-Haat.jpg|thumb|200px|दिल्ली हाट, दिल्ली]] 'लिटिल इण्डिया' के दर्शन कराने वाला यह साप्ताहिक बाज़ार हस्तशिल्प, व्यंजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के उत्तर में अरबिन्दो मार्ग पर एक एकड़ क्षेत्र में फैला यह बाज़ार दिल्ली पर्यटन, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), डीसी (हस्तशिल्प) एवं हैण्डलूम का संयुक्त प्रयास है। स्थायी स्थल पर लगने वाला यह बाज़ार किसी ग्रामीण मेले सा प्रतीत होता है। यहाँ हस्तशिल्पी एवं भाग लेने वाले बदलते रहते हैं। प्रत्येक हस्तशिल्पी को दो सप्ताह तक के लिए दी जाने वाली यहाँ कुल 62 स्टॉल हैं, जो क्रमिक रूप से बदलती रहती हैं, ताकि देश-विदेश के अधिकतम हस्तशिल्पों को यहाँ भागीदारी और अपने प्रदर्शित करने का अवसर मिल सके। देश के लगभग सभी प्रान्तों के हस्तशिल्पों को यहाँ पर एक साथ देखा जा सकता है। किसी पर्यटक के लिए पूरे भारत का भ्रमण कठिन हो सकता है, लेकिन वह यहाँ पूरे भारत के हर प्रान्त के खान-पान, हस्तशिल्प एवं संस्कृति की झलक देख सकता है। उचित मूल्य पर आधिकाधिक उत्पाद भी यहाँ से ख़रीदे जा सकते हैं।
खानपान
दिल्ली में खाने पीने की बहुत सी दुकानें और भोजनालय हैं। देश के विभिन्न प्रांतों के व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए दिल्ली हाट का रुख कर सकते हैं। यहां देश के लगभग हर भाग का भोजन मिलता है। कुल मिलाकर दिल्ली में हर तरह के भोजन का ज़ायक़ा लिया जा सकता है। दिल्ली में चाँदनी चौक एक जगह है जो फ़्रूट चाट, गोल गप्पों, पकौड़ों और बहुत सी चीज़ों के लिए मशहूर है। thumb|200px|परांठे बनाता आदमी, पराठें वाली गली
- पराठें वाली गली
दिल्ली की पराठें वाली गली के पराठे वर्षों लोगों की पसंद रहे हैं।
- मिठाई
चाँदनी चौक के पास ही दिल्ली में मिठाइयों की सबसे पुरानी दुकान घंटेवाला है।
- चिकन करी
अशोका रोड पर बने आंध्र भवन की चिकन करी (मुर्ग़ तरी वाला) बहुत की पसंद की जाती है।
ख़रीददारी
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[[चित्र:Connaught-Place-Delhi.jpg|thumb|250px|कनॉट प्लेस, दिल्ली
Connaught Place, Delhi]]
दिल्ली में ख़रीददारी के लिए कई स्थल हैं। प्रमुख स्थल हैं-
- अंबावता कॉम्पलेक्स
यह कॉम्पलेक्स बाबा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित है। इस कॉम्पलेक्स में विभिन्न राज्यों के एम्पोरियम खुले हैं, जहाँ सरकारी दरों पर राज्यों के उत्पाद मिलते हैं। चाँदनी चौक, कनॉट प्लेस, दिल्ली हॉट से पुरानी कलात्मक वस्तुएँ एवं कालीन तथा चाँदी की वस्तुएँ हौज़ ख़ास गाँव से ख़रीदी जा सकती हैं। वहीं आई.एन.ए. (भारतीय राष्ट्रीय सेना) बाज़ार में खाने से सम्बन्धित वस्तुएँ जैसे सब्ज़ी, फल, मीट आदि मिलते हैं।
दिल्ली हाट|100px|center | कनॉट प्लेस|100px|center | दिल्ली के बाज़ार में चूड़ियाँ|100px|center | जामा मस्जिद का बाज़ार|100px|center | पालिका बाज़ार|100px|center | पालिका बाज़ार|100px|center |
संस्कृति
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दिल्ली की संस्कृति यहाँ के लम्बे इतिहास और भारत की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही है, यह शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से ज्ञात है। thumb|left|200px|लोक गीत कलाकार, दिल्ली भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग 1200 धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है। महानगर होने की वजह से दिल्ली में भारत के सभी प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं। दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्सवों का भी आयोजन करते हैं। ये रौशनआरा उत्सव, शालीमार उत्सव, कुतुब उत्सव, शीतकालीन मेला, उद्यान और पर्यटन मेला, जहाने-ख़ुसरो उत्सव तथा आम महोत्सव हैं।
बाग़-बग़ीचे
दिल्ली के बाग़-बग़ीचों की सूची |
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दिल्ली में कई बाग़-बग़ीचे है। जिनमें जापानी शैली में बना बुद्ध जयन्ती पार्क, कनॉट प्लेस के बीच में स्थित सेंट्रल पार्क जो दुकानों में आने-जाने के लिए छोटे मार्ग के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, साथ ही ऑफ़िस आने-जाने वालों के लिए थोड़ी देर सुस्ताने की जगह है। चाणक्यपुरी में स्थित पार्क, डिस्ट्रिक्ट पार्क, लोदी गार्डन, महावीर जयन्ती पार्क, मुग़ल गार्डन, राष्ट्रीय गुलाब पार्क, एशिया का सबसे बड़ा नेशनल ज़ूलोजिकल पार्क (चिड़ियाघर), क्यूडिशा बाग़, रौशन आरा गार्डन आदि हैं। इसके अलावा दिल्ली में महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के समाधि स्थल शान्तिवन एवं लालबहादुर शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट को भी बग़ीचों का रूप दिया गया है।
खेल
दिल्ली खेलों की दृष्टि से भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। क्रिकेट और फुटबॉल दिल्ली के मुख्य खेल हैं। यहाँ अनेक स्टेडियम मौजूद हैं जैसे- फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम, सिरी फोर्ट कांप्लेक्स, कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, तालकटोरा स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम, यमुना स्पोटर्स कांप्लेक्स, आर. के. खन्ना स्टेडियम और दिल्ली विश्वविद्यालय।
19वें राष्ट्रमंडल खेल
- 14 अक्टूबर 2010 को समाप्त हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी दिल्ली ने की। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन रहा।
- भारत पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेज़बान बना। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी की थी। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका है। एशिया में भी यह 1998 के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है।[3]
- खेलों का शुभारंभ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ। इसमें कुल 71 देशों ने भाग लिया। और 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।
बच्चों की दिल्ली
दिल्ली में बच्चों के मनोरंजन एवं शिक्षा के लिए बहुत कुछ है। यहाँ बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क, विज्ञान केन्द्र हैं, प्लेनेटेरियम (खगोल शिक्षा संग्रहालय) है, संग्रहालय और चिड़ियाघर है। बाल भवन-कोटला रोड पर स्थित बाल भवन में बच्चों के लिए नियमित रूप से नाटक, संगीत, चित्रकारी आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रीय बाल संग्रहालय एवं विज्ञान सेंटर आदि भी यहीं पर स्थित हैं। बच्चों के लिए पुस्तकालय-चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट, बी.सी.राय मेमोरियल वाचनालय, नेशनल बुक ट्रस्ट, ब्रिटिश कौंसिल पुस्तकालय इत्यादि।
सौ वर्ष की राजधानी
ग़ुलामी के दौर में अंग्रेज़ सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसम्बर, 1911 को कोलकाता के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया। इसकी रूपरेखा और निर्माण कार्यों की देखरेख ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुचेंस (लुटियन) ने की थी। एक सौ पचास वर्षों तक कोलकाता के जरिये भारत पर शासन करने के बाद अंग्रेजों ने अपनी साम्राज्य विस्तार के मद्देनजर राजधानी को उत्तर भारत स्थानांतरित कर दिल्ली को नए स्थान के रूप में चुना था तथा यहां नयी राजधानी बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया।[4] किंग जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण का उत्सव मनाने और उन्हें भारत का सम्राट स्वीकारने के लिए दिल्ली में आयोजित दरबार में ब्रिटिश भारत के शासक, भारतीय राजकुमार, सामंत, सैनिक और अभिजात्य वर्ग के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। दरबार के अंतिम चरण में एक अचरज भरी घोषणा की गई। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हॉर्डिंग ने राजा के राज्यारोहण के अवसर पर प्रदत्त उपाधियों और भेंटों की घोषणा के बाद एक दस्तावेज़ सौंपा। अंग्रेज़ राजा ने वक्तव्य पढ़ते हुए राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने, पूर्व और पश्चिम बंगाल को दोबारा एक करने सहित अन्य प्रशासनिक परिवर्तनों की घोषणा की। दिल्ली वालों के लिए यह एक हैरतअंगेज फैसला था, जबकि इस घोषणा ने एक ही झटके में एक सूबे के शहर को एक साम्राज्य की राजधानी में बदल दिया, जबकि 1772 से ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी।[5]
एक तरह से नई दिल्ली का अर्थ भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक साम्राज्यवादी राजधानी और एक सदी के लिए अंग्रेज हुक्मरानों के सपनों का साकार होना था, हालांकि इसके पूरा होने में 20 साल का व़क्त लगा। यह भी तब, जबकि राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने के साथ ही नई दिल्ली बनाने का फैसला लिया गया। इस तरह नई राजधानी केवल 16 साल के लिए अपनी भूमिका निभा सकी। नई दिल्ली में निर्माण कार्य 1931 में पूरा हुआ, जब सरकार इस नए शहर में स्थानांतरित हो गई। 13 फरवरी, 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने नई दिल्ली का औपचारिक उद्घाटन किया।
दिल्ली पर कविताएँ
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदित्य चौधरी (भारतकोश प्रशासक) के वक्तव्य का अंश
- ↑ INDIAN RAILWAYS PASSENGER RESERVATION ENQUIRY
- ↑ आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी) (पीएचपी)। । अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2010।
- ↑ राजधानी दिल्ली 100 बरस की हुई, पर कोई समारोह नहीं! (हिन्दी) (पी.एच.पी) सी.एन.बी.सी. आवाज़। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2011।
- ↑ नई दिल्लीः सौ बरस का सफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) चौथी दुनिया। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2011।
- ↑ दिल्ली / नवनीत पाण्डे (हिन्दी) (पी.एच.पी) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 4 मार्च , 2011।
- ↑ दिल्ली / ग़ुलाम मोहम्मद शेख (हिन्दी) (पी.एच.पी) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 5 मार्च , 2011।
बाहरी कड़ियाँ
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