कू क्लक्स क्लैन: Difference between revisions

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Latest revision as of 08:09, 14 January 2020

कू क्लक्स क्लैन अमरीका में दक्षिण के हब्शियों को दासता से मुक्ति मिलने पर अवैधानिक उपाय से अपनी श्रेष्ठता बनाए रखने के उद्देश्य से गोरों द्वारा स्थापित एक संस्था थी। यद्यपि कू क्लक्स क्लैन एक संस्था का नाम है, किंतु वस्तुत: वह एक ऐतिहासिक आंदोलन रहा है।

परिचय

कू क्लक्स क्लैन ग्रीक शब्द कू क्लक्स अर्थात्‌ पट्टी या वृत्त से संबद्ध है। 1865 ई. में टेनेसी के पुलस्की नामक स्थान में इस संस्था के पहले अधिवेशन में इसका नाम कू क्लइ रखने का प्रस्ताव उपस्थित किया गया था; किंतु लोगों को यह शब्द कुछ कमज़ोर जान पड़ा, इसलिए कू क्लक्स नाम रखने का संशोधन उपस्थित हुआ और वह संशोधन स्वीकार किया गया। इसके साथ ही अनुप्रास के कारण उसमें गोत्रार्थवाचक क्लैन शब्द भी जोड़ दिया गया।

उद्देश्य

कहा जाता है कि आरंभ में यह एक निर्दोष और केवल मनोविनोद की संस्था थी, पर उत्तर से बहुत से राजनीतिज्ञ और व्यापारी दक्षिण में आए और उनके प्रभाव से इस संस्था का रंग बदल गया। कू क्लक्स क्लैन एक ऐसी संस्था बन गई जिसका कार्य हब्शियों को डरा-धमका कर गोरों के मतानुसार चलने को बाध्य करना है। इस संस्था ने अपने इस कर्तव्य-संपादन के लिए कुछ उठा नहीं रखा और हब्शियों को जिंदा जला डालने से लेकर सब तरह के अकथ्य और कल्पनीय अत्याचार किए।

वेशभूषा

इसके सदस्यों को विशेष प्रकार का वस्त्र पहनना और मुँह पर एक सफेद मुखौटा लगाना होता था। वे उस रेग का हैट पहनते थे जिस ढंग का हैट मध्य युग में पुर्तगाल और स्पेन में विधर्मियों को जलाने के समय पहना करते थे। वे एक लंबा गाउन या लबादा पहनते थे, जिससे उनका सारा शरीर ढक जाता था। इस प्रकार सारी वेशभूषा ऐसी होती थी, जिससे वे ईसाई मत के अनुसार शैतान के सदृश जान पड़ें और हब्शियों के मन में आतंक का संचार हो।

आंदोलन

यद्यपि इस संस्था की सदस्य संख्या अधिक नहीं थी, तथापि अमरीकी समाज पर इसका बहुत भारी प्रभाव था। उन लोगों ने इतनी अराजकता फैला रखी थी कि 1871 में राष्ट्रपति ग्रांट को कांग्रेस के पास विशेष संदेश भेजकर कहना पड़ा कि इस संस्था के सदस्यों के कारण संयुक्त राष्ट्र की जनता के एक वर्ग तथा अधिकारियों की स्थिति खतरे में पड़ गई है अत: उसके रोकने के लिये क़ानून पारित किया जाय। इस पर जाँचकर 14वें संशोधन की रक्षा करने के लिए कांग्रेस ने फ़ोर्स बिल नामक क़ानून बनाया। उसी वर्ष अक्तूबर में राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर अवैधानिक संस्थाओं के सदस्यों को आत्मसमर्पण करने और हथियार डाल देने के लिए कहा। इसके पाँच दिन बाद दक्षिण कैरोलिना की नौ काउंटियों में बंदियों की मुक्ति के लिए याचिका प्रस्तुत करने की सुविधा स्थगित करने की आज्ञा दी गई; और तब कू क्लक्स क्लैन के कई सौ सदस्य गिरफ्तार किए गए और धीरे-धीरे उनका आंदोलन समाप्त हो गया।

दूसरी संस्था

इस संस्था से भिन्न किंतु इसी नाम से एक दूसरी संस्था 1915 में विलियम जोसेफ सिमन्स ने अटलांटा में स्थापित की। इसका उद्देश्य गोरों की श्रेष्ठता बनाए रखना था। इस संस्था ने हब्शियों को ही नहीं, यहूदियों, रोमन कैथोलिकों और अमरीका से बाहर पैदा हुए प्रोटेस्टेट लोगों को भी अपनी परिधि से दूर रखा।

1920 में एडवर्ड यंग क्लार्क नामक एक पत्रकार ने इसको सुसंगठित कर दक्षिण के अतिरिक्त मध्य और प्रशांत महासागर के तटवर्ती प्रदेशों तक फैलाया। 1926 तक इसकी 2000 शाखाएँ हो गई थीं। राजनीतिक दल के रूप में उसने इतनी शक्ति प्राप्त कर ली कि उसके कितने ही सदस्य अनेक राज्यों में अधिकारी कांग्रेस के सदस्य निर्वाचित हो गए। इस संस्था के लोगों ने अश्वेत लोगों पर बहुत अत्याचार किए। उसे रोकने के लिए राज्य सरकार ने फिर क़ानून बनाकर चेहरा उतार कर चलना अनिवार्य बना दिया। क्लैन के अनेक अधिकारियों के चारित्रिक भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ और उन्हें सज़ा मिली।

फलस्वरूप इस संस्था का प्रभाव बहुत घट गया। यह संस्था यद्यपि शक्तिशाली नहीं रही पर मरी नहीं है। अब भी जब तक छद्म वेशधारी लोगों के द्वारा, जो इस संस्था के सदस्य समझे जाते हैं, सार्वजनिक रूप से हब्शियों को जलाने की घटनाएँ होती रहती हैं ।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 84 |

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