विक्रमादित्य षष्ठ: Difference between revisions
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Revision as of 13:35, 10 January 2011
- विक्रमादित्य या विक्रमांक कल्याणी के चालुक्य वंश का एक चालुक्य राजा (1073-1126) था, जो पराक्रमी योद्धा तथा साहित्य का संरक्षक था।
- उसने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी।
- इसमें सन्देह नहीं, कि विक्रमादित्य (यदि वातापी के चालुक्य वंश के राजाओं को भी दृष्टि में रखें, तो इसे विक्रमादित्य षष्ठ कहना चाहिए) बहुत ही योग्य व्यक्ति था।
- अपने पिता सोमेश्वर प्रथम के शासन काल में वह उसका सहयोगी रहा था, और उसकी विजय यात्राओं में उसने अदभुत शौर्य प्रदर्शित किया था।
- अब राजा बनकर उसने पूरी आधी सदी (1076-1126) तक योग्यतापूर्वक चालुक्य साम्राज्य का शासन किया।
- अपने पिता सोमेश्वर प्रथम के समान उसने भी दूर-दूर तक विजय यात्राएँ कीं, और कलिंग, बंग, मरु (राजस्थान), मालवा, चेर (केरल) और चोल राज्यों को परास्त किया।
- उसके शासन काल में चालुक्य साम्राज्य दक्षिण में कन्याकुमारी से लेकर उत्तर में बंगाल तक विस्तृत था।
- काश्मीरी कवि विल्हण ने 'विक्रमांकदेवचरितम्' लिखकर इस प्रतापी राजा के नाम को अमर कर दिया है।
- विल्हण विक्रमादित्य द्वितीय की राजसभा का ही रत्न था।
- 'मिताक्षरा' का रचयिता विज्ञानेश्वर भी इसी सम्राट की राजसभा में निवास करता था।
- 'मिताक्षरा' वर्तमान समय में प्रचलित हिन्दू क़ानून का मुख्य आधार है।
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