इतिहास सामान्य ज्ञान 6: Difference between revisions
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-अफ़ीम खेती | -अफ़ीम खेती | ||
||गुप्तकाल में कपड़े का निर्माण करना इस काल का सर्वप्रमुख उद्योग था। अमरकोष में कताई, बुनाई, हथकरघा, धागे इत्यादि का सन्दर्भ आया है। गुप्तकाल में वस्त्र उत्पादन के [[गुजरात]], [[बंगाल]], दक्कन एवं [[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र के प्रमुख केन्द्र थे। | ||गुप्तकाल में कपड़े का निर्माण करना इस काल का सर्वप्रमुख उद्योग था। अमरकोष में कताई, बुनाई, हथकरघा, धागे इत्यादि का सन्दर्भ आया है। गुप्तकाल में वस्त्र उत्पादन के [[गुजरात]], [[बंगाल]], दक्कन एवं [[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र के प्रमुख केन्द्र थे। | ||
{'किताब उल हिन्द' रचना के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था? | {'किताब उल हिन्द' रचना के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था? | ||
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-[[यशोवर्मन]] | -[[यशोवर्मन]] | ||
||कृष्णदेव राय शासनकाल 'तेलुगु साहित्य का क्लासिकी युग' माना जाता है। उसके दरबार को तेलुगु के आठ महान विद्वान एवं कवि (जिन्हें अष्ट दिग्गज़ कहा जाता है) सुशोभित करते थे अत: उसे 'आन्ध्र भोज' भी कहा जाता है। | ||कृष्णदेव राय शासनकाल 'तेलुगु साहित्य का क्लासिकी युग' माना जाता है। उसके दरबार को तेलुगु के आठ महान विद्वान एवं कवि (जिन्हें अष्ट दिग्गज़ कहा जाता है) सुशोभित करते थे अत: उसे 'आन्ध्र भोज' भी कहा जाता है। | ||
{निम्नलिखित में से कौनसा संस्कार स्त्रियों एवं शूद्रों के लिए वर्जित था? | |||
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- चूड़ाकर्म | |||
+ [[उपनयन संस्कार|उपनयन]] | |||
- नायकरण | |||
- पुंसवन | |||
|| [[चित्र:Upanayana-1.jpg|right|100px|[[उपनयन संस्कार|उपनयन]]<br /> Upanayana]] 'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना।" किन्तु किसके पास ले जाना? सम्भवत: आरम्भ में इसका तात्पर्य था "आचार्य के पास (शिक्षण के लिए) ले जाना।" हो सकता है; इसका तात्पर्य रहा हो नवशिष्य को विद्यार्थीपन की अवस्था तक पहुँचा देना। कुछ गृह्यसूत्रों से ऐसा आभास मिल जाता है, यथा हिरण्यकेशि के अनुसार; तब गुरु बच्चे से यह कहलवाता है "मैं ब्रह्मसूत्रों को प्राप्त हो गया हूँ। मुझे इसके पास ले चलिए। सविता देवता द्वारा प्रेरित मुझे ब्रह्मचारी होने दीजिए।" मानवग्रह्यसूत्र एवं काठक. ने 'उपनयन' के स्थान पर 'उपायन' शब्द का प्रयोग किया है। काठक के टीकाकार आदित्यदर्शन ने कहा है कि उपानय, उपनयन, मौञ्चीबन्धन, बटुकरण, व्रतबन्ध समानार्थक हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनयन संस्कार]] | |||
{[[ऋग्वेद]] में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह था? | |||
|type="()"} | |||
- हत्या | |||
- अपहरण | |||
+ पशु चोरी | |||
- लूट और राहजनी | |||
{19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे? | {19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे? | ||
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||[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का 39 वाँ अधिवेशन, जो [[26 दिसम्बर|26]] -[[27 दिसम्बर|27]], [[1924]] में बेलगाँव में हुआ था, की अध्यक्षता [[महात्मा गाँधी]] ने की थी। | ||[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का 39 वाँ अधिवेशन, जो [[26 दिसम्बर|26]] -[[27 दिसम्बर|27]], [[1924]] में बेलगाँव में हुआ था, की अध्यक्षता [[महात्मा गाँधी]] ने की थी। | ||
{[[महावीर]] की मृत्यु के बाद जैन संघ का मुखिया किसे कहा जाता है? | {[[महावीर]] की मृत्यु के बाद जैन संघ का मुखिया किसे कहा जाता है? | ||
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+वीर सिंह देव बुन्देला ने | +वीर सिंह देव बुन्देला ने | ||
||सलीम ([[जहाँगीर]]) के इशारे पर [[ओरछा]] के बुन्देला सरदार वीर सिंह देव ने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या कर दी थी। अबुल फ़ज़ल [[अकबर]] द्वारा स्थापित नवीन सम्प्रदाय [[दीन-ए-इलाही]] का प्रधान पुरोहित था। | ||सलीम ([[जहाँगीर]]) के इशारे पर [[ओरछा]] के बुन्देला सरदार वीर सिंह देव ने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या कर दी थी। अबुल फ़ज़ल [[अकबर]] द्वारा स्थापित नवीन सम्प्रदाय [[दीन-ए-इलाही]] का प्रधान पुरोहित था। | ||
{[[जैन धर्म]] का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]] | |||
+[[महावीर|महावीर स्वामी]] | |||
-[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]] | |||
-[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]] | |||
||[[चित्र:Mahaveer.jpg|[[महावीर]]<br /> Mahaveer|right|100px]] '''वर्धमान महावीर''' या महावीर, [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म [[वृज्जि]] गणराज्य की [[वैशाली]] नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन]] दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महावीर]] | |||
{जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं? | |||
|type="()"} | |||
-25 | |||
-20 | |||
+24 | |||
-23 | |||
{निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था? | {निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था? | ||
Line 150: | Line 152: | ||
|| वैज्ञानिक समाज की स्थापना [[1864]] में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] में [[अलीगढ़]] मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। | || वैज्ञानिक समाज की स्थापना [[1864]] में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] में [[अलीगढ़]] मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। | ||
{ | {[[महाभारत]] में [[माद्री]], [[देवकी]], भद्रा, [[रोहिणी]], मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में | ||
- | +पति के साथ [[सती]] होने के सन्दर्भ में | ||
-गणिकाओं के रूप में | |||
- | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
{[[ | {[[अशोक]] के कुल कितने मुहालेख अब तक मिले हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | - 5 | ||
+ | + 3 | ||
- | - 7 | ||
- | - 14 | ||
{कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था? | {कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था? |
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