शंकर वर्मन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
Line 15: | Line 15: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Revision as of 07:58, 21 March 2011
शंकरवर्मन ने 885 से 902 ई. तक शासन किया।
- अवन्ति वर्मन के बाद सिंहासनारूढ़ शंकर वर्मन ने अपने साम्राज्य विस्तार के अन्तर्गत दार्वाभिसार, त्रिगर्त, एवं गुर्जर को जीता।
- लगातार युद्ध के कारण धनाभाव की पूर्ति हेतु उसने अपनी प्रजा पर करों का बोझ बढ़ा दिया, इस कारण वह काफ़ी अलोकप्रिय हो गया था।
- रानी दिद्दा का उस पर अत्यधिक प्रभाव था।
- उसके सिक्कों पर उसके नाम के साथ दिद्दा का नाम भी अंकित है।
- इस कारण लोगों ने उसका नाम दिद्दाक्षेपा रख दिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित कडियाँ